Exclusive: 22 साल के लड़के के जोश से नेहरू के रिकॉर्ड तक, PM मोदी के इंटरव्यू की खास बातें
Exclusive: 22 साल के लड़के के जोश से नेहरू के रिकॉर्ड तक, PM मोदी के इंटरव्यू की खास बातेंलोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Elections 2024) के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए 370 और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के 400 पार सीटों का टारगेट रखा है. BJP के चुनाव प्रचार की कमान खुद पीएम मोदी ने संभाल रखी है. 73 की उम्र में भी उनमें गजब की एनर्जी दिखती है. पीएम मोदी रोज रात को 3 से 4 घंटे सोते हैं. चुनावी कैंपेन के लिए वो हर दिन अलग-अलग राज्य में जाकर 3 से 4 जनसभाएं कर रहे हैं. कई जगह तो उनके रोड शो भी हो रहे हैं. ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि पीएम मोदी को 73 की उम्र में भी 22 साल के लड़के जितनी एनर्जी कहां से मिलती है? इसका जवाब खुद पीएम ने दिया है.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को NDTV के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में चुनावी मुद्दों के अलावा, अपने व्यक्तिगत जीवन और डेली रूटीन पर सवालों के जवाब दिए. पीएम ने ये भी बताया कि उन्हें राजनीति के अलावा और किन-किन चीजों में दिलचस्पी है. भी है जिंदा है मेरे अंदर का विद्यार्थीपीएम कहते हैं, “जब आप जीवन भर एक विद्यार्थी की अवस्था में रहते हैं, तो मन से हमेशा फ्रेश रहते हैं. क्योंकि इस दौरान आपमें सीखने की प्रवृत्ति रहती है. सभी के शरीर की संरचना के भीतर भी मन की अवस्था बहुत बड़ी होती है. मेरे केस में मेरे अंदर का विद्यार्थी जीता रहता है. वो बिल्कुल जीवंत है. मेरी इच्छा हमेशा कुछ न कुछ नया सीखने और नया समझने की होती है. उसी का नतीजा है कि मैं एनर्जेटिक लगता हूं.”मन की रचना का है फर्कप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी एनर्जी को समझाने के लिए कंप्यूटर ऑपरेटर और सितारवादक का उदाहरण दिया. मोदी ने कहा, “एक कंप्यूटर ऑपरेटर होता है. दिनभर कंप्यूटर पर हाथ चलाता रहता है. वो शाम को जब नौकरी करके घर जाता होगा, तब देखेंगे कि वो कितना थका-थका है. जबकि उम्र 50 साल भी नहीं होती है. दूसरी ओर, एक सितारवादक होता है. वो भी उंगली का खेल करते हैं. 80 साल की बाद भी देखेंगे कि वो कितने जीवंत हैं. वो कितने फ्रेश लगते हैं. इन दोनों में फर्क मन की रचना का है.”पीएम मोदी ने कहा, “एक कंप्यूटर ऑपरेटर पूरे दिन काम के बाद थका-थका घर पहुंचता है, जबकि एक सितारवादक 80 की उम्र में भी जवां दिखता है. फर्क उम्र या ऊंगली नहीं, बल्कि मन की रचना का है.”जब काम पूरा होता है तो उतर जाती है थकानमोदी ने कहा, “दुनिया जैसे जीती है, वैसा तो सब जीते हैं. लेकिन अगर आप जीने का साइंस जानते हैं, तो मुझे नहीं लगता कि संकटों से गुजरना पड़ता है. जब काम पूरा होता है, तब थकान उतर जाती है. जब काम पड़ा रहता है, तभी थकान लगती है. यानी काम करने से थकान दूर होती है. हमें एक्टिव रहना चाहिए.”