‘‘भारतीय परिवार व्यवस्था की शक्ति’’ विषय पर आयोजित किया गया व्याख्यान
रायपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पंचम सरसंघचालक सुदर्शन की स्मृति में आयोजित व्याख्यान में मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह रामदत्त ने कहा कि मूल्य आधारित परिवार व्यवस्था शक्ति है, परिवार भारत देश की धुरी है। दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में सुदर्शन प्रेरणा मंच द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, मध्यक्षेत्र के संघचालक डॉ. पूर्णेंदु सक्सेना और मंच के मार्गदर्शक डॉ. राजेंद्र दुबे मंच पर उपस्थित थे।
व्याख्यान के मुख्यवक्ता रामदत्त ने ‘‘भारतीय परिवार व्यवस्था की शक्ति’’ विषय पर विचार प्रकट करते हुए कहा कि भारत में उत्कृष्ट जीवन मूल्य विकसित हुए, जो परिवार में देखने को मिलता है। पश्चिमी देशों में हथियार लेकर बच्चे स्कूल जाते हैं, गोलीबारी में प्रतिवर्ष 40 हजार बच्चे मारे जाते हैं। अमेरिका में पिताहीन बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है। जबकि भारत में परिवारों में बच्चों को चरित्रवान बनाया जाता है। ग्रीक के यात्री मेगास्थानिज ने लिखा था कि भारत के लोग चरित्रवान हैं, अंग्रेज अधिकारी मैकाले भी यही कहता था। अंग्रेज इसी शक्ति को तोड़कर यहां अपना शासन स्थापित करना चाहते थे।
उन्होंने कहा कि भारत देश में स्त्री को माता मानते हैं। रामायण में लक्ष्मण जी का प्रसंग आता है जिसमें वे अपनी भाभी का सिर्फ पैर देखने की बात कहते हैं। स्वामी विवेकानंद, छत्रपति शिवाजी के जीवन में भी इसी भाव के अनेक उदाहरण मिलते हैं। केवल पौराणिक या ऐतिहासिक नहीं आज के सामान्य लोगों के जीवन में उच्च जीवनमूल्य के दर्शन होते हैं। बच्चों को संस्कार परिवार में माता सिखाती है। भारतीय दर्शन में सभी की चिंता है, पशु-पक्षी, वनस्पति, माता पिता की सेवा, सम्मान का भाव, गुरु के प्रति सम्मान का भाव, अतिथियों का सम्मान, अतिथि देवो भव, सबको साथ लेकर चलना, इस प्रकार की सीख प्रत्येक परिवार अपने बच्चों को देता है। यही संस्कार है। वर्तमान समय में हम देख रहे हैं कि परिवार, समाज में इन मूल्यों का क्षरण हो रहा है।
रामदत्त ने कहा कि बच्चों में राष्ट्र प्रथम का भाव भी परिवार में विकसित होता है। इस भाव को जगाने की आवश्यकता है, इसमें माता की भूमिका महत्वपूर्ण है। भारत में माता का परिचय बच्चों से होता है, वे ही बच्चों को संस्कार देती हैं। माता बच्चों के विचारों को दिशा देती है। जैसे स्वामी विवेकानन्द ने अपने बचपन में कहा कि वह तांगा चलाने वाला बनना चाहते हैं, तब उनकी माता ने उनको उलाहना देने के बजाय कुरूक्षेत्र की फोटो दिखाकर कहा अगर तांगा चलाने वाला बनना है तो अर्जुन का रथ चलाने वाले कृष्ण की तरह तांगा चलाने वाला बनना होगा। उन्होंने स्वामी विवेकानंद के विचारों को दिशा दी।
उन्होंने कहा, भावी पीढ़ी को संस्कार देने के लिए हमें अपने घर से पहल करनी होगी, इसके लिए सभी को अपने लिए संकल्प लेना होगा। परिवार मजबूत होगा, एक एक परिवार किला बनाएगा तब भारत राष्ट्र भी शक्तिशाली होगा। भारत की शक्ति सामूहिकता में है।
इसलिए हम सभी को पांच संकल्प लेना होगा।
- कुटुंब प्रबोधन
सप्ताह में एक दिन कुटुंब के सभी लोग मिलकर भजन, सामूहिक भोजन, अच्छी बातों की चर्चा करें। परिवार संस्कारित हो, मेल-जोल के साथ रहे।
2 .सामाजिक समरसता बढ़ाने सभी वर्गों के लोगों को साल में एक बार सम्मानपूर्वक भोजन पर बुलाएं। घर के कर्मियों को भोजन पर बुलाएं। इससे समरसता बढ़ेगी। - पर्यावरण की रक्षा, बिना अन्न और पानी के कुछ समय तक जीवित रह सकते हैं लेकिन बिना ऑक्सीजन के एक पल रहना संभव नही है इसलिए परिवार को प्रति वर्ष 10 पेड़ लगाने और पेड़ों को बड़ा करने का संकल्प लेना चाहिए। हरियाली बढ़ाने का आंदोलन चलना चाहिए।
- स्व-आधारित जीवनशैली, स्वदेशी खानपान, वेशभूषा, अपनी मातृभाषा को सम्मान देना हमें सीखना होगा।
- नागरिक बोध, देश के नियम कानून का पालन करना होगा। राष्ट्र के प्रतीकों का सम्मान करना होगा।
कार्यक्रम की प्रस्तावना सुदर्शन प्रेरणा मंच के अध्यक्ष मोहन पवार ने रखी। आभार प्रदर्शन शिवनारायण मूंदड़ा ने किया कार्यक्रम का संचालन शशांक शर्मा ने किया। कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह क्षेत्र प्रचारक प्रेम सिदार, छत्तीसगढ़ प्रांत प्रचारक अभयराम, प्रांत संघचालक डॉ. टॉपलाल वर्मा, सांसद संतोष पांडे, विधायक, राजेश मूणत, खुशवंत साहेब, संपत अग्रवाल, अनुज शर्मा सहित विश्वविद्यालयों के कुलपति एवं पवन साय, गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।