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हरियाणा में डोल गई BJP के ‘नायब’ की कुर्सी! नंबरों से समझिए, कितने खतरे में सरकार

हरियाणा में डोल गई BJP के ‘नायब’ की कुर्सी! नंबरों से समझिए, कितने खतरे में सरकार

हरियाणा में बीजेपी की नायब सिंह सैनी सरकार (Haryana Political Crisis) खतरे में आ गई है. तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापस लेने के बाद विधानसभा में बीजेपी का नंबर गेम बिगड़ गया है. अब बीजेपी के सामने सरकार बचाने की चुनौती खड़ी हो गई है. राज्य विधानसभा में अल्पमत में आई नायब सैनी सरकार कैसे इस खतरे से निपटेगी, ये बड़ा सवाल है. हरियाणा में मंगलवार से ही सियासी हलचल तेज है. हरियाणा की मौजूदा सरकार से नाराजगी के चलते निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान (दादरी), रणधीर सिंह गोलन (पुंडरी) और धर्मपाल गोंदर (नीलोखेड़ी) ने अपना समर्थन वापस ले लिया है. धर्मपाल गोंदर ने तो नायब सैनी सरकार को किसान और गरीब विरोधी करार दे दिया है. हरियाणा विधानसभा में क्या है बहुमत का आंकड़ा और कैसे बिगड़ा बीजेपी का नंबर गेम, यहां समझें.हरियाणा विधानसभा में अगर सीटों का गणित समझें तो सत्ताधारी दल के पास 45 विधायक होने जरूरी हैं. फिलहाल नायब सिंह सैनी सरकार के पास 43 विधायक थे, जिसमें से अब 3 विधायकों ने समर्थन वापस ले लिया है, जिसके बाद उनके पास अब 40 विधायक रह गए हैं. हरियाणा की 90 सदस्यीय विधानसभा में सदस्यों की मौजूदा क्षमता 88 है. विधानसभा में बीजेपी के 40, कांग्रेस के 30 और जेजेपी के 10, 6 निर्दलीय, 1 विधायक इनोले और 1 विधायक हरियाणा लोकहित पार्टी से है. विधानसभा में दो सीटें अभी खाली हैं, जिस पर 25 मई को उपचुनाव होना है. नायब सिंह सैनी सरकार के पास बहुमत से दो विधायक कम हैं. वर्तमान में नायब सैनी सरकार को दो अन्य निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त है, जिन्होंने अब समर्थन वापस लेते हुए सरकार का साथ छोड़ दिया है. जिसके बाद सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. कहा जा रहा है कि जेजेपी के 10 विधायकों में से 6 उनसे संतुष्ट नहीं हैं. असंतुष्ट और बागी विधायकों में पूर्व पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली अब तक फैसला नहीं ले सके हैं कि वह बीजेपी के साथ जाएंगे या कांग्रेस के साथ जाएंगे. बबली और गौतम का झुकाव बीजेपी की तरफ है. नरवाना के विधायक राम निवास सुरजाखेड़ा और बरवाला के जोगीराम सिहाग का बीजेपी के लिए प्रेम सबके सामने आ चुका है. दुष्यंत चटाला, अनूप धानक, नैना चौटाला और अमरजीत टांडा को झोड़कर बाकी के छह विधायक बागी माने जा रहे हैं. अब इनका साथ बीजेपी को मिल सकता है.नायब सिंह सैनी कैसे बने रहेंगे मुख्यमंत्री?हालांकि नायब सिंह सैनी फिलहाल हरियाणा के मुख्यमंत्री बने रहेंगे. जब तक सदन में अविश्वास प्रस्ताव में उसकी हार नहीं हो जाती है, तब तक उनकी सरकार को अल्पमत में नहीं माना जाएगा.समझना ये भी जरूरी है कि हरियाणा सरकार को अल्पमत साबित करने के लिए विपक्षी दलों को सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाना होगा. लेकिन बड़ी बात ये है कि कांग्रेस मार्च में हरियाणा विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाई थी, ऐसे में तकनीकी तौर पर अभी विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव सरकार के खिलाफ नहीं लाया जा सकता,  क्यों कि दो अविश्वास प्रस्ताव के बीच कम से कम 180 दिन का गेप होना जरूरी होता है. क्यों नाराज हैं निर्दलीय धर्मपाल गोंदर?लेकिन क्यों कि तीन निर्दलीय विधायकों ने समर्थन वापस ले लिया है, तो नायब सिंह सैनी सरकार को अल्पमत में माना जा रहा है, लेकिन यह साबित करना भी जरूरी होगा. बता दें कि बीजेपी सरकार से नाराजगी के चलते करनाल के नीलोखेड़ी से निर्दलीय विधायक धर्मपाल गोंदर ने साफ कर दिया कि वह अब कांग्रेस को समर्थन करेंगे. तीन विधायकों के समर्थन वापस लेने  के बाद हरियाणा सरकार खतरे में है. धर्मपाल गोंदर का कहना है कि उनको किसी भी चुनावी कार्यक्रम में बुलाया तक नहीं गया. उनका कहना है कि सिर्फ कांग्रेस पार्टी ही गरीबों और किसानों के बारे में सोचती है धर्मपाल गोंदर का कहना है कि उन्होंने राज्यसभा चुनाव और राष्ट्रपति चुनाव, दोनों में नायब सैनी को अपना समर्थन दिया था. नीलोखेड़ी, तरावड़ी, निसिंग में कई कार्यक्रम हुए, लेकिन उनको किसी में भी नहीं बुलाया गया. अब उन्होंने वहां की जनता के कहने पर अपना समर्थन उनसे वापस ले लिया है. उनका कहना है कि कांग्रेस गरीबों, किसानों के हित की पार्टी है. इलाके की जनता ने उनको आशीर्वाद दिया था.निर्दलीय विधायक ने क्यों वापस लिया बीजेपी से समर्थन?नाराजगी जताते हुए गोंदर ने कहा कि उनके यहां पर हुए किसी भी चुनावी कार्यक्रम में बीजेपी ने उनको नहीं बुलाया. हालांकि उन्होंने ये भी साफ कर दिया कि फिलहाल वह कांग्रेस में शामिल नहीं हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि मंत्री पद का उनको कोई लालच नहीं था. वह तो बस अपने क्षेत्र का काम करवाना चाहते थे.बता दें कि धर्मपाल गोंदर करनाल के नीलोखेड़ी से विधायक हैं, जो कि एक आरक्षित सीट है. उन्होंने यहां से निर्दलीय चुनाव जीता था और बीजेपी सरकार को समर्थन दिया था. सरकार से नाराजगी के चलते अब उन्होंने अपना समर्थन वापस ले लिया है. जिसकी वजह से नयाब सिंह सैनी सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं.ये भी पढ़ें-Explainer: अल्पमत में पहुंचने के बाद भी क्यों सेफ है हरियाणा की नायब सरकार? कांग्रेस का एक ‘कदम’ बना वजहये भी पढे़ं-एयर इंडिया एक्सप्रेस की 78 उड़ानें रद्द, एक साथ सिक लीव पर गए 300 कर्मचारी

तीन निर्दलीय विधायकों ने हरियाणा (Haryana Political Crisis) की नायब सिंह सैनी सरकार से समर्थन वापस ले लिया है, तो अब सरकार को अल्पमत में माना जा रहा है, लेकिन इसे राज्य विधानसभा में साबित करना भी जरूरी होगा.
Bol CG Desk

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