जो मेरे घर कभी नहीं आएँगे….पढ़िए फेमस कवि विनोद कुमार शुक्ल की दिल छू लेने वाली कविताएं
जो मेरे घर कभी नहीं आएँगे….पढ़िए फेमस कवि विनोद कुमार शुक्ल की दिल छू लेने वाली कविताएंVinod Kumar Shukla Poem : फेमस लेखक, कवि विनोद कुमार शुक्ल को वर्ष 2024 के लिए 59वां ज्ञानपीठ पुरस्कार देने की घोषणा की गई है. अपने हिंदी साहित्य में उनके अद्वितीय योगदान के लिए उन्हें इस सम्मान के लिए चुना गया. विनोद कुमार शुक्ल छत्तीसगढ़ से तालुक रखते हैं. वह हिंदी के 12वें साहित्यकार हैं, जिन्हें यह पुरस्कार प्रदान किया जा रहा है.. लेखक, कवि और उपन्यासकार शुक्ल (88 वर्ष) की पहली कविता 1971 में ‘लगभग जयहिंद’ शीर्षक से प्रकाशित हुई थी. उनके प्रमुख उपन्यासों में ‘नौकर की कमीज’, ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ और ‘खिलेगा तो देखेंगे’ शामिल हैं. उन्होंने कविताएं लोगों को काफी पसंद आती है. पढ़िए उनकी कुछ दिल छू लेने वाली कविताएं.जो मेरे घर कभी नहीं आएँगेमैं उनसे मिलनेउनके पास चला जाऊँगा।एक उफनती नदी कभी नहीं आएगी मेरे घरनदी जैसे लोगों से मिलनेनदी किनारे जाऊँगाकुछ तैरूँगा और डूब जाऊँगापहाड़, टीले, चट्टानें, तालाबअसंख्य पेड़ खेतकभी नहीं आएँगे मेरे घरखेत-खलिहानों जैसे लोगों से मिलनेगाँव-गाँव, जंगल-गलियाँ जाऊँगा।जो लगातार काम में लगे हैंमैं फ़ुरसत से नहींउनसे एक ज़रूरी काम की तरहमिलता रहूँगा—इसे मैं अकेली आख़िरी इच्छा की तरहसबसे पहली इच्छा रखना चाहूँगा।हताशा से एक व्यक्ति बैठ गया थाहताशा से एक व्यक्ति बैठ गया थाव्यक्ति