राष्ट्रीय पार्टियों के दोहन से छत्तीसगढ़ होगा मुक्त , छत्तीसगढ़ में माटीवादी राजनीति का हुआ आगाज…

छत्तीसगढ़ में लगभग पिछले एक दशक से लगातार छत्तीसगढ़िया मजदूर, किसान, आम जनता के लिये सड़क की लड़ाई लड़ते छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना को प्रदेश वासियों ने देखा है। चाहे वह आम छत्तीसगढ़िया की पीड़ा हो चाहे यहां की मूल भाषा, संस्कृति की लड़ाई हो या यहां के प्राकृतिक संसाधनों की मची लूट को दमदार तरीके से रोकने की जद्दोजहद हो, क्रान्ति सेना अपने तेवर के साथ सबसे आगे खड़ी होती है आवाज बनेंगे।
लेकिन छत्तीसगढ़ में सक्रिय दोनों राष्ट्रीय पार्टियां यह नहीं चाहतीं कि कोई संगठन यहां की मूल समस्याओं को उठाएं जिससे उन्हें अपने आला कमान के लिये छत्तीसगढ़ की तिजोरी लुटाने में कोई तकलीफ हो। प्रदेश अध्यक्ष अमित बघेल ने बताया कि हमारे द्वारा किये जा रहे लोकतांत्रिक आंदोलनों के दौरान भी मौजूदा सरकारों ने हमपर गलत धाराएं लगा कर लगातार हमें जेल भेजकर हमें समाप्त करने कि कोशिशें की हैं। इस मामलें में दोनो राष्ट्रीय पार्टियों के नेता एक होकर हमें प्रताड़ित करते हैं।
हम हमेशा गैरराजनीतिक ही रहना चाहते थे और दस साल रहे भी लेकिन इन्हीं सब घटनाओं को लगातार देखते झेलते हुए छत्तीसगढ़ के युवा, बुजुर्गों, महतारी और बहनों ने हमें दृढ़तापूर्वक आदेश किया कि अब राजनीति में उतर कर शोषकों को ललकारने की जरूरत है । कब तक लाठी खाते रहोगे और जेल जाते रहोगे । अब हमने कठिन निर्णय लिया कि जेल जाते रहने के बजाय लोकतंत्र के मंदिर छत्तीसगढ़ विधानसभा में जाकर छत्तीसगढ़ के लाखों दबे- कुचले लोगों को आवाज बनेंगे।
प्रदेश सचिव चंद्रकांत यदु ने कार्यक्रम के बारे में विस्तार से बताया कि पगबंधी- जोहार नामक यह विशाल सभा रायपुर एयरपोर्ट रोड में स्थित फुंडहर गांव के भांठा में होगी जिसमें क्रान्ति सेना के राजनैतिक विंग चुनाव आयोग द्वारा पंजीकृत क्षेत्रीय दल के नाम एवं आबंटित चुनाव चिन्ह की घोषणा होगी जिसके तहत पूरे प्रदेश भर में विधानसभा के लिये प्रत्याशी उतारे जाएंगे।
उक्त आमसभा के पगबंधी जोहार नामकरण के पीछे का विश्लेषण करते हुए उन्होंने बताया कि जब भी नई पीढ़ी को घर की मुखियाई सौंपी जाती है तब समाज के बीच में सिर पर पगड़ी बांध कर पगबंधी नामक रस्म अदा किया जाता है। यह एक तरह से पुराने युग की घिसी-पीटी दिल्लीवादी राजनीति को खत्म कर वास्तविक क्षेत्रीय समस्याओं से रुबरु होकर मजबूत छत्तीसगढ़ियावादी राजनीति की जोरदार शुरुआत है ।