छह साल लगे बनने में, हीरो ने रिलीज से पहले देखी फिल्म तो बोले- मैंने डायरेक्टर पर भरोसा किया…
छह साल लगे बनने में, हीरो ने रिलीज से पहले देखी फिल्म तो बोले- मैंने डायरेक्टर पर भरोसा किया…साउथ की फिल्मों के टॉपिक इन दिनों काफी हटकर है. कहानी से लेकर टेक्नोलॉजी तक हर मोर्चे पर साउथ के डायरेक्टर और एक्टर नए-नए प्रयोग करते नजर आ रहे हैं. ऐसी ही एक फिल्म गामी है. जिसकी चर्चा इन दिनों हर ओर है. फिल्म में विश्वाक सेन और चांदनी चौधरी लीड रोस में हैं. हाल ही में गामी का एक प्री-रिलीज इवेंट हुआ था. इसमें विश्वाक सेन ने गामी को लेकर चौंकाने वाली बात कही हैं. उन्होंने कहा कि इस फिल्म को देखकर जब मैं निकला तो मैं काफी दुखी था. बेशक यह बात काफी चौंकाने वाली है. लेकिन इस बात को उन्होंने फिल्म की कहानी को लेकर कहा है.अनिल कपूर और श्रीदेवी की वो फिल्म जो प्रोड्यूसर के लिए बन गई श्रापविश्वाक सेन की गामीगामी के एक्टर विश्वास सेन ने कहा, ‘मैंने आंख बंद करके अपने डायरेक्टर विद्याधर पर भरोसा किया. मैं जिंदगी में कई शानदार लोगों से मिला हूं लेकिन विद्याधर उन सबमें से ईमानदार है. गामी की वजह से मुझे एक दोस्त और फैमिली मेम्बर मिला. हमने बहुत ही ईमानदारी के साथ फिल्म बनाई. गामी के लिए हमने कई रिस्क लिए और उम्मीद है कि उनका फल भी हमें मिला. गामी को देखने के बाद मैं बहुत ही भारी मन के साथ निकला. गामी को आसानी से भुलाया नहीं जा सकता और घर जाने के बाद भी यह आपको सताती है. यह ऐसी फिल्म है जिस पर आप सबको गर्व होगा. हमारी पूरी टीम में सिर्फ चांदनी ही एक लड़की थी. हिमालय की ऊंचाइयों में भी उन्होंने बहुत ही शानदार तरीके से शूटिंग को अंजाम दिया है.’ गामी ट्रेलरगामी का बजटविश्वाक सेन की गामी की बात करें तो इसका बजट लगभग 15 करोड़ रुपये बताया जा रहा है और यह तेलुगू फिल्म है. इस फिल्म की शुरुआत क्राउड फंडिंग के जरिये हुई थी, लेकिन बाद में यूवी क्रिएशंस इसके साथ जुड़ गई और फिल्म ने अलग ही रूप अख्तियार कर लिया. फिल्म आठ मार्च को रिलीज हो रही है और फैन्स के बीच इस फिल्म का बहुत ही बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है. गामी एक एडवेंचर ड्रामा फिल्म है जिसे बनाने में लगभग छह साल का समय लग गया. फिल्म की शुरुआत 2018 में हुई थी. फिल्म में अघोर के विषय को उठाया गया है. विश्वाक सेन को अघोर के किरदार में देखा जा सकेगा. गामी प्लॉटविश्वाक सेन की गामी की कहानी शंकर की है जो एक अघोर है और माली की पत्तियों की खोज में निकला है. इनकी पत्तियों से उसकी एक अलग ही किस्म की बीमारी का इलाज संभव है. ये पत्तियां हर 36 साल में निकलती हैं और वो भी हिमालय की द्रोणगिरी की पहाड़ियों में. ऐसे में शंकर को तय सीमा में अपने इस सफर को पूरा करना है, वर्ना उसे 36 साल का इंतजार करना पड़ेगा. इस सफर में आंध्र प्रदेश की एक देवदासी और एक वैज्ञानिक भी उसके साथ है. इस तरह यह तीन लोगों का सफर है.