2025 शताब्दी वर्ष की तैयारी को लेकर वृहद एकत्रीकरण, सरदार पटेल मैदान में जुटे हजारों स्वयंसेवक
हरिश साहू, रायपुर। राजधानी रायपुर के सरदार पटेल खेल परिसर में आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ रायपुर महानगर के द्वारा आयोजित राष्ट्र चेतना संगम का कार्यक्रम संपन्न हुआ। उक्त कार्यक्रम में हजारों की संख्या में स्वयंसेवकों के साथ-साथ उनके परिजन शामिल हुए। इस कार्यक्रम में साधु, संत, कई क्षेत्रों से संबंध रखने वाले महत्वपूर्ण व्यक्ति एवं सभी समाजों के पदाधिकारी मौजूद रहे।
आरएसएस के सह सर कार्यवाह मुकुंद ने कार्यक्रम में दिए अपने उद्बोधन में सभी साधु संतों, मातृशक्ति एवं लोगों का इस कार्यक्रम में आने के लिए धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि आरएसएस एक कार्यकर्ता आधारित संगठन है। कुछ संगठन प्रचार, कुछ पैसों के दम पर चलते है। संघ का आधार यह दोनों नही है। सभी का उद्देश्य और आधार अलग है। प्रत्येक स्वयंसेवक संघ संस्थापक परम पूज्यनीय डॉ हेडगेवार के सपनों और उनके लक्ष्य को पूरा करने के लिए पूरे मनोबल से प्रयासरत है।
उन्होंने कहा कि गणवेश पहनने और ध्वज प्रणाम करने मात्र से ही स्वयंसेवक नहीं बन सकते है। स्वयंसेवक बनने और बनकर रहने के लिए हर दिन प्रयास आवश्यक है। कुछ मूल्य, कुछ गुण अपने अंदर समाहित करना स्वयंसेवको को जरूरी होता है। गुरुजी (माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर, RSS के द्वितीय सरसंघचालक) द्वारा कही एक बात का उल्लेख करते हुए कहा कि ‘वे कहते थे कि संघ का स्वयंसेवक बनना गर्व का बात है, श्रेष्ठ बात है। स्वयंसेवक बनना एक सदस्यता मात्र नहीं है बल्कि एक जिम्मेदारी है।’
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रत्येक शाखा में होने वाले प्रार्थना, कार्यक्रमों के द्वारा देशभक्ति की भावना सिखाई जाती है। समाज के लिए स्वदेशी भाव, अच्छे गुण सीखने का यह एक बहुत अच्छा स्थान है। समाज में इसी गुणों के द्वारा परिवर्तन लाने का क्रम निरंतर जारी है। आर्थिक क्षेत्र, सामाजिक क्षेत्र, पर्यावरण के क्षेत्र एवं अन्य क्षेत्रों में काम किया जा रहा है। इस बड़े प्रयास में सभी का योगदान है। इन सभी कोशिशों को समाज का आशीर्वाद मिल रहा है। समाज में संगठन और परिवर्तन आवश्यक है।
उन्होंने समाज में बढ़ रहे धर्मांतरण के मामले को लेकर कहा कि जहां धर्मांतरण बढ़ रहे है वहां विरोध भी लगातार बढ़ रहा है। इन स्थानों में संघ के स्वयंसेवकों के बिना ही स्थानीय लोग विरोध में खड़े हो रहे हैं। षड्यंत्रकारी तत्व के प्रति समाज को सचेत रहने की आवश्यकता है। जिसके फलस्वरूप आरएसएस के प्रत्येक स्वयंसेवक की जिम्मेदारी भी बढ़ गई है।
उन्होंने सभी स्वयंसेवकों से समाज में मेरा स्थान क्या है, स्थान से तात्पर्य मेरी जिम्मेदारी क्या है यह पहचानने की बात कही। स्वंयसेवकों के अलावा समाज के प्रत्येक व्यक्ति को भी इसका बोध होना आज आवश्यक है। हमें अपने पूर्वजों के द्वारा मिले मूल्यों का संरक्षण करना है। उन्होंने कहा कि लोगों के पूजा पद्धति, रीति रिवाज अलग हो सकते है लेकिन देश और समाज के प्रति मूल्य एक है। जैन, सिख, बौद्ध, जनजातीय समाज एवं अन्य संप्रदाय सब अलग–अलग हो सकते है लेकिन इन सभी के मूल्य एक है। सभी ने धरती, जल, गाय इत्यादि को मां के समान माना है। हमारे पूर्वजों, संतों ने हमें यह हजारों वर्ष पहले सिखाया है।
