छत्तीसगढ़ महतारी की गोद में हर दिन हर उम्र की निर्भया की निकल रही चीखें
रेप के बढ़ते मामलों में छत्तीसगढ़ (chhattisgarh) भी अब पीछे नहीं रहा. सुख-समृद्धि और शांति से परिपूर्ण इस राज्य में भी अब हर दिन एक नन्हीं, बड़ी व बूढ़ी निर्भया की चीखे सुनाई दे रही है. इसका ताजा उदाहरण राखी जैसे पवित्र त्यौहार के दिन मंदिर हसौद में घटी गैंगरेप (gangrape) की घटना को ले या फिर शिक्षक दिवस के 1 दिन पहले ही जशपुर में एक शिक्षिका के साथ हुए इस घिनौनी कृत्य को लें. या फिर सुकमा जिले के एर्राबोर में कन्या आवासीय विद्यायल में 6 साल की मासूम से रेप (rape) का मामला हो. यह कहना गलत नहीं होगा की छत्तीसगढ़ महतारी की इस गोद में बेटियों की चीखें इन्हीं माँ के बेटों द्वारा की इस घिनौनी करतूत से निकल रही है.
छत्तीसगढ़ रेप के मामलों में देश में 12वें नंबर पर है। देशभर के राज्यों में हुई रेप की घटनाओं को लेकर NCRB ने रिपोर्ट जारी की है। ये वो आंकड़े हैं, जिनके केस पुलिस थानों में रजिस्टर हुए। देखा गया है कि रेप जैसी वारदातों में बहुत सी शिकायतें थानों तक पहुंचती ही नहीं।
Every day the screams of Nirbhaya of every age are coming out in the lap of Chhattisgarh Mahtari
10 आरोपियों ने बारी-बारी से सामूहिक दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया था
- गौरतलब है कि मंदिर हसौद में 31 अगस्त को रात में राखी बांधकर घर वापस आ रही दो सगी बहनों से दरिंदगी की गई थी । चाकू की नोक पर बंधक बनाकर 10 आरोपियों ने बारी-बारी से सामूहिक दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया था। मंगेतर से भी मारपीट की गई। मोबाइल और पैसे लूट लिए गए। पीड़िता में एक की उम्र 15 वर्ष है वहीं दूसरी की 19 वर्ष है। दो से ढाई घंटे तक यह घिनौना कृत्य करने के बाद आरोपी वहां से फरार हो गए। उनके चंगुल से छूटने के बाद पीड़िता ने लगभग रात एक बजे थाने में जाकर आपबीती सुनाई। वहीं पुलिस ने सुबह होते-होते सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।
शिक्षक दिवस के 1 दिन पहले ही शिक्षिका के साथ दो दरिंदों ने गैंगरेप किया था
- 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया गया , लेकिन उसके 1 दिन पहले ही शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है जहां एक शिक्षिका के साथ दो लोगों ने दरिंदगी को अंजाम दिया है। ये पूरा मामला जशपुर जिला से सामने आया है। जिले के दनगरी वाटर फॉल घुमाने ले गए दो युवकों ने निजी विद्यालय की शिक्षिका के साथ गैंगरेप किया।
कन्या आवासीय विद्यायल में 6 साल की मासूम से रेप
- सुकमा जिले के एर्राबोर में कन्या आवासीय विद्यायल में 6 साल की मासूम से रेप का मामला सामने आया था. इस वारदात के पांच दिन बाद अब पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है. बच्ची के साथ दुष्कर्म करने वाला कोई और नहीं बल्कि कन्या आवासीय विद्यायल में महिला भृत्य के पद पर तैनात महिला का पति है. आरोपी माड़वी हिड़मा ने मासूम बच्ची को अपने हवस का शिकार बनाया.
