स्वतंत्रता दिवस एवं रक्षाबंध के अवसर पर मंत्री केदार कश्यप का शुभकामना संदेश
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Ram-Charitra- रामायण का प्रत्येक चरित्र उत्तम, राम को लेकर भारत-रूस के संबंध

स्वतंत्रता दिवस एवं रक्षाबंध के अवसर पर मंत्री केदार कश्यप का शुभकामना संदेश

बोल छत्तीसगढ़। Ram-Charitra रामायण का प्रत्येक चरित्र उत्तम है। कौशल्या जैसी माता। लक्ष्मण जैसा भाई।  सीता जैसी पत्नी।  हनुमान जैसा भक्त।  राम जैसा राजा।  यह चरित्र, विश्व का  दुर्लभ इतिहास चरित्र है।  वाल्मीकी ने रामायण के प्रस्तावना में लिखा : “तेषां मिदम आख्यानं रामायणमितिम  श्रुतं ” अर्थात “मेरा यह ग्रन्थ इक्ष्वाकु वंश का इतिहास है, जो राजा दशरथ और उनके महान पुत्र राम से जुड़ा है ” शायद ही कोई भारतीय होगा जो राम के कथानक से परिचित नहीं होगा। रोमिला थापर जैसे आधुनिक इतिहासकार   इसे इतिहास ग्रन्थ नहीं मानते क्योंकि यह श्लोक रूप में  लिखी है ।

आर्य आक्रमण की विचार अवधारणा रखने वाले लोग ही रामायण और महाभारत को  इतिहास ग्रन्थ नहीं मानते। अब  थापर को कौन  समझाए की भारत का समग्र प्राचीन ज्ञान और विज्ञान श्लोक रूप में ही लिखी है। ऐसे अज्ञानी लोगों को यह कहना चाहिए की संस्कृत का ज्ञान नहीं  होने के कारण  रामायण और महाभारत को बोधगम्य करना कठिन है।  यह प्रश्न भारत के आम जनता, खेत में काम करने वाले किसान से पूछना चाहिए की रामायण क्या है ! उत्तर मिल जाएगी। रामायण की तरह महाभारत इतिहास ग्रन्थ है। 

Ram-Charitra
Ram-Charitra

भगवान कृष्ण का श्रीमद्भगवद्गीता महाभारत का अंग है , जिसमें योग दर्शन की पराकाष्ठा है ।  महाभारत का मोक्ष धर्म पर्व  राजधर्म विज्ञान जानने के अपूर्व  ग्रन्थ हैं। आध्यात्मिक रूप से रूस, भारत के साथ राम चरित्र को लेकर भावुक रूप से जुड़ी है।  राम चरित्र का स्पंदन अजरबेजान और रूस के दूरस्थ इलाके में अनुभव की गई।  प्रोफ़ेसर वारानिकोव  का रूसी राम चरित्र का अनुवाद बेहद भावुक और राम चरित्र के गहराई में डूबने का ग्रन्थ है। वहीं रूस,  राम चरित्र को लेकर अत्यंत जीवंत है। इस महान देश ने राम को सजीव रखा।

Ram-Charitra को लेकर यूरोपीय ज्ञान का प्रभाव

  वहीं भारत जैसे देश के विश्वविद्यालय जो यूरोप के ज्ञान की नक़ल कर रहे थे उन्होंने समाज में विषाक्त रूप से “राम-चरित्र” से दूरी बना ली।  कोई पांच दशकों  से भी ऊपर भारत के विश्वविद्यालय ज्ञान के नाम पर जहर परोसते रहे ।  इन्होने भगवान राम और भगवान कृष्ण को मिथक मान कर अक्षम्य अपराध किया है। सैकुलरवाद और इस्लाम  के महिमामंडन का अपराध बोध आज  हिन्दू समाज को नहीं होगी तो फिर कब होगी ?  यह उनके आत्म बोध का समय है उन्होंने क्या खोया और क्या पाया।     भगवान राम के उदार चरित्र के ऐतिहासिकता को कुछ इन शब्दों में बाँध दी गई जिसका अन्यत्र विवरण नहीं मिलता :  

लोकाभिरामं रणरंगधीरं,राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम्।
कारुण्यरूपं करुणाकरं तं,श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये।।

चित्र परिचय : मिथिला पेंटिंग्स में राम सीता विवाह

Every character of the Ramayana is perfect. Mother like Kausalya. Brother like Laxman. Wife like Sita. A devotee like Hanuman. A king like Ram. These characters are  rare in the world. Valmiki wrote in the preface to the Ramayana: “Tesham midam aakhyanam Ramayanamitim srutam”. Which means : “This book of mine is the history of the Ikshvaku dynasty, which deals with King Dasaratha and his great son Ram.” There is hardly any Indian who is not familiar with the story of Ram. 

Modern historians like Romila Thapar do not consider it a history book because it is written in verse form. Only those who have the idea of Aryan invasion do not consider the Ramayana and the  Mahabharata as history books. Now who will explain to Thapar that the entire ancient knowledge and science of India is written in the verse form only. Such ignorant people should say that it is difficult to understand the Ramayana and the Mahabharata due to the lack of Sanskrit knowledge.

This question should be asked to the common people of India, the farmers working in the fields that what is the Ramayana! They will get the answer. the Mahabharata is a history book like the Ramayana. The Srimad Bhagavadgita of Bhagwan  Krishna is a part of the Mahabharata, which is the culmination of Yoga philosophy. The Moksha Dharma Parva of the Mahabharata is a wonderful book to know the science of the “Rajdharma”. Spiritually, Russia is passionately connected with India over the character of Ram.

The vibrations of the “Ram-Charitra” were felt in remote areas of Azerbaijan and Russia. Professor Varannikov’s Russian translation of “Ram-Charitra” is a very emotional and deeply immersed book. Russia, on the other hand, was very lively about the character of Ram. This country preserved Ram. On the other hand, universities in India, which were copying the knowledge of Europe, toxically distanced themselves from the character of Ram.

Most of the  universities of India have been serving poison in the name of knowledge for more than five decades. They have committed an unforgivable crime by considering Bhagwan  Ram and Bhagwan  Krishna as myths. If the Hindu society does not feel today the guilt of secularism and the glorification of Islam, then when will this society shall  feel? The historicity of Bhagwan  Ram’s magnanimous character was summed up in these words, which are not described elsewhere:

lokābhirāmaṃ raṇaraṅgadhīraṃ rājīvanetraṃ raghuvaṃśanātham .
kāruṇyarupaṃ karuṇākarantaṃ śrīrāmacandraṃ śaraṇaṃ prapadye

Picture description: Ram – Sita  Vivah in the Mithila Painting

लेखक- बीरेंद्र के झा

Onima Shyam Patel

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