स्वतंत्रता दिवस एवं रक्षाबंध के अवसर पर मंत्री केदार कश्यप का शुभकामना संदेश
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annihilation of caste आंदोलन छत्तीसगढ़ ने की RSS के हिंदूवादी विचारधारा का विरोध

स्वतंत्रता दिवस एवं रक्षाबंध के अवसर पर मंत्री केदार कश्यप का शुभकामना संदेश

annihilation of caste 11 अप्रैल को ज्योतिबा फुले जयंती पर 14 अप्रैल को बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जयंती तक जाति उन्मूलन आंदोलन के पक्ष में विशेष अभियान चलाया जा रहा है। अभियान के तहत आर एस एस के वैचारिक आधार मनुवादी हिंदुत्व का विरोध किया जा रहा है।


अभियान की जानकारी देते हुए कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि 1936 में जब लाहौर के जात पात तो रख मंडल ने बाबा साहब अंबेडकर को पहले सभापति के रूप में आमंत्रित किया और फिर भारत की क्रूर जाति व्यवस्था अमानवीय हिंदुत्व के बारे में उनके क्रांतिकारी विचारों को जानकर उन्हें लाहौर के सम्मेलन में आमंत्रित नहीं करने का निर्णय लिया। बाबा साहब ने जाति उन्मूलन के साथ से अपनी पुस्तिका को छिपाया और वितरित किया।


उस समय उन्होंने युगांतर कारी बात कही थी कि भारत में अमानवीय जाति व्यवस्था को उखाड़ छह के बिना कोई लोकतांत्रिक समाज नहीं बन सकता इसके लिए उन्होंने भारतीय जनता को जो दुश्मनों से लड़ने को कहा था एक ब्राह्मणवाद तो दूसरा पूंजीवाद शहीद भगत सिंह ने भी ब्रिटिश साम्राज्य को उखाड़ फेंकने के साथ-साथ उसकी दलाल भारतीय पूंजीवाद से भी हमें लड़ने को कहा था। आज की तारीख में हम देखते हैं कि ब्राह्मणवाद स्वादिष्ट r.s.s. के वैचारिक आधार मनुवादी हिंदुत्व का रूप धारण कर आज के पूंजीवाद जिसे अदानी अंबानी का कॉर्पोरेट राज कर सकते हैं का अटैक बना हुआ है।

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बाबा साहब अंबेडकर की एक बात और हमें नहीं भूलना चाहिए कि हिंदू राष्ट्र की स्थापना भारत के अंधकार में युग की शुरुआत है। 2014 के मध्य में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से दुनिया का सबसे पुराना और सबसे बड़ा फासीवादी संगठन r.s.s. भारत को एक हिंदू राष्ट्र के रूप में बदलने की दिशा में सुनियोजित ताबड़तोड़ आक्रमण में लगा हुआ है आर एस एस का वैचारिक आधार मनुस्मृति है। जिसके अनुसार दलितों कुछ पीड़ितों महिलाओं और गरीब मेहनत करो को इंसान का दर्जा नहीं दिया जाता।

इसके अलावा इनके तथाकथित हिंदू राष्ट्रीय जो कि आप हिंदुओं के लिए नहीं हैं बल्कि अदानी अंबानी जैसे धनकुबेर ओं के लिए है मैं आर एस एस मुसलमानों को नागरिकता और मानव अधिकारों से वंचित करती है विशेष रूप से मोदी के दूसरे कार्यकाल के तहत 2019 के बाद से भारत मोदी नॉमिक्स का एक क्रूर स्वरूप भी देख रहा है जो आज क्रॉनिक कैपिटल इज में जुआरी दरबारी पूंजीवाद का भारतीय संस्करण है और अखिल भारतीय स्तर पर पूर्ण रूप से कॉर्पोरेट भगवा फासीवाद का बहु आयामी संस्करण है। आज भगवा 986 वाद के तहत देश का समूचा सामाजिक ताना-बाना अत्यधिक विभाजन कारी नीतियों और संप्रदायिक उकसावे के जरिए भयावह विघटन का सामना कर रहा है।


आज इस तथाकथित हिंदू राष्ट्र में लोगों के बीच आपसी द्वेष नफरत और विभाजन पैदा किया जा रहा है जिससे दलितों उस पीड़ित महिलाओं और अल्पसंख्यकों में असुरक्षा की भावना पैदा हो रही है राज्य सत्ता के समर्थक समर्थन से आर एस एस ने भारत में सभी संवैधानिक और प्रशासनिक संस्थानों के भगवाकरण के अलावा सामाजिक जीवन के हर पहलू को अपने जाल में फंसाने में सफलता हासिल की है 2019 के मध्य से यानी मोदी के नेतृत्व में हिंदुत्व आक्रमण को एक अतिरिक्त गति मिली दूसरी बार सत्ता में आने के 3 महीने के भीतर मोदी ने संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के साथ शुरू होने वाली फासीवादी वालों की एक श्रृंखला शुरू की।

