छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव की घोषणा कर दी गई है.सभी राजनितिक पार्टिया अपने -अपने प्रत्याशियों की सूचि जारी कर दिया है.इस बीच छत्तीसगढ़ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और बिलासपुर के सांसद अरुण साव लोरमी सीट से प्रत्याशी बनाए गए हैं. इस सीट पर 30 हजार के आसपास साहू मतदाता हैं, लेकिन इससे ज्यादा संख्या एससी मतदाताओं की है. 50 हजार के आसपास एससी मतदाता हैं. 18 हजार आदिवासी और 42 से 45 हजार सामान्य वर्ग के मतदाता हैं. साहू वोट बैंक से ज्यादा एससी और आदिवासी वोट बैंक पर फोकस करना होगा.
अरुण साव 2019 के चुनाव में बिलासपुर लोकसभा से सांसद चुने गए. 6 महीने पहले ही छत्तीसगढ़ में एकतरफा बहुमत के साथ कांग्रेस की सरकार बनी थी. कांग्रेस को 68 सीटें मिली थीं. इसके बाद यह माना जा रहा था कि 11 की ज्यादातर सीटें कांग्रेस के खाते में जा सकती हैं, लेकिन राज्य में भले ही मतदाताओं ने कांग्रेस को जिताया, लेकिन केंद्र में मोदी सरकार को पसंद किया. भाजपा के 9 सांसद जीते. इनमें अरुण साव भी थे. मूलतः मुंगली के रहने वाले साव को लोरमी सीट से 71081 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस के प्रत्याशी अटल श्रीवास्तव को 50075 वोट मिले थे.
हालांकि, ये भी ध्यान रखने लायक है कि तब चुनाव प्रत्याशी पर नहीं पीएम नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लड़ा गया था। बहरहाल, 1993 से लेकर 2023 तक भाजपा ने लोरमी में लगातार सात बार साहू कंडिडेट उतारा है। इसमें से इस बार अभी चुनाव होने बाकी हैं। इससे पहले छह बार में से सिर्फ दो बार भाजपा जीती है। 1993 में मुनीराम साहू इसलिए जीत गए थे कि कांग्रेस ने धर्मजीत सिंह दावेदारी को नकारते हुए बैजनाथ चंद्राकर को टिकिट दे दिया था। इससे धर्मजीत सिंह के समर्थक नाराज हो गए थे। इस वजह से मुनीराम को जीतने का मौका मिल गया। वहीं, 2013 के विधानसभा चुनाव में तोखन साहू इसलिए जीत गए क्योंकि कांग्रेस में भीतरघात हो गया था।
विधानसभा चुनाव के लिहाज से देखें तो साव के लिए यह काफी चुनौतीपूर्ण होगा, क्योंकि अपनी सीट के साथ-साथ प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते उन्हें दूसरी सीटों पर भी ध्यान देना होगा. साहू समाज की अच्छी खासी संख्या होने से यहां साव को फायदा मिलेगा, वहीं, चार बार लोरमी के विधायक रहे धर्मजीत सिंह का भी लाभ मिलेगा, क्योंकि उनका अपना वोट बैंक है. पिछले चुनाव में जब कांग्रेस की लहर थी, तब भी धर्मजीत सिंह यहां से जीते थे. यहां भी कांग्रेस के प्रत्याशी तीसरे नंबर पर चले गए थे. इससे लगी कोटा सीट पर भी यही हश्र हुआ था. हालांकि तखतपुर में भाजपा तीसरे नंबर पर थी और दूसरे नंबर पर बसपा के संतोष कौशिक थे.
कांग्रेस प्रत्याशी घोषित नहीं Chhattisgarh Assembly Election:
लोरमी सीट पर अभी तक कांग्रेस ने प्रत्याशी के नाम का ऐलान नहीं किया है. यहां जोगी कांग्रेस ने भी पत्ता नहीं खोला है. माना जा रहा है कि दोनों दलों से नाम घोषित होने के बाद स्थिति ज्यादा स्पष्ट होगी. लेकिन कांग्रेस की कोशिश होगी कि गैर साहू प्रत्याशी को उतारकर साहू वर्सेज ऑॅल की स्थिति पैदा की जाए, जिससे अरुण साव को उनके ही घर में घेरा जा सकें। उधर, भाजपा इस बात को लेकर आशान्वित है कि लोरमी सीट से चार बार धर्मजीत सिंह ने प्रतिनिधित्व किया. उनकी क्षेत्र में पकड़ थी, इसीलिए वे कांग्रेस की बजाय जोगी कांग्रेस से लड़कर जीते थे.
इसका फायदा भाजपा को मिलेगा. 2018 में कांग्रेस का ही वोट बैंक जोगी कांग्रेस में शिफ्ट हुआ था, इसलिए यहां भाजपा कांग्रेस में ही मुकाबला होगा. अरुण साव को दूसरा फायदा पार्टी प्रेसिडेंट के चलते सीएम फेस का मिलेगा। जाहिर है, उनके समर्थक अरुण को मुख्यमंत्री का चेहरा सामने रखकर वोट मांगेंगे। ये अलग बात है कि पार्टी अभी सीएम का कोई फेस क्लियर नहीं किया है। मगर पार्टी अध्यक्ष के नाते साव की दावेदारी तो रहेगी।