दुष्कर्म के मामलों में छत्तीसगढ़ देश में 12वें नंबर पर
दुष्कर्म के मामलों में छत्तीसगढ़ देश में 12वें नंबर पर है। देशभर के राज्यों में हुए दुष्कर्म की घटनाओं को लेकर एनसीआरबी द्वारा आकड़े जारी किए गए है। इस रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ में 2021 में 1093 दुष्कर्म के प्रकरण दर्ज किए गए है। जारी रिपोर्ट के अनुसार औसतन रोजाना तीन दुष्कर्म की घटनाएं हो रही हैं। यह वे आंकड़े हैं, जिनके केस पुलिस थानों में रजिस्टर हुए। जबकि अधिकांश प्रकरणों में लोकलाज के भय के चलते दुष्कर्म की घटनाओं में थानों तक शिकायत ही नहीं पहुंचती है। एनसीआरबी द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार दुष्कर्म की सर्वाधिक घटनाएं राजस्थान में 6337, मध्यप्रदेश में 2947, उत्तर प्रदेश में 2845, महाराष्ट्र में 2496, दिल्ली में 1250 बंगाल में 1123, हरियाणा में 1716 असम में 1733 प्रकरण दर्ज हुए है। वहीं केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में सबसे कम 2 दुष्कर्म की घटनाएं हुई है
बालिकाओं से हुए दुष्कर्म के प्रकरण बढ़े
प्रिवेंशन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस एक्ट यानी “पॉक्सो” के तहत छत्तीसगढ़ में पिछले 1 साल में 2361 केस दर्ज किए गए हैं। एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक, बच्चों के खिलाफ हुए अपराधों में आईपीसी और स्पेशल लोकल लॉ के तहत दर्ज मामलों में भी 2021 में इजाफा हुआ। रेकॉर्ड के अनुसार छत्तीसगढ़ में वर्ष 2019 में 5665, वर्ष 2020 में 5056 और 2021 में 6001 मामले दर्ज किए गए थे । इस लिहाज से वर्ष 2021 में बच्चों के खिलाफ ही अपराध बढ़ा है। इनमें बच्चों से मारपीट, प्रताडऩा, साइबर क्राइम संबंधी मामले हैं।
बिहार से आगे छत्तीसगढ़
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की ओर से जारी साल 2020 के आंकड़ों पर गौर करें तो दुष्कर्म के मामलों में बिहार से आगे छत्तीसगढ़ निकल चुका है। प्रदेश में 2019 में दुष्कर्म के 1036 मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि 2020 में 1210 मामले दर्ज हुए हैं, इन दो सालों में बिहार में 730 और 806 मामले दर्ज हुए। छत्तीसगढ़ में साल 2020 में हर दिन तकरीबन 3 दुष्कर्म की वारदातें हो रही हैं।
अपराध से लड़ने के लिए सबसे पहले समाज को भी जागरूक होना पड़ेगा
अधिवक्ता बृजेश नाथ पांडे का कहना है की अपराध से लड़ने के लिए सबसे पहले समाज को भी जागरूक होना पड़ेगा. देश की बात करें या फिर हमारे राज्य छत्तीसगढ़ की रेप जैसे घिनौनी कृत्य के प्रति या तो समाज का सजग न होना जिम्मेदार है या फिर सरकार का इस घटना के प्रति उदासीनता है. किसी भी विषय में सुधार की शुरुआत घर से ही होती है और वो करते हैं घर के बड़े बुजुर्ग एवं माता-पिता। हमारे घर की औरतें, बेटियां कहा आ रही हैं… कहा जा रही हैं… किनसे मिल रही हैं… इस बात की जानकारी पूरे घर को होनी चाहिए. अगर वे किसी काम से नौकरी से बाहर हैं तो उनसे हर वक्त संपर्क में रहना चाहिए. इसी तरह औरतों को भी सेल्फ डिपेंड होकर घटनाओं के प्रति सजग होना चाहिए. मेरे कहने का ये बिल्कुल तात्पर्य नहीं