IMT trilateral highway अखंड भारत की ओर अग्रसर मोदी सरकार, जानिए IMT मार्ग के रणनीतिक,राजनीतिक और व्यापारिक महत्व
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IMT trilateral highway “ईज़ ऑफ बिजनेस, अंतरराष्ट्रीय व्यापार के अवसर, थल मार्ग से व्यापार को होने वाले फायदे
अब जल्दी ही आप कोलकाता (भारत) से बैंगकॉक (थाईलैंड) सड़क से जा पाएंगे, अंतरराष्ट्रीय त्रिपक्षीय हाईवे होगा चालू
इसे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपाई ने प्रस्तावित किया था। वर्तमान में भारतीय चैंबर ऑफ कॉमर्स एवं भारतीय विदेश मंत्रालय के संयुक्त कार्यक्रम में इस प्रोजेक्ट की चर्चा एवं घोषणा हुई।
आने वाले 04 वर्षों में इस प्रोजेक्ट को अंतिम दिशा देते हुए। त्रिपक्षीय हाईवे का प्रचलन सक्रिय रूप से शुरू हो जाएगा। इस त्रिपक्षीय प्रोजेक्ट में भारत, म्यानमार (ब्रह्मदेश) एवं थाईलैंड, इन तीनो देशों की सरहदों पर हाईवे बनेगा।
क्या सच में मोदी है मुमकिन है?
भारत सरकार दक्षिण-पूर्व एशिया से सड़क कनेक्टिविटी पर नए सिरे से विशेष जोर दे रही है। 13 नवंबर 2016 को भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग (IMT trilateral highway राजमार्ग) मैत्री कार रैली को भारत के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग, शिपिंग और रसायन व उर्वरक राज्य मंत्री मनसुख लाल मंडाविया द्वारा दिल्ली में हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया था। सरकार के मुताबिक, इस रैली का उद्देश्य इन तीनों देशों के बीच मोटर वाहन समझौते (MVA) के संभावित लाभों से हितधारकों को अवगत कराना था। इससे पहले, 8 सितंबर 2016 को लाओस की राजधानी विएंटिएन में आयोजित 14वें भारत-आसियान शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्षेत्रीय समूह आसियान (दक्षिण-पूर्वी एशियाई राष्ट्रों के संघ) के साथ भारत के संबंधों को और मजबूत बनाने की आवश्यकता पर बल दिया था।
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संबंधित देशों के लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने के पहले कदम के रूप में समग्र कनेक्टिविटी और खासकर भौतिक कनेक्टिविटी के महत्व पर विशेष जोर देते हुए मोदी ने IMT राजमार्ग का विस्तार इससे भी आगे कंबोडिया, लाओस और वियतनाम तक करने के लिए कनेक्टिविटी पर एक संयुक्त कार्यदल का गठन करने का प्रस्ताव किया। इससे महज एक महीने पहले अगस्त 2016 में म्यांमार के राष्ट्रपति हटिन कयाव की भारत यात्रा के दौरान म्यांमार में IMT trilateral highway राजमार्ग के तमु-क्इगोन-कलइवा खंड और कलइवा-यार्गी खंड में पुलों और संपर्क सड़कों के निर्माण एवं उन्नयन के लिए दो MOU पर हस्ताक्षर किए गए थे।
मेकांग उप-क्षेत्र पर भारत द्वारा नए सिरे से कूटनीतिक फोकस ऐसे समय में किया जा रहा है जब इस क्षेत्र में चीन, अमेरिका, भारत और जापान सहित प्रमुख शक्तियों के बीच भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा काफी बढ़ गई है। कारण यह है कि इस उप-क्षेत्र में उनके हित एक-दूसरे से अलग-अलग होने के साथ-साथ आपस में टकरा भी रहे हैं। चूंकि भारत ने मोदी सरकार की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति के तहत सीएलएमवी देशों (कंबोडिया, लाओस, म्यांमार एवं वियतनाम) और थाईलैंड के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने के लिए अपने कूटनीतिक प्रयासों में तेजी ला दी है, इसलिए आईएमटी राजमार्ग परियोजना भारत-मेकांग संबंधों और विस्तृत दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ‘गेम चेंजर’ साबित हो सकती है। IMT trilateral highway