जिससे एक और कश्मीर के टुकड़े हो गए और दूसरी और इसे जबरन भारतीय संघ ने एकीकृत कर दिया गया संविधान को मानने की शपथ लेने के बावजूद धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन करते हुए मोदी ने स्वयं बाबरी मस्जिद के स्थान पर राम मंदिर निर्माण की नींव रखी जिसके बाद सी ए एन आर सी के जरिए मुसलमानों के खिलाफ नागरिकता के अधिकार के मुद्दे पर भेदभाव करना और उन्हें दूसरे दर्जे का नागरिक बनाने की ओर अग्रसर है।
अगला कदम नई शिक्षा नीति एमपी 2020 के माध्यम से शिक्षा का भगवाकरण और कॉपरेटिव करण राज्यों पर हिंदी और संस्कृत को थोपना और भारत के इतिहास वह संस्कृति को संप्रदाय तथा विकृत बनाना जारी है बेशक उनका एजेंडा बहुराष्ट्रीय बहुभाषी बहु सांस्कृतिक बहु जाती है और बहू धार्मिक भारत को कॉर्पोरेट के प्रभुत्व वाले 12 संख्यक हिंदू राष्ट्र में बदलना है।


मौजूदा स्थिति में विधानसभा चुनाव में हिंदू वोट बैंक को मजबूत करने और 2024 के साथ चुनाव में भगवा स्विच के लिए जमीन तैयार करने और हिंदू राष्ट्र के पक्ष में आर एस एस के मार्गदर्शन में बीजेपी द्वारा छत्तीसगढ़ समेत उन राज्यों में जहां विधानसभा चुनाव होने वाले हैं धर्म संसद और तथाकथित संत बाबाओं को इकट्ठा कर पदयात्रा समेत कई नफरत ही दंगा भड़काऊ हिंदुत्ववादी बुलडोजर चलाया जा रहा है।
अब इस भगवा आक्रमण की श्रृंखला में नवीनतम चोट समान नागरिक संहिता और आर्थिक आधार पर आरक्षण हैं जाहिर है।

डॉक्टर अंबेडकर द्वारा प्रस्तुत किए गए संवैधानिक रूप से अनिवार्य जाति आधारित आरक्षण का उद्देश्य सामाजिक जीवन के सार्वजनिक क्षेत्रों में उच्च जातियों के हमले से उत्पीड़ित जातियों की रक्षा करना था दलितों आदिवासियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण का अधिकार सामाजिक न्याय की दिशा में एक जनवादी अधिकार है लेकिन आर्थिक आरक्षण को शामिल करके 103 वां संविधान संशोधन जिसे सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में समर्थन लिया है मोदी शासन ने जाति आधारित आरक्षण को कमजोर कर दिया है। जिसका उद्देश्य ब्राह्मणवादी ऊंची जातियों द्वारा अछूत और उत्पीड़ित जातियों के खिलाफ किए गए।

ऐतिहासिक अन्याय को सुधारना था इस तरह जहां आरक्षण को निजी क्षेत्रों और परेड घरानों के तहत लागू करने की पहल करनी थी वहां संघ परिवार के मार्गदर्शन में उसे पूरी तरह खत्म करने का आयोजन किया जा रहा है।
इसी संदर्भ में जाति उन्मूलन आंदोलन निर्मम जाति व्यवस्था और ब्राह्मणवादी धार्मिक कट्टरपंथ पाखंड के खिलाफ शोषित पीड़ित जनता की मुक्ति के नवजागरण आंदोलन के अग्रदूत गण ज्योतिबा फुले की जयंती 11 अप्रैल से लेकर बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर की जयंती 14 अप्रैल तक जाति उन्मूलन आंदोलन के पक्ष में स्वच्छता अभियान चलाने का प्रगतिशील जनता से आवाहन करती है।

साथ ही मुस्लिम विरोधी दलित विरोधी किसान मजदूर आम मेहनतकश जनता और पितृसत्तात्मक और महिला विरोधी आर एस एस के ब्राह्मणवादी मनुवादी फासीवादी के खिलाफ मेहनतकश वर्ग देशभक्त जनवादी धर्मनिरपेक्ष प्रगतिशील आवाम और तमाम उस पीड़ितों से अपील करते हैं कि आर एस एस के वैचारिक आधार मनुवादी हिंदुत्व के खिलाफ उठ खड़े हो तथा स्थित कब्र खोदने और एक सच्चे जनवादी भारत के निर्माण के लिए सावित्रीबाई फुले फातिमा शेख गुरु घासीदास ज्योतिबा फुले पेरियार शहीद भगत सिंह बाबा का अंबेडकर के सपनों के भारत का निर्माण करने के लिए जाति उन्मूलन आंदोलन को आगे बढ़ाएं।

Onima Shyam Patel

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