है की औरतों की आजादी छीन ली जाए. उन्हें भी समाज में पुरूषों के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर चलने की आजादी मिलनी चाहिए. पर स्वयं सजग रहे. घर से हर वक्त संपर्क में रहे. वहीँ आने वाली सरकार से आग्रह है की वे इस विषय पर और कठोर से कठोर कदम उठाये। मुजरिमों को सरकार और पुलिस का डर होना चाहिए, ऐसा कुछ किया जाये. पुलिस बल में और अधिक भर्ती कराएं, क्योंकि समाज में जितनी घटनाएं हो रही है उतनी हमारे पास बल नहीं है. ऐसी घटनाओं में प्रारंभिक विवेचना अच्छी होनी चाहिए। पुलिस को अपने साक्क्षय व् सबूतों की कड़ियों को जोड़कर घटना और मुख्य आरोपियों तक पहुंचना चाहिए, तब कही जाकर सही आरोपी को जल्द सही वक्त पर कठोर सजा मिल सकेगी. ऐसे देखा जाये तो “पॉक्सो” एक्ट व फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट आने से आरोपियों को जल्द सजा मिल रही है. फिर भी सरकार से आग्रह है की ऐस विषय पर और कार्य किया जाये एवं इसे लेकर पुलिस बल बढ़ाया जाये। वहीं बुजुर्ग औरतों व् नन्हीं बेटियों के साथ ऐसा घिनौना कृत्य होता है तो ऐसे आरोपियों को तो तुरंत कड़ी सजा मिलनी चाहिए.
ऐसे घिनौने कृत्य के पीछे मुख्य जिम्मेदार नशा
साइकोलॉजिस्ट डॉ. अमरुत मजूमदार (do. amrut majumdar) का मानना है की ऐसे घिनौने कृत्य के पीछे मुख्य जिम्मेदार नशा है. नशे का स्वभाव होता है की वे लिहाज कराना भूला देता है. नीतिगत और अनीतिगत क्या है आरोपी भूल जाता है. इससे होता क्या है की उनके सामने किस उम्र की फीमेल है, क्या गलत है क्या सही है उन्हें फर्क नहीं पड़ता. सिर्फ वे उन्हें सब्जेक्ट के रूप में देखते है. वहीँ आजकल इंटरनेट में गलत एक्सपोजर मिल रहा है. सारी चीजें परोस दी जा रही है. सोसायटी का माहौल ऐसा है की आरोपियों को घटना छोटी हो या बड़ी उन्हें सजा नहीं मिल पाती है. इससे वे छोटी के साथ बड़ी-बड़ी गलतियां कर जाते हैं. पेरेंट्स भी आजकल अच्छी परवरिश और दोस्ती माहौल देने के चलते बच्चों के सामने ही हर प्रकार की बातें, घटनायें, फ़िल्में सब बता और देख जाते हैं. इससे छोटी सी उम्र में ही बच्चों को आजकल सब कुछ पता हो जाता है. पेरेंट्स बच्चों को सिखाये-समझाए पर इस लिहाज से और उतना ही की वे उस दिशा में सही कार्य करें न की गलत कर बैठें। वहीँ ऐसे साइको आरोपियों की सजा के साथ इनकी साइकोलॉजी काउंसिलिंग भी होनी चाहिए। उन्हें साइकोलॉजिस्ट तरीके से ट्रीटमेंट मिलनी चाहिए.
निष्कर्ष
“वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए छत्तीसगढ़ राज्य में कानूनी कड़ाई की कमी देखी गई है। पिछले 2.5 वर्षों से अपराधों में आमूलचूल बढ़त हुई हैं, यह चिंता का विषय है। सरकार की अपराधों के संबंध में सजकता, सक्रियता और उनके रोकथाम हेतु व्यवहारिक इच्छाशक्ति ही अपराधियों पर अंकुश लगा सकती हैं। क्योंकि एक अपराधी को अपराध करने से केवल कानून एवं सरकार की शक्ति का भय ही रोक सकते है। जब तक अपराधी यह सोचेगा नहीं की, “ऐसा अपराध करने से मैं दंडित हो सकता हूं और दंडित इसलिए हो सकता हूं क्योंकि मैं गलत हूं” तब तक यह सब ऐसे ही चलता रहेगा।
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