चूंकि भारत और आसियान ने संयुक्त कार्यदल के गठन के प्रस्ताव को बाकायदा आगे बढ़ा दिया है, इसलिए ऐसे में म्यांमार होते हुए भारत से थाईलैंड तक की परियोजना के मूल खंड को पूरा करने की आवश्यकता अब और भी अहम प्रतीत होने लगी है। इस लेख (पेपर) में आईएमटी राजमार्ग के महत्व एवं वर्तमान स्थिति पर गौर किया गया है, जिसके तहत इसके प्रक्रियात्मक, वित्तीय और नौकरशाही संबंधी पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इसमें परियोजना का प्रभावकारी और समय पर कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए विशिष्ट सिफारिशें पेश की गई हैं। वर्तमान में यही भारत एवं मेकांग देशों और काफी विस्तृत दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्र के बीच क्रियान्वित की जा रही एकमात्र भूमि संपर्क (कनेक्टिविटी) परियोजना है। IMT trilateral highway
IMT trilateral highway मेकांग उप-क्षेत्र के माध्यम से चीन को जवाब, मोदी सरकार की रणनीति
मेकांग उप-क्षेत्र, जिसे भारत सरकार ने ‘सीएलएमवी देश’ नाम दे रखा है, मुख्य भूमि दक्षिण-पूर्व एशिया का एक प्रमुख हिस्सा है और यह भूमि मार्ग से बंगाल की खाड़ी को दक्षिण चीन सागर से जोड़ता है। भारत के लिए इस उप-क्षेत्र का रणनीतिक महत्व इस तथ्य में निहित है कि यह बंगाल की खाड़ी में एक सीएलएमवी देश म्यांमार के साथ लंबी भूमि एवं समुद्री सीमाओं को साझा करता है और इसके एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार वियतनाम का दक्षिण चीन सागर, जिससे होकर भारत का लगभग 50 फीसदी व्यापार गुजरता है, में चीन के साथ समुद्री क्षेत्रीय विवाद जारी है। IMT trilateral highway
चीन के अभ्युदय का सीधा प्रभाव हाल के वर्षों में सीएलएमवी देशों में देखा जा रहा है क्योंकि चीन सभी सीएलएमवी देशों के या तो सबसे बड़े या एक व्यापारिक और निवेश भागीदार के रूप में उभर रहा है। चूंकि चीन का धन इसके आसपास के देशों में फैल रहा है, इसलिए मेकांग उप क्षेत्र के गरीब और छोटे देश चीन की अर्थव्यवस्था की ओर आकर्षित हो रहे हैं। चीन रणनीतिक मोर्चे पर सीएलएमवी देशों की भू-रणनीतिक अवस्थिति का लाभ उठाता रहा है, ताकि हिंद महासागर तक पहुंचा जा सके और रेल एवं सड़क नेटवर्कों का निर्माण कर और ऊर्जा पाइपलाइनों को बिछाकर इन देशों की अर्थव्यवस्थाओं को चीन की विशाल और मजबूत अर्थव्यवस्था के साथ जोड़ा जा सके। IMT trilateral highway
चीन ने नई उच्च और मध्यम गति वाली रेल सेवाओं के जरिए अपने दक्षिण-पश्चिम प्रांत युन्नान की राजधानी कुनमिंग को दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ जोड़ने की भी योजना बनाई है। नवंबर 2016 में लाओस ने अपनी राजधानी विएंटिएन को कुनमिंग के साथ जोड़ने के लिए एक रेलवे समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह रेल लाइन वर्ष 2020 तक पूरी हो जाने की उम्मीद है क्योंकि इसके लिए चीन में काम पिछले दिसंबर से ही चल रहा है। एक अन्य रेल लाइन कुनमिंग से वियतनाम और कंबोडिया तक बिछाई जाएगी। इससे पहले, चीन ने तेल और गैस पाइपलाइनें बिछाईं जो म्यांमार होते हुए बंगाल की खाड़ी से लेकर युन्नान तक जाती हैं। इसी तरह पाइपलाइनों के बिल्कुल साथ-साथ रेल पटरियों और सड़कों का निर्माण करने की भी योजना है।
