“पापा, मैं ठीक हो जाऊंगी ना?” बेटी के सवालों से लाचार पिता की मदद के लिए सरकार ने बढ़ाया हाथ!

रायपुर, 02 सितंबर 2025 | बीजापुर जिले के भोपालपटनम ब्लॉक के छोटे से गांव वरदली की 11 वर्षीय शांभवी गुरला गंभीर हृदय रोग से पीड़ित है। रियूमेटिक हार्ट डिजीज (RHD) जैसी जटिल बीमारी से लड़ रही इस मासूम का इलाज इतना महंगा है कि किसान परिवार के लिए उसे वहन करना नामुमकिन था। बेटी की बीमारी की जानकारी मिलने के बाद से ही परिवार गहरे दुख और चिंता में डूबा हुआ था।
शांभवी, जो सातवीं कक्षा की छात्रा है, बार-बार अपने पिता से सवाल करती — “पापा, मुझे क्या हुआ है? मैं ठीक हो जाऊंगी ना?” बेटी की मासूम आंखों में झलकता डर और उम्मीद पिता को भीतर तक तोड़ देता। खेत में काम कर गुजारा करने वाले इस परिवार के पास इलाज के लिए संसाधन नहीं थे। पिता ने जिला अस्पताल बीजापुर से रायपुर तक इलाज की राह देखी, लेकिन खर्च सुनते ही उनके पाँव तले जमीन खिसक गई।
इसी बीच, परिवार ने सरकार से मदद की गुहार लगाई। मामला स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल तक पहुँचा। बच्ची और पिता से मुलाकात के दौरान मंत्री ने संवेदनशीलता दिखाते हुए कहा कि “अब खर्च की चिंता मत कीजिए, सरकार इलाज की पूरी जिम्मेदारी लेगी।” उन्होंने रायपुर स्थित एडवांस कार्डियक इंस्टिट्यूट के डॉक्टरों को तुरंत उपचार शुरू करने का निर्देश दिया।
सरकार के इस कदम ने परिवार को नया जीवनदान दिया। पिता की आँखों में राहत की चमक लौटी और माँ भावुक होकर रो पड़ीं। परिवार ने कहा कि यह मदद उनके लिए भगवान का वरदान है।
वर्तमान में शांभवी को रायपुर के एसीआई अस्पताल में भर्ती कराया गया है। विशेषज्ञ डॉक्टर उसकी जांच और इलाज में जुटे हुए हैं। प्रशासन भी लगातार संपर्क में है ताकि इलाज में किसी तरह की कमी न रहे।
सरकार का यह हस्तक्षेप केवल एक बच्ची की जिंदगी बचाने का प्रयास नहीं है, बल्कि पूरे राज्य के लिए एक संदेश है कि जरूरतमंद परिवारों को संकट की घड़ी में अकेला नहीं छोड़ा जाएगा। गरीब और कमजोर तबकों को यह भरोसा दिलाना कि सरकार उनके साथ है, जनकल्याणकारी शासन की असली तस्वीर प्रस्तुत करता है।
शांभवी की जंग अभी जारी है, लेकिन राज्य सरकार की पहल से उम्मीद की एक किरण जग चुकी है। यह कहानी हर उस परिवार को साहस देती है जो बीमारी और अभाव से जूझ रहा है — कि जब हालात कठिन हों, तो सरकार और समाज दोनों साथ खड़े हो सकते हैं।