पुलिस विभाग में गोलमाल पार्ट-1, देखिए गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू, छत्तीसगढ़ में आम और खास के अलग कानून, बिना ट्रैक्सी रजिस्ट्रेशन के वाहन किराये पर…
रायपुर (बोल छत्तीसगढ़)। पुलिस विभाग में गोलमाल छत्तीसगढ़ पुलिस में वाहन किराया में बड़ी लापरवाही सामने आई है। पुलिस आम लोगों की वाहन जांच करती है, लेकिन विभाग ने जो किराये पर वाहन लिया है, उसकी जांच नहीं की है। कई बिना टैक्सी रजिट्रेशन के चल रही है। ऐसा नहीं की विभाग को इसकी जानकारी नहीं है, सच पता होने के बाद भी विभाग में गाड़ियां धड़ल्ले से दौड़ रही है।
इसका खुलासा आईटीआई में मिले दस्तावेज से हुआ है।
गौरतलब है कि विभाग पुलिस अधिकारियों के लिए व पेट्रोलिंग ड्यूटी के लिए वाहन किराये पर लेती है। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में विभाग ने दर्जनों स्कार्पियों किराये पर ली है। यानी स्कार्पियों ट्रैक्सी के रूप में चल रही है। इसके लिए ट्रैक्सी रजिट्रेशन होना अनिर्वाय है, इसके बिना सड़क पर स्कार्पियो नहीं चला सकती। लेकिन पुलिस ने ऐसे वाहनों को किराये पर लिया, जिसका ट्रैक्सी रजिस्ट्रेशन नहीं है।
बड़ सवाल यह कि पुलिस खुद आम लोगों की वाहनों की जांच करती है, पर खुद के लिए वाहन किराये पर लेने पर जांच क्यों नहीं की गई। अगर की है तो बिना रजिस्ट्रेशन वाले वाहनों को जानबूझकर किराये पर क्यों ली? क्या इसमें विभाग की मिलीभगत है, यह एक बड़ा सवाल है?
क्या कहते हैं नियम
बिना टैक्सी रजिट्रेशन वाहन सड़क पर दौड़ रही वो भी कानून के रक्षकों के साथ है। यह नियमों के विपरीत है। व्यावसायिक उपयोग करते हैं तो उसका रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। नहीं कराने वाले पर जुर्माने का भी प्रावधान है।
किसके है स्कार्पियो
बिना रजिस्ट्रेशन के चलने वाले ये स्कार्पियों किसी आम इंसान के नहीं है, ये बकायदा ट्रेवल्स एजेंसी की है, वो भी छत्तीसगढ़ के नामी ट्रेवल्स है, ये नाम निर्मित ट्रैवेल्स और राहुल ट्रैवेल्स है जो बिना रजिस्ट्रेशन के गाड़ियां चला रहे हैं।
पुलिस विभाग में भ्रष्टाचार!
आरटीआई कार्यकर्ता जयराम दुबे का कहना है कि जब गरीब इंसान अपने काम से जा रहा होता है तो उनकी बाइक पकड़ी जाती है, ट्रैफिक पुलिस उनसे लाइसेंस, इंस्यूरेन्स, प्रदूषण सर्टिफिकेट मांगता है। जब ये सारी दस्तावेज न दिखा पाये तो आपको अधिकार है कि ये दस्तावेज आप सात दिनों में उपलब्ध करा सकते है लेकिन पुलिस ऐसा करने नहीं देती।
पुलिस गरीब इंसान से चालान के लिए दबाव बनाता है वो आपकी चाबी जबरदस्ती छिन लेती है। और कहता है आपकी गाड़ी जब्ती कर दूंगा, कई लोग सेटलमेंट करते हैँ यानी घूस देते है। क्योंकि छत्तीसगढ़ सरकार की जुर्माने की राशि इतनी है कि वह चालान नहीं दे पाता। मजबूरन घूस देनी पड़ती है।
लेकिन पुलिस विभाग की गाड़िया ही नियम विरुद्ध चल चल रही है। ये लापरवाही भृष्टाचार राजधानी रायपुर में हो रही है, जहां मुख्यमंत्री, गृहमंत्री रहते हैं।
विभाग की कई गाड़ियां बिना टेक्सी रजिस्ट्रेशन के चल रही है। ये गाड़ियां विभिन्न थानों में चल रही है, वहीं कई गाड़ी माइक टू (एडीशनल एसपी), माइक थ्री के पास चल रही है। इससे किसी को कोई तकलीफ नहीं है। नियम की परवाह नहीं है। इन गाड़ियों का इन्सुरेंस तक नहीं है। परिवहन विभाग में रजिस्ट्रेशन नहीं है। इ न गाड़ियों को 80 हजार तक किराया दिया जा रहा है। चोर को पकड़ने का काम पुलिस का है, और जब पुलिस चोरी करे तो उसे कौन पकड़ेगा!
DSP चंद्रप्रकाश तिवारी ने मीडिया को नहीं दिया बयान
वाहन किराये पर रखने की जिम्मेदारी DSP चंद्रप्रकाश तिवारी के पास है, जब इस संबंध में उनसे विभाग का पक्ष जाना चाहा तो वे मीडिया से बचते नजर आये। उन्होंने मीडिया को बयान नहीं दिया। बोल छत्तीसगढ़ की टीम dsp के ऑफिस में गई। एकबार नहीं कई बार गई लेकिन वे ऑफिस में नहींँ मिले। जानकारी मिली की साहब ऑफिस में आते नहीं, सिर्फ दर्शन देने एक डेढ़ घंटे के लिए आते है, फिर चल देते हैं। इसके बाद जब मोबाइल से संपर्क किया तो वे बोले सुबह मिलूंगा, दोपहर शाम को मिलूंगा कहके तरकाते रहे।
इस रिपोर्ट से समझ सकते है कि नियम कानून सिर्फ दबे कुचले आम इंसानों के लिए हैं। लेकिन इसके रखवाले पर कोई नियम कानून लागु नहीं होती! संविधान में सबके लिए बराबर है तो यहाँ भेदभाव क्यों? अब इस पर अगली रिपोर्ट का इंतजार कीजिए।
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