इन रेल लाइनों, जिसे चीन ‘पैन-एशियन रेलवे नेटवर्क’ कहता है, के साथ-साथ ये गलियारे चीन की प्रस्तावित ‘वन बेल्ट, वन रोड (ओबीओआर)’ पहल का हिस्सा होंगे और इसके साथ ही ‘इ्ंडोचाइना पेनिनसुला कॉरिडोर’का निर्माण करेंगे, जो ओबीओआर के छह ट्रांस-रीजनल इकोनॉमिक कॉरिडोर से एक है। एक महत्वपूर्ण बात यह है कि सभी सीएलएमवी देशों ने इस पहल को आधिकारिक सहमति प्रदान कर दी है। हालांकि, इन देशों के समर्थन का स्तर अलग-अलग है। लाओस और कंबोडिया ओबीओआर के ‘सबसे अधिक समर्थक’ रहे हैं। जुलाई 2016 में चीन की अपनी यात्रा के दौरान म्यांमार की सरकारी सलाहकार एवं विदेश मंत्री आंग सान सू की ने ओबीओआर पहल का ‘स्वागत’ किया था।
ओबीओआर पहल के साथ चलने संबंधी अपने आधिकारिक बयान के बावजूद वियतनाम ‘सबसे कम समर्थक’ रहा है। चूंकि चीन सीएलएमवी देशों के साथ एवं उनके माध्यम से और अधिक गलियारे बना रहा है, अत: इस उप-क्षेत्र में उसकी राजनीतिक एवं आर्थिक ताकत का और ज्यादा बढ़ना तय है। चीन की पहल पर उभरते गलियारों में मेकांग राष्ट्रों के रणनीतिक हितों को चीन के रणनीतिक हितों के साथ और ज्यादा जोड़ने की काफी क्षमता है।
इन 10 महत्वपूर्ण बिंदुओं के माध्यम से IMT trilateral highway के महत्व को समझिए
1. यह देश को दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ भूमि से जोड़ेगा और तीनों देशों के बीच व्यापार, व्यवसाय, स्वास्थ्य, शिक्षा और पर्यटन संबंधों को बढ़ावा देगा।
2. यह म्यांमार के माध्यम से मोरेह, भारत को माई सॉट, थाईलैंड से जोड़ेगा ।
3. यह भारत की पूर्व की ओर देखो नीति का एक हिस्सा है जो एक क्षेत्रीय शक्ति के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ आर्थिक और रणनीतिक संबंधों को विकसित और मजबूत करेगा ।
4. यह परियोजना इस क्षेत्र में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के सामरिक प्रभाव के प्रतिकार के रूप में भारतीय स्थिति में मदद करेगी ।
5. भारत, म्यांमार और थाईलैंड के बीच अंतर-सरकारी बातचीत के तहत कार्गो और यात्री वाहनों के आवागमन को विनियमित करने और सुगम बनाने के लिए प्रोटोकॉल के साथ एक मोटर वाहन समझौता है ।
अंतर्राष्ट्रीय भूमंडल-जीवमंडल कार्यक्रम क्या है?
6. म्यांमार में त्रिपक्षीय राजमार्ग का निर्माण दो खंडों में किया जाएगा: (1) 120.74 किलोमीटर कलेवा-याग्यी सड़क खंड का निर्माण , और; (2) 149.70 किलोमीटर तामू-क्यिगोन-कलेवा (टीकेके) सड़क खंड पर पहुंच मार्ग के साथ-साथ 69 पुलों का निर्माण। दोनों परियोजनाओं को म्यांमार को अनुदान सहायता के तहत भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित किया जा रहा है।
7. भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) को तकनीकी निष्पादन एजेंसी और परियोजना प्रबंधन सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया है।
8. यह चार लेन का IMT trilateral highway होगा जो लगभग 1,360 किमी (850 मील) है।
9. भारत-म्यांमार मैत्री सड़क, मोरेह-तमु-कलेम्यो-कलेवा को जोड़ने वाली सड़क सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा बनाई गई थी जो अब त्रिपक्षीय राजमार्ग IMT trilateral highway का एक हिस्सा बन रही है।
10. यह परियोजना आसियान-भारत मुक्त व्यापार क्षेत्र के साथ-साथ शेष दक्षिण पूर्व एशिया के साथ व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा देगी । भारत ने कंबोडिया, लाओस और वियतनाम तक राजमार्ग का विस्तार करने का भी प्रस्ताव रखा है।
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