ईसाई मत के उदय से पहले सभी सभ्यता में सूर्य की उपासना, जानवरों की पूजा, जल की पूजा करने का मूल्य रहा है। इसके बाद कुछ वैदिक बन गए तो कुछ अवैदिक बन गए। ऐसे भी ऋषि मुनि है जिन्होंने भगवान को नहीं माना, लेकिन सभी को जगह देने वाला हिंदू समाज है।
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि आरएसएस हिंदू समाज के मूल्यों को जगाने की कार्य करने वाली संस्था है। उन्होंने जाति से ऊपर धर्म को बताया। देश के लोगों ने शिक्षा पद्धति में बदलाव को महसूस किया है। केंद्र की मोदी सरकार ने इस पर बदलाव किया है। स्कूलों की शिक्षा के अलावा भी शिक्षा है, जो वर्तमान शिक्षा पद्धति में छात्र छात्राओं को नहीं मिल रही है। स्वयंसेवकों ने कुटुंब प्रबोधन की गतिविधि को शुरू किया है। आग्रह कर उन्होंने कहा कि पूर्वजों से जो अच्छे गुण प्राप्त हुए है उन्हें पालन करना है। महीने, सप्ताह में एक दिन सत्संग करना, विरासत में मिली परंपरा को सहेजना है। भेदभाव, अस्पृश्यता, आर्थिक मूल्यों के बारे में प्रत्येक परिवार में चिंतन आवश्यक है। मातृ शक्ति को इस विषय पर सोचना आज के समय में जरूरी है। अगली पीढ़ी को यह सीखना है, जो सम्प्रदाय ठीक नही उसे छोड़ना है।कुटुंब प्रबंधन में स्वयंसेवक सहभागी बने है।
उन्होंने कहा कि व्यवस्था परिवर्तन आज के समय में बेहद महत्वपूर्ण को चली है। शिक्षा, न्याय, प्रशासन ऐसे जगहों पर निर्णय लेने वाले लोग पहुंचने चाहिए। “कानून बनाने की जगहों पर पहुंचना ही व्यवस्था परिवर्तन है।” सभी जगहों पर हिंदू मूल्यों की रक्षा करने वाले लोगों को होना चाहिए। स्वंसेवक इस दिशा में अग्रसर है। स्वंसेवक मन परिवर्तन के ऐसे पुनित कार्यों में लगे है। उन्होंने कहा कि मोहन भागवत जी ने चार वर्ष पूर्व सभी से आह्वाहन किया था कि प्रत्येक गांव के जल स्त्रोतों में ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए जिसे सभी उपयोग करें, मंदिरों में पूजा, शमशान घाट में क्रिया कर्म करने के स्थान के उपयोग की अनुमति सभी को हो ताकि समाज में व्याप्त भेदभाव को मिटाया जा सके।
कार्यक्रम में शामिल विशिष्ट अतिथि मंगल दास ठाकुर, गोंड महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष समाज समाज ने अपने संबोधन में स्वयंसेवकों को धर्मावीर और कर्मवीर बताया। उन्होंने देश के प्रति लड़ने वाले बलिदानी महापुरुषों को याद किया। मंगल दास ने कहा कि देश सुरक्षित रहेगा तो ही हम सुरक्षित रहेंगे। गुरु गोविंद सिंह के चारो लड़कों को दीवारों में चुनवा दिया गया। गुरु तेग बहादुर ने धर्मांतरण स्वीकार नहीं किया। उन्होंने कहा कि यदि समय रहते समाज सचेत और जागरूक नहीं होता है तो आने वाले समय में धर्म युद्ध की आशंका बढ़ जाएगी। जिसका समाज संगठित है वही इसके सामने टिक पाएगा। आरएसएस ने हिंदू धर्म को संगठित किया, समाज को जोड़ने का कार्य किया। बीते 4 वर्षों में 4 साल से अधिक चर्च प्रदेश में बन गए। जनजातीय क्षेत्रों में भोले भाले लोगों का धर्मांतरण कराया जा रहा है।