पीएम ने बताया जनता का कैसे बढ़ा भरोसापीएम मोदी ने कहा, “हिंदुस्तान के सभी जगहों पर, समाज के सभी वर्गों में, चाहे गांव हो या शहर, अशिक्षित हो या शिक्षित… हर एक में बीजेपी ने अपनी जगह बनाई है. ये एक लंबी तपस्या का परिणाम है, जो आज देश में बीजेपी के प्रति एक श्रद्धाभाव बना है. दूसरा- बीजेपी के पास एक संगठन की ताकत है. हमारी प्लानिंग बहुत बारीकी से होती है. यानी 30 वोटर पर कम से कम 1 कार्यकर्ता रहे. संगठन की शक्ति ही सारी चीजों को चैनलाइज करती है. मुझे लंबे समय से पार्टी की लीडरशिप का मौका मिला है. इससे मेरी एक पहचान बनी है. जब एक व्यक्ति की पहचान बनती है, तो उसका ट्रैक रिकॉर्ड एक भरोसा पैदा करता है. लोगों को हवाबाजी नहीं लगती. लोगों में भरोसा बना है कि हर स्टेप पर बीजेपी का एक लीडर है, जो उसकी मदद कर सकता है. इसका फायदा बीजेपी को मिल रहा है.”बीजेपी करती है नारी शक्ति का सम्मानमोदी ने कहा, “जहां तक महिलाओं का सवाल है… तो मैं कहूंगा कि मुझे समाज के सभी वर्गों का सहयोग है. निश्चित तौर पर महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है. ये भागीदारी सिर्फ चुनाव में नहीं, बल्कि हर क्षेत्र में बढ़ रही है. देश सक्रिय है. अब महिलाओं को लगने लगा है कि वो भी देश के लिए कुछ कॉन्ट्रिब्यूट कर रही हैं. उनका विश्वास बन रहा है. इस चुनाव में भी महिलाओं का उत्साह है. बीजेपी के प्रति महिलाओं का जो झुकाव है, उसके पीछे की वजह है कि बीजेपी ने मातृ शक्ति पर बल दिया है. हमारी सरकार के कार्यक्रमों में भी महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले ही स्थान दिया जाता है. ये वोट बैंक के लिए नहीं किया जाता. हमारा मानना है कि भारत की विकास यात्रा में अगर 50 फीसदी आबादी यानी नारी शक्ति जुड़ जाती है, तो हमारा देश तेजी से आगे बढ़ेगा.” पीएम कहते हैं, “मैं लखपति दीदी बनाने का कार्यक्रम लेकर चल रहा हूं. 3 करोड़ लखपति दीदी बनने का मतलब है कि वो गांव की अर्थव्यवस्था का नेतृत्व करेगी. इस बदलाव का फर्क तो पड़ता है.”परमात्मा ने मुझे किसी उद्देश्य से भेजापीएम नरेंद्र मोदी से महात्मा मोदी तक के सफर में क्या जिम्मेदारियां बढ़ने का अहसास होता है? जवाब में पीएम मोदी कहते हैं, “हर एक की अपनी-अपनी भावना होती है. आपको मेरे लिए अपशब्द कहने वाले भी मिलेंगे और मेरे लिए अच्छी भावना दिखाने वाले भी. अगर अच्छी भावना पहुंचती है, तो उसे कोई ठेस न पहुंचे… ये देखना मेरा कर्तव्य है. मैं उस कर्तव्य को निभाने की कोशिश करता हूं.” मोदी कहते हैं, “बेशक कोई मुझे मूर्ख कह सकता है या पागल समझ सकता है, लेकिन मैं इस बात को लेकर आश्वस्त हूं कि परमात्मा ने मुझे किसी उद्देश्य से धरती पर भेजा है. जब वो उद्देश्य पूरा होगा, तो परमात्मा मेरा काम भी पूरा कर देगा. मैं पूरी तरह से परमात्मा को समर्पित हूं. परमात्मा अपने पत्ते खोलता नहीं है. मुझसे करवाता रहता है.”भ्रम फैलाने में माहिर है कांग्रेसमोदी ने कहा, “देश में भ्रम पैदा करना, वातावरण बदलना, नए-नए मुद्दे जोड़ते रहना और विपक्ष को ऐसे मुद्दों पर रिएक्ट करने के लिए मजबूर कर देना, कांग्रेस की एक सोची समझी रणनीति है. ऐसा करने से देश के मतदाताओं पर इसका कोई प्रभाव नहीं होगा. शायद टीवी मीडिया में स्पेस मिल जाए.”