छत्तीसगढ़रायपुर संभाग

गजानन महाराज संस्थान ने मनाई वीर सावरकर की जयंती…

रायपुर : भारत स्वतंत्र होने के पश्चात देश की राज्य सत्ता इंग्लैंड मे शिक्षित, पश्चात्य विचारों से ग्रस्त लोगो के हाथ मे चली गयी जो देश को निधर्मी राष्ट्र बनाना चाहते थे। वो अपने इस मिशन मे कामयाब भी हो जाते यदि सावरकर के द्वारा अंडमान की काला पानी की जेल से छुट कर आने के पश्चात देश के वैचारिक और बौद्धक मंच पर गहन कार्य कर “हिंदुत्व” का दर्शन न दिया गया होता।

यदि सावरकर न होते तो हम् अब तक एक नास्तिक या निधर्मी राष्ट्र बन चुके होते। ये कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा की विगत् 22 जनवरी को मोदी ने अयोध्या मे भगवान राम के जन्म स्थान पर जिस मंदिर मे प्राण प्रतिष्ठा की वो मंदिर वीर सावरकर के विचारों की नीव पर ही खड़ा हुआ है।”

उपरोक्त विचार प्रखर राष्ट्रवादी चिंतक और विचारक आशीष पंडित ने तात्याटोपे नगर संघ और संत गजानन महाराज (शेगांव) संस्थान द्वारा संयुक्त रूपेण आयोजित वीर सावरकर जयंती के अवसर पर “वीर सावरकर के विचारों की वर्त्तमान समय मे प्रासंगिकता” इस विषय पर अपने उद्बोधन मे व्यक्त किये। उन्होंने आगे सावरकर को युग दृष्टा बताते हुए कहा की खिलाफत आंदोलन, उस से उपजे केरल के मोपला नरसंहार,मुस्लिम लीग का दिनों दिन शक्तिशाली होना और उसे अंग्रेजो से मिल रहे प्रश्रय को देख कर सावरकर ने भविष्य मे होने वाले देश के अवशम्भावी विभाजन को बहुत पहले ही भांप लिया था और उन्होंने यह भी जान लिया था की विभाजन के पश्चात यदि देश के दो टुकड़े होंगे तो देश की सेना भी विभाजित की जाएगी और जो देश की वर्त्तमान सेना मे मुस्लिम सैनिक है वो पाकिस्तानी सेना मे चले जाएगे ऐसे मे भारत के पास जो हिंदू सैनिक बचेंगे उनकी संख्या बहुत कम होगी जो देश की सुरक्षा करने के लिए अपर्याप्त होगी इस लिए उन्होंने सेना मे हिंदुओ की संख्या बढ़ाने के लिए “हिंदु समाज के सैनिकीकरण” के सिद्धांत का प्रतिपदान कर बड़ी संख्या मे हिंदुओ को द्वितीय विश्व युद्ध के समय ब्रिटिश सेना मे भारती करवाया।

उन्होंने आगे बोलते हुए वीर सावरकर के दो सिद्धांत “राजनीति का हिन्दुकरण और हिन्दुओ का सैनिकीकरण” तथा “धर्मान्तरण ही राष्ट्रांतरण है” का विषद विवेचन किया और केंद्र सरकार द्वारा लागु की गयी अग्निवीर योजना को सावरकर जी के “हिन्दुओ का सैनिकीकरण” के सिद्धांत का धरातल पर प्रकटीकरण होना बताया।

वीर सावरकर द्वारा प्रतिपादित “शत्रुबोध” पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने वीर सावरकर के जाति उन्मूलन, अस्पृश्यता उन्मूलन,स्त्री शिक्षा,दलितों का मंदिर प्रवेश आदि सामाजिक क्षेत्र के विचारों की आज के समय मे प्रासंगिकता पर बोलते हुए अंत मे भाषा के क्षेत्र मे और विशेष कर राष्ट्र भाषा हिंदी को सावरकर जी द्वारा कैसे नये शब्दों द्वारा समृद्ध किया गया इस विषय पर बोल कर अपना वक्तव्य समाप्त किया गया।

कार्यक्रम के प्रारंभ मे सभी अतिथियों ने वीर सावरकर के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन किया। गजानन महाराज संस्थान के अध्यक्ष अविनाश बल्लाल ने सपने स्वागत भाषण मे सभी उपस्थित जानो का स्वागत करते हुए वीर सावरकर के संपूर्ण जीवन को देश और समाज के लिए उपयोगी बताया। बल्लाल ने सावरकर के क्रांतिकारी जीवन,उनको मिली अंडमान की सजा और उनके द्वारा देश को स्वतंत्र करवाने के लिए उठाये गये कष्टों का उल्लेख कर सावरकर के माफीनामे के नाम पर उनके विरोधियो द्वारा की जा रही बदनामी का भी ऐतहासिक प्रमाणो द्वारा खंडन किया ।

कार्यक्रम के अंत मे सभी अतिथियों को संस्थान की ओर से शाल और श्रिफल भेट किया गया व संस्थान के सचिव अरुण डोंणगांवकर द्वारा आभार प्रदर्शन किया गया। इस कार्यक्रम का सफल मंच संचालन वैशाख कुसरे द्वारा किया गया कार्यक्रम मे तात्याटोपे नगर संघ चालक संजय जोशी मंच पर उपस्थित थे साथ ही गजानन महाराज संस्थान के संस्थापक राजा भट,उपाध्यक्ष और कार्यक्रम सयोजक जयंत तापस, उदय पुराणिक, तन्मय बक्शी,सौ.माधुरी देशमुख,सौ सीमा परेतकर,सौ.अमिता बल्लाल, उदय रावले, किशोर गिरिभट, वासुदेव बावलीवाले, हर्षल बल्लाल,डॉ.आचार्य, विश्वास कुसरे, सुनील परेतकर, दवड़ा,सुधीर परेतकर, आशीष गणोदवाले सहित बड़ी संख्या मे युवा व प्रबुद्ध जन उपस्थित थे।

Bol CG Desk (L.S.)

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