स्वतंत्रता दिवस एवं रक्षाबंध के अवसर पर मंत्री केदार कश्यप का शुभकामना संदेश
छत्तीसगढ़रायपुर संभाग

Bhopal/ Raipur पार्किंग के मामले में बेहतर कौन? यहां तो लूट मची है-किरीट भाई ठक्कर

स्वतंत्रता दिवस एवं रक्षाबंध के अवसर पर मंत्री केदार कश्यप का शुभकामना संदेश

Bhopal/ Raipur पार्किंग छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर पहुंचकर कमिश्नर कार्यालय के सामने गाड़ी पार्क करने की सोच ही रहा था कि एक पुलिस कर्मी तुरंत मेरे पास पहुंचा , गाड़ी यहां पार्क ना करें , उसने कहा , हालांकि जगह काफ़ी थी, जिसे देखते हुये मैंने कहा कि कमिश्नर ऑफिस में मुझे कुछ ही समय का काम है, किन्तु पुलिस कर्मी ने हमारी एक नही सुनी। मजबूरन हमें काफी दूर एक नवनिर्मित मल्टीलेवल पार्किंग में जाकर गाड़ी पार्क करनी पड़ी। शुल्क दिया 30 रु , फिर वहाँ से हम पैदल कमिश्नर ऑफिस पहुंचे।


मेरे साथ मेरे एक मित्र भी थे। कमिश्नर कार्यालय से काम निपटा कर हम रेलवे स्टेशन की तरफ चले , स्टेशन के पार्किंग स्थल में गाड़ी खड़ी की , काम निपटाया और यहां हमने पार्किंग के 30 रु अदा किये। स्टेशन से समता कालोनी होते हुये हम फुल चौक पहुंचे , दोपहर हो चली थी सो रिफ्रेशमेंट के लिये हमने होटल मंजु ममता जाने का विचार किया। फूल चौक आरडीए काम्प्लेक्स कि पार्किंग में गाड़ी पार्क की , शुल्क दिया 30 रु। एक ही दिन में 90 रु एक शहर में गाड़ी खड़ी करने के ? अब तो हमने तौबा की, और अब इस शहर में कहीं और रुकने के बजाये यहाँ से निकल जाना ही उचित समझा।

भोपाल/ Raipur पार्किंग
  कुछ चार दिनों बाद मैं भोपाल में था , मध्यप्रदेश की राजधानी। यहां एमपी नगर तथा अन्य क्षेत्रों में घूमते- फिरते , मुझे फ़्री पार्किंग स्थल नजर आये। कुछ स्थानीय लोगों से फ्री पार्किंग को लेकर मैंने बातचीत की , उन्होंने बताया कि यहाँ बहुत से स्थानों पर फ्री पार्किंग की व्यवस्था है, सिर्फ हबीबगंज (रानी कमलापति रेलवेस्टेशन) या अन्य कुछ स्थानों पर ही पार्किंग चार्ज देना पड़ता है। 

भोपाल निवासियों के अनुसार आप अपनी " जवाबदेही , पर निशुल्क पार्किंग स्थलों में अपने दो पहिया चार पहिया वाहन पार्क कर सकते हैं।" जवाबदेही, की बात पर मैंने विचार किया कि शुल्क लेने के बाद भी अपने रायपुर के पार्किंग ठेकेदार या उनके गुर्गे कितने जवाबदेह हो सकते है ?     

हम गाड़ी खरीदते समय रोड टेक्स देते हैं , पेट्रोल डीजल भरवाते वक्त भी एक लीटर के पीछे अच्छा खासा टेक्स सरकारों को देना होता है। लंबी दूरी के सफर में नेशनल हाईवे में भी टोल टैक्स देना होता है। ड्राइविंग लाइसेंस बनवाते समय फीश के अतिरिक्त दलालों को दी गई रकम , इसके अलावा ट्रैफिक नियमों में कहीं आपसे चूक हुई नही की ,चालान कटा नही।

तब सवाल उठता है कि एक अदद और बेहद जरूरी वाहन के लिये जब हम सरकारों को इतना भुगतान करते हैं ,तो क्या हमें कहीं एक निशुल्क गाड़ी पार्किंग की सुविधा भी नहीं मिल सकती ? ढोल समझकर कब तक जनता को दोनों तरफ से बजाते रहोगे जनाब ? छोटे मोटे चार पहिया या दो पहिया वाहन रखना अब उच्च, मध्यम वर्गीय परिवारों के साथ साथ निम्न मध्यम वर्गीय परिवारों को भी आवश्यक हो गया है, क्योंकि राज्य में सार्वजनिक सड़क परिवहन निजी हाथों में है ,और उनके कारिंदों के आचार व्यवहार से आज कौन वाकिफ नही है ? परिवार की महिलाओं के साथ तो क्या कोई भला मानुष अकेले भी इन निजी बसों में सफर करना ” त्रासदी, समझता है।


स्मरण कीजिये , रायपुर भाठागांव के नये बस स्टैंड को प्रारम्भ हुये अभी कुछ ही महीने हुये होंगे , इस बीच अनेकों बार वहां की पुलिस इस बस अड्डे पर झूमते लहराते गरजते शोहदों पर कार्यवाही कर चुकी है। किन्तु स्थिति में सुधार अब भी नही है। ये सिर्फ एक बस स्टैंड की बात नही है ,कमोबेस अन्य नगरों शहरों कस्बों के बस अड्डे की भी यही स्थिति है। दो पहिया या चार पहिया वाहन रखना अब नागरिकों की मजबूरी है , इस मजबूरी का बेजा फायदा मत उठाइयो सरकार।

Onima Shyam Patel

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button