रतन टाटा के अनसुने किस्सों के साथ जानिए अब तक कौन-कौन रहे टाटा समूह के चेयरमैन
रतन टाटा के अनसुने किस्सों के साथ जानिए अब तक कौन-कौन रहे टाटा समूह के चेयरमैन View this post on InstagramA post shared by Ratan Tata (@ratantata)1998 में रतन टाटा ने अपनी कंपनी की पहली कार लॉन्च की. टाटा इंडिका को 1998 में लॉन्च किया गया था, जो डीजल इंजन वाली पहली भारतीय हैचबैक कार थी. इसके 25 साल पूरे होने पर रतन टाटा ने लिखा था, ’25 साल पहले, टाटा इंडिका की लॉन्चिंग से भारत के स्वदेशी पैसेंजर कार उद्योग का जन्म हुआ था. यह सुखद यादें हैं और इसके लिए मेरे दिल में एक खास जगह है. आज भी यह कार मेरे लिए अच्छी यादों का खजाना है. मेरे दिल में इस कार के लिए खास जगह है.’ हुआ घाटा फिर ये कियाघड़ी की सुई किस तरह घूमती है. रतन टाटा को कार बनाने से घाटा होने लगा.रतन टाटा ने अपनी कार कंपनी को बेचने का मन बनाया. वर्ष 1999 में वह फोर्ड को बेचने के लिए अमेरिका गए. अमेरिका के डेट्रायट में फोर्ड के अधिकारियों के साथ रतन टाटा और अन्य शीर्ष अधिकारियों की बैठक को याद करते हुए टाटा समूह के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘उन्होंने हमसे कहा ‘आपको कुछ पता नहीं है, आखिर अपने यात्री कार सेक्शन में कदम रखा ही क्यों? उन्होंने कहा कि टाटा की कार कंपनी को खरीदकर टाटा पर एहसान करेंगे.’यह बात रतन टाटा को चुभ गई. इसके बाद उन्होंने अपनी कार कंपनी पर और निवेश किया और नौ साल बाद ही टाटा समूह ने अमेरिकी कंपनी फोर्ड के प्रमुख ब्रांड जगुआर और लैंड रोवर को खरीद लिया.रतन टाटा आखिरी समय तक रहे अकेले, खुद बताई थी अपनी प्रेम कहानी…यहां जानिए उनकी लव स्टोरीसभी की हो कारView this post on InstagramA post shared by Ratan Tata (@ratantata)रतन टाटा का सपना था कि भारत का हर आदमी कार पर चले. इसके लिए एक लाख रुपये में कार लॉन्च की. 10 जनवरी 2008 को नैनो कार का उदघाटन कर के उन्होंने अपने सपने को पूरा किया.उन्होंने खुद इसके बारे में सोशल मीडिया पर लिखा था, “भारतीय परिवारों का बच्चों के साथ स्कूटर पर भीगते हुए या गर्मी में परेशान चेहरा अक्सर सड़कों पर दिख जाता था. इसी ने मुझे वास्तव में इस तरह की कार बनाने के लिए प्रेरित किया.”फिल्मों में भी आजमाया हाथरतन टाटा ने फिल्म इंडस्ट्री में भी किस्मत आजमाई थी, लेकिन उन्हें रिलायंस कंपनी की तरह सफलता नहीं मिली. आज से 20 साल पहले रतन टाटा ने अपने करियर की पहली फिल्म पर पैसा लगाया था, जो अपना बजट भी नहीं निकाल पाई थी. इस तरह यह फिल्म रतन टाटा की पहली और आखिरी फिल्म बनकर रह गई. दरअसल, विक्रम भट्ट ने अमिताभ बच्चन, जॉन अब्राहम और बिपाशा बसु को लेकर रोमांटिक साइकोलॉजिकल थ्रिलर फिल्म ‘ऐतबार’ डायरेक्ट की थी, जो 23 जनवरी 2004 को रिलीज हुई थी. इस फिल्म को रतन टाटा के इन्फोमीडिया फिल्म प्रोडक्शंस के तहत बनाया गया था.फिल्म ने घरेलू बॉक्स ऑफिस पर 4.25 करोड़ रुपये और वर्ल्डवाइड बॉक्स ऑफिस पर महज 7.96 करोड़ रुपये का बिजनेस किया था. ‘ऐतबार’ बॉक्स ऑफिस पर अपना बजट भी नहीं निकाल पाई थी. फिल्म का बजट 9.50 करोड़ रुपये था. ऐसे में फिल्म पर लगाया रतन टाटा का पैसा और फिल्म इंडस्ट्री में आगे बढ़ने की उम्मीद दोनों ही डूब गए. ‘ऐतबार’ इतनी बड़ी फ्लॉप फिल्म साबित हुई कि रतन टाटा की दोबारा किसी फिल्म पर पैसा लगाने की कभी हिम्मत ही नहीं हुई.एयर इंडिया वापस लियाWelcome back, Air India ?? pic.twitter.com/euIREDIzkV— Ratan N. Tata (@RNTata2000) October 8, 2021 68 साल बाद एयर इंडिया की घर वापसी भी रतन टाटा ने करवा ली. 1953 तक टाटा समूह ही एयर इंडिया की मालिक थी. टाटा संस ने भारत सरकार से एयर इंडिया का मालिकाना हक 2022 में फिर से खरीद लिया. टाटा संस ने सरकार से एयर इंडिया 18 हजार करोड़ रुपये में खरीदा. एयर इंडिया के मालिकाना हक़ के लिए टाटा संस ने एयर इंडिया के लिए सबसे बड़ी बोली लगाई. इसका मालिकाना हक मिलने पर रतन टाटा बेहद खुश हुए थे.देश की सुरक्षा में रहे तत्परCongratulations to Airbus Defence, Tata Advanced Systems Limited and the Indian Defence Ministry ? @tataadvanced @indiandefence @AirbusDefence @TataCompanies pic.twitter.com/3pNvA4slMR— Ratan N. Tata (@RNTata2000) September 24, 2021 यूं तो टाटा के ट्रक शुरू से ही भारतीय सेना में लिए जाते रहे हैं, लेकिन रतन टाटा के आने के बाद छोटे वाहनों सहित कई अन्य क्षेत्रों में टाटा और सेना मिलकर काम करने लगे.‘सी-295′ मध्यम परिवहन विमानों की खरीद के लिए स्पेन की एयरबस डिफेंस एंड स्पेस (Airbus Deal) के साथ करीब 20,000 करोड़ रुपये के अनुबंध पर रतन टाटा ने समझौता किया. इसके साथ ही कई अन्य समझौते भी देशहित में रतन टाटा के कार्यकाल में टाटा संस ने किए. साथ ही रिसर्च और तकनीक के जरिए भी सेना की मदद की.कौन-कौन रहे टाटा चेयरमैनटाटा ग्रुप ने 156 साल में महज 6 चेयरमैन देखे. दो बार को छोड़ दें तो टाटा परिवार से ही चेयरमैन बने हैं. टाटा समूह के ज्यादातर चेयरमैन ने शादी नहीं की थी, इसलिए उनके उत्तराधिकारी चुनने में ज्यादा दिक्कत हुई.इन समूह के सभी छह चेयरमैनों पर आइए डालें एक नजर :जमशेदजी एन. टाटा इसके पहले चेयरमैन थे. उन्होंने दिवालिया मिल खरीदकर नई मिल बनाई. इसके बाद स्टील कंपनी और होटल चेन शुरू की.जमशेदजी के बाद सर दोराब टाटा चेयरमैन बने. जिन्होंने 1907 में टाटा स्टील और 1911 में टाटा पावर की स्थापना की. 1910 में उन्हें नाइटहुड से सम्मानित किया गया.नौरोजी सकलतवाला ग्रुप के तीसरे चेयरमैन रहे, मगर वह पहले चेयरमैन थे, जो परिवार में से नहीं थे. उनके बाद जहांगीर रतनजी दादाभाई (जेआरडी)टाटा चेयरमैन बने. वह सबसे अधिक समय तक इस पद पर रहे. उन्होंने टाटा मोटर्स और एयर इंडिया की स्थापना की. वह 53 साल तक चेयरमैन रहे.जेआरडी के बाद रतन टाटा ने यह पद संभाला. रतन टाटा ने जब पद संभाला था, तब समूह का टर्नओवर 6 अरब डॉलर था. मगर जब छोड़ा, तब कंपनी का टर्नओवर 100 अरब डॉलर हो चुका था.रतन टाटा के बाद पद का भार साइरस पालोनजी मिस्त्री को दिया गया. साइरस ऐसे पहले चेयरमैन रहे, जो भारत के नागरिक नहीं थे. तमाम शिकायतों के बाद 24 अक्टूबर 2016 के घटनाक्रम के बीच साइरस मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटा दिया गया. उनकी जगह फिर से रतन टाटा अंतरिम चेयरमैन बनकर लौटे.