140 करोड़ लोगों का संकल्प, 2047 तक देश को विकसित भारत बनाकर रहेंगे : लोकसभा में PM मोदी
140 करोड़ लोगों का संकल्प, 2047 तक देश को विकसित भारत बनाकर रहेंगे : लोकसभा में PM मोदीप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर लोकसभा को संबोधित करते हुए कहा कि भारत का लोकतांत्रिक इतिहास दुनिया के लिए प्रेरणास्रोत रहा है इसलिए हम लोकतंत्र की जननी हैं. पीएम मोदी ने संबोधन की शुरुआत करते हुए कहा, “माननीय सभापति जी हम सभी के लिए और देश के सभी नागरिकों के लिए, यह न केवल हमारे लिए बल्कि दुनिया भर में लोकतंत्र को महत्व देने वाले नागरिकों के लिए भी गर्व का क्षण है.75 साल की यात्रा असाधारणउन्होंने कहा, यह लोकतंत्र के उत्सव और हमारे संविधान की 75 साल की यात्रा एक उल्लेखनीय यात्रा और दुनिया के सबसे बड़े और महान लोकतंत्र की यात्रा का जश्न मनाने का एक शानदार अवसर है. इस यात्रा के मूल में हमारे संविधान निर्माताओं की दूरदर्शिता और योगदान है और उन्हीं की दूरदर्शिता से हम प्रगति कर रहे हैं. इन 75 वर्षों के पूरे होने पर यह उत्सव का क्षण है और मुझे खुशी है कि संसद भी इस उत्सव में भाग लेकर अपनी भावनाएं व्यक्त कर रही है.”संविधान से ये देश चलता हैपीएम मोदी ने कहा कि संविधान की 75 वर्ष की यह उपलब्धि सामान्य नहीं है, बल्कि यह असाधारण है. जब देश को आजादी मिली तो भारत के लिए जो संभावनाएं सोची गई, वे अपार थी और तमाम चुनौतियों के बावजूद हमारा संविधान हमें वहां ले आया, जहां हम आज हैं. इसलिए इस महान उपलब्धि के लिए मैं न केवल संविधान निर्माताओं को बल्कि देश के उन करोड़ों नागरिकों को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं, जिन्होंने इस भावना को, इस नई व्यवस्था को जिया और अपनाया है.हम लोकतंत्र की जननी हैंप्रधानमंत्री ने आगे कहा कि पिछले 75 वर्षों में भारत के नागरिक संविधान निर्माताओं के आदर्शों पर कायम रहे हैं और इसलिए भारत के नागरिक अभिनंदन के अधिकारी हैं. भारत का लोकतांत्रिक इतिहास दुनिया के लिए प्रेरणास्रोत रहा है इसलिए हम लोकतंत्र की जननी हैं. हमारे संविधान निर्माता जानते थे कि भारत का जन्म 1947 में नहीं हुआ था, वे भारत की महान विरासत के बारे में सब जानते थे.नारी शक्ति से ही देश का विकासउन्होंने नारी शक्ति का जिक्र करते हुए कहा कि जब जी-20 शिखर सम्मेलन हुआ तो हमने संविधान की भावना को आगे बढ़ाया क्योंकि हम इसके मूल्यों पर जीने वाले लोग हैं. भारत की जी-20 की अध्यक्षता के दौरान हमने महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास का विचार दुनिया के सामने रखा. महिलाओं के विकास के माध्यम से प्रगति की आवश्यकता विश्व स्तर पर महत्वपूर्ण है. इसलिए हमने महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास पर चर्चा शुरू की और इसे अंजाम तक पहुंचाया. इतना ही नहीं बल्कि हम सभी सांसदों ने भारतीय लोकतंत्र में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए एकजुट होकर “नारी शक्ति बंधन अधिनियम” पारित किया.आज भारत की राष्ट्रपति एक आदिवासी महिला हैंपीएम मोदी ने कहा, “संविधान सभा में 15 महिला सदस्य थीं. ये सभी महिलाएं अलग-अलग क्षेत्रों से आई थीं और उनके सुझावों का संविधान पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा. भारत ने शुरू से ही महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिया है. आज महिलाएं हर बड़ी सरकारी योजना के केंद्र में हैं. आज भारत की राष्ट्रपति एक आदिवासी महिला हैं. हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी और योगदान बढ़ रहा है, जिसमें अंतरिक्ष जैसे क्षेत्र भी शामिल हैं. इस सदन में महिला सांसदों की संख्या लगातार बढ़ रही है और उनका योगदान भी बढ़ रहा है. मंत्रिपरिषद में उनकी भूमिका का भी विस्तार हो रहा है. आज चाहे सामाजिक क्षेत्र हो, राजनीतिक क्षेत्र हो, शिक्षा हो, खेल हो या रचनात्मक जगत हो, जीवन के हर क्षेत्र में महिलाओं का योगदान और प्रतिनिधित्व देश के लिए सराहनीय रहा है.अनेकता में एकता भारत की विशेषता रही हैपीएम मोदी ने कहा कि अनेकता में एकता भारत की विशेषता रही है. हम विविधता का जश्न मनाते हैं हालांकि जो लोग गुलामी की मानसिकता के साथ बड़े हुए, जो भारत की प्रगति नहीं देख सके, वे विविधता में विरोधाभास ढूंढते रहे. विविधता के इस अमूल्य खजाने का जश्न मनाने के बजाय कुछ लोगों ने देश की एकता को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से इसमें जहरीले बीज बोने का प्रयास किया है. हमें विविधता के उत्सव को अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाना चाहिए और यही वास्तव में डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर को श्रद्धांजलि होगी.भारत आर्थिक शक्ति की ओर अग्रसरप्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बनने के लिए मजबूत कदम उठा रहा है. इस देश के 140 करोड़ नागरिकों का संकल्प है कि जब हम अपने देश की आजादी का जश्न मनाएंगे तो हम भारत को एक विकसित भारत राष्ट्र बनाकर रहेंगे. ये हर भारतीय का संकल्प है, ये हर भारतीय का सपना है. इस संकल्प की पूर्ति के लिए सबसे बड़ी आवश्यकता भारत की एकता है. हमारा संविधान भारत की एकता की नींव भी है.पीएम मोदी ने और भी कई महत्वपूर्ण बातें कहींप्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को भारतीय संविधान की 75 साल की यात्रा को ‘असाधारण’ करार देते हुए शनिवार को कहा कि देश विश्व की तीसरी बड़ी आर्थिक शक्ति बनने की दिशा में बहुत मजबूत कदम रख रहा है.संविधान के 75 वर्ष की गौरवशाली यात्रा पर लोकसभा में हुई चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘75 वर्ष की ये उपलब्धि असाधारण है. जब देश आजाद हुआ और उस समय भारत के लिए जो-जो संभावनाएं व्यक्त की गई थीं उन संभावनाओं को निरस्त करते हुए, परास्त करते हुए भारत का संविधान हमें यहां तक ले आया है.”मोदी ने कहा कि भारत बहुत जल्द विश्व की तीसरी बड़ी आर्थिक शक्ति बनने की दिशा में बहुत मजबूत कदम रख रहा है और 140 करोड़ देशवासियों का संकल्प उसे स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष तक विकसित भारत बनाने का है.इस महान उपलब्धि के लिए संविधान निर्माताओं के साथ-साथ देश के कोटि-कोटि नागरिकों को ‘‘आदरपूर्वक नमन” करते हुए मोदी ने कहा कि संविधान की ही देन है कि उन्हें लगातार तीन बार प्रधानमंत्री के रूप में देश की सेवा का अवसर दिया.उन्होंने कहा कि इस यात्रा में कई उतार और चढ़ाव आए लेकिन देश की जनता हमेशा संविधान के साथ खड़ी रही लेकिन कांग्रेस के एक परिवार ने संविधान को भावना को चोट पहुंचाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी.कांग्रेस और गांधी-नेहरू परिवार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि इस यात्रा में पचपन साल तक एक परिवार ने राज किया और इस परिवार की कुविचार, कुरीति और कुनीति की परंपरा निरंतर चल रही है. उन्होंने कहा, ‘‘हर स्तर पर इस परिवार ने संविधान को चुनौती दी है.”प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के बाद 1952 तक अस्थायी व्यवस्था थी क्योंकि चुनाव नहीं हुए थे और अंतरिम व्यवस्था थी. उन्होंने कहा, ‘‘राज्यों में भी चुनाव नहीं हुए थे और जनता का कोई आदेश नहीं था और 1951 इन्होंने अध्यादेश के जरिए संविधान को बदला और अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला किया. यह संविधान निर्माताओं का भी अपमान था. जब संविधान सभा में उनकी कुछ न चली तो जैसे ही मौका मिला, उन्होंने अभिव्यक्ति की आजादी पर हथौड़ा मार दिया.”विविधता में एकता को भारत की विशेषता बताते हुए मोदी ने कहा कि आज का यह अवसर देश की प्रगति भी विविधता का उत्सव मनाने का भी है.उन्होंने कहा कि लेकिन गुलामी की मानसिकता में पले-बढ़े लोगों ने और भारत का भला न देख पाने वाले लोगों ने इस विविधता में भी विरोधाभास ढूंढा.उन्होंने कहा, ‘‘वे इस उत्सव को मनाने के बजाय उस विविधता में ऐसे जहरीले बीज बोने के प्रयास करते रहे, ताकि देश की एकता पर चोट पहुंचे. अनुच्छेद 370 यही था. देश की एकता में दीवार बना पड़ा था, लेकिन देश की एकता हमारी प्राथमिकता थी, जो हमारी संविधान की भावना थी… इसीलिए अनुच्छेद 370 को हमने जमीन में गाड़ दिया.”आपातकाल को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि विपक्षी दल के माथे से यह कलंक कभी नहीं मिट सकेगा. उन्होंने कहा, ‘‘दुनिया में जब भी लोकतंत्र की चर्चा होगी तो कांग्रेस के माथे से कभी यह कलंक मिट नहीं सकेगा क्योंकि लोकतंत्र का गला घोंट दिया गया था. भारतीय संविधान निर्माताओं की तपस्या को मिट्टी में मिलाने की कोशिश की गई थी.”प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का गणतांत्रिक अतीत विश्व के लिए प्रेरक रहा है और इसलिए देश को लोकतंत्र की जननी के रूप में जाना जाता है. उन्होंने कहा कि ‘‘जब हम संविधान लागू होने के 75 वर्ष का उत्सव मना रहे हैं तो अच्छा संयोग है कि राष्ट्रपति पद पर एक महिला आसीन हैं जो संविधान की भावना के अनुरूप भी है.”