स्वतंत्रता दिवस एवं रक्षाबंध के अवसर पर मंत्री केदार कश्यप का शुभकामना संदेश
तिल्दा : तिल्दा रेलवे फटाक से आम आदमी आम रहागीर काफी हलकान परेशान हो चुके हैं इस केबिन से आने जाने वाले वाहनों के मालिक सहित आम राहगीर काफी त्रस्त हो चुके हैं, उक्त रेल्वे केबिन एक बार बंद होता है उसके बाद आधे घंटे से भी अधिक देरी के बाद खुलता है, कभी-कभी तो आधे घंटे से ऊपर तक लोगों को उक्त रेल्वे केबिन के खुलने का इंतजार करना पड़ता है।
बता दे तिल्दा नेवरा औद्योगिक क्षेत्र है और इस मार्ग में बड़े-बड़े उद्योग स्थापित हैं जहां पर 24 घंटे छोटी बड़ी वाहनों का आवाजाही होते रहता है, साथ ही इस रेल्वे फाटक से सैकड़ो गांव भी जुड़ती है जहां भी दो पहिया , चार पहिया वाहनो से लोगों का आना-जाना निरंतर लगा रहता है, साथ ही उक्त तिल्दा रेलवे केबिन से लोग काफी त्रस्त हो चुके हैं, यह रेलवे केबिन एक बार बंद हो जाए तो बिना छह-सात ट्रेनों के निकले बिना नहीं खोला जाता।
वही (जीएमआर) अदानी पावर प्लांट से भी कोयले की मालगाड़ियां आती जाती है , कोयला खाली कर जब मालगाड़ी वापस आती है तो उसे केबिन के बीचो-बीच खड़ी कर दी जाती है जिससे कभी-कभी घंटो तक इंतजार आम लोगों को करना पड़ता है,साथ ही यहां पर बता दें कि रेलवे में नियम पहले हर 11 मिनट में रेलवे केबिन,(फाटक) को खोलने का था लेकिन अब परिवर्तन कर इसे 13 मिनट कर दिया गया है, हर 13 मिनट के बाद रेलवे फाटक को खोलने का नियम है लेकिन मजाल है कि 13 मिनट में यह तिल्दा रेलवे केबिन को खोला जाए, आधे आधे घंटे से अधिक देर तक यह रेलवे फाटक बंद रहता है जिससे इस मार्ग पर आने जाने वाले मरीजों को भी भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है।
रेलवे के अधिकारियों को कई बार इस बारे में अवगत कराया जा चुका है , उनसे कई बार इस विषय में बात की गई लेकिन उनका हमेशा कहना रहता है कि यह कंट्रोल से होता है और कंट्रोलर हमारे बस में नहीं है, रेलवे के अधिकारियों की मनमानी की वजह से ही यह रेलवे फाटक आधे आधे घंटे से अधिक देरी तक बंद रहते हैं जिससे आम राहगीरों को भारी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। इस रेल्वे फाटक पर ओवर ब्रिज एवं अंडर ब्रिज प्रस्तावित है लेकिन इसके निर्माण का भी अब तक अता पता नहीं है।