बोल छत्तीसगढ़। सदियों से आयोजित होने रहे, श्रद्धा और आस्था का प्रतीक Rajim माघी पुन्नी मेला (Rajim Maghi Punni Mela 2023) आज से शुरू हो गया है। राजिम पुन्नी मेला में शामिल होने के लिए देश-विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु राजिम पहुंच रहे हैं। श्रद्धालुओं के त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाने का सिलसिला बीते सुबह 4 बजे से ही शुरू हो गया है।
Rajim मेले की शुरुआत
भारतवर्ष में मौजूद प्रत्येक राज्य में भले ही अनेक भाषाएं, बोलियों का प्रयोग किया जाता हो किंतु वे आपस में अपनी परम्पराओं, रीति–रिवाजों के कारण जुड़े हुए है। यहां आयोजित होने वाले मेले, सांस्कृतिक कार्यक्रम विविधता में एकता को प्रदर्शित करते है। इस बीच Rajim मेले से एक बार फिर आस्था का अद्भुत नजारा देखने को मिलेगा।
मेला महोत्सव स्थल : https://maps.app.goo.gl/XKZGZpobMVHrib2P9
पौराणिक मान्यता के मुताबिक वैसे तो देश में अनादिकाल से हर वर्ष माघ पूर्णिमा से महाशिवरात्रि तक राजिम पुन्नी मेला आयोजित होता है। देश विदेश से लाखों लोग Rajim पुन्नी मेला में उसी आस्था और विश्वास के साथ इस मेले में शामिल होते हैं। जिसकी शुरुआत आज माघी पुन्नी स्नान के साथ शुरू हो गयी है।
बता दें कि हजारों श्रद्धालुओं ने बीते सुबह त्रिवेणी संगम में स्नान किया, उसके पश्चात भगवान राजीव लोचन और कुलेश्वरनाथ के दर्शन किए, श्रद्धालुओं के त्रिवेणी स्नान का यह सिलसिला बीते कल दिन भर चलता रहा।
मेला इतने तारीख तक होगा खत्म
राजिम पुन्नी मेला की अपनी एक अलग ही पहचान है। पैरी, सोंढूर और महानदी, तीन नदियों के संगम स्थल Rajim त्रिवेणी संगम पर ये राजिम पुन्नी मेला आयोजित होता है। त्रिवेणी संगम के एक तट पर भगवान विष्णु के अवतार भगवान राजीवलोचन विराजमान हैं और दूसरे तट पर सप्तऋषियों में से एक लोमश ऋषि का आश्रम विद्यमान है, त्रिवेणी संगम के बीचों बीच खुद महादेव कुलेश्वरनाथ के रूप में स्थापित हैं, वैसे तो श्रद्धालुओं के यहां पहुंचने का सिलसिला सालभर लगा रहता है। मगर Rajim मेले के समय श्रद्धालुओं के पहुंचने की संख्या कई गुणा बढ़ जाती है। राजीव लोचन और कुलेश्वरनाथ मंदिर दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को घंटो लाइन में खडा होना पड़ता है।
श्रद्धा और भक्ति का दूसरा नाम है भगवान, जहां श्रद्धा है, वहां भक्ति है और जहां भक्ति है, वहां भगवान हैं, भगवान के दर्शन की इच्छा और मोक्ष की कामना के साथ राजिम पुन्नी मेले में पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है। जो 18 फरवरी महाशिवरात्रि तक जारी रहेगा।
सीएम भूपेश बघेल ने दी बधाई
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने Rajim माघी पुन्नी मेला और शिवरीनारायण मेला की प्रदेशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। बघेल ने कहा कि “आज से प्रारंभ हो रहे राजिम माघी पुन्नी मेला और शिवरीनारायण मेला की सभी प्रदेशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं। राजिम में हर साल आयोजित होने वाला राजिम माघी पुन्नी मेला हम सब की आस्था का प्रतीक है। इस मेले में छत्तीसगढ़ की धार्मिक परंपराओं के साथ-साथ लोक संस्कृति के दर्शन होते हैं”
इस बार है बहुत कुछ खास
छग के प्रयाग में मनाए जाने वाला राजिम माघी पुन्नी मेला का आयोजन 5 फरवरी माघ पूर्णिमा से प्रारंभ होकर 18 फरवरी महाशिवरात्रि तक किया जाएगा। मेला प्रभारी ने बताया कि प्रतिदिन शाम 5.30 बजे से रात 10 बजे तक छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध कलाकारों की होगी शानदार प्रस्तुति होगी। मेला के प्रारंभ दिवस 5 फरवरी को रंग सरोवर के भूपेंद्र साहू बारुका और स्वर्णा, गरिमा दिवाकर रायपुर की शानदार प्रस्तुति होगी।
इसके बाद 6 फरवरी को पद्मश्री डॉ. ममता चंद्राकर रायपुर, 7 फरवरी को अल्का परगनिहा रायपुर, 8 फरवरी को पी.सी. लाल यादव गंडई, पद्मश्री ऊषा बारले भिलाई, 9 फरवरी को ननकी ठाकुर, चम्पा निषाद रायपुर, 10 फरवरी को हिम्मत सिन्हा छुरिया, 11 फरवरी को गोरेलाल बर्मन रायपुर, 12 फरवरी को अनुराग शर्मा रायपुर, 13 फरवरी को दुष्यंत हरमुख भिलाई, 14 फरवरी को दिलीप षडंगी रायगढ़, आरु साहू नगरी,15 फरवरी को सुनील सोनी दुर्ग, 16 फरवरी को रिखी क्षत्रीय भिलाई, पद्मश्री डोमार सिंह कुंवर लाटाबोड़, 17 फरवरी को दीपक चंद्राकर अर्जुन्दा और 18 फरवरी को सुनील तिवारी रायपुर के कलाकार अपनी प्रस्तुति देंगे।
कुंभ एक रहस्य
कुंभ मेला दुनिया में तीर्थयात्रियों के सबसे पवित्र समारोहों में से एक है। अधिकांश लोग कुंभ मेले और उसके चार पवित्र स्थानों के बारे में जानते हैं, लेकिन एक रहस्य यह है कि पांचवां कुंभ मेला होता है। राजिम कुंभ मेला भगवान विष्णु के अनुयायी वैष्णवों का एक लोकप्रिय जमावड़ा है। राजिम महानदी, सोंदूर और पैरी नदियों के संगम के पास स्थित है। राजिम लोचन मंदिर राजिम कुंभ मेला स्थल होने के लिए प्रसिद्ध है।राजिम कुंभ माघ पूर्णिमा से शुरू होता है और 15 दिनों तक चलता है। इस मेले में देश के कोने-कोने से धर्म प्रचारकों और संतों की भीड़ आती है।
यह खबर पढ़ें : https://bolchhattisgarh.in/will-be-able-to-visit-mahakaal-now-devotees-wil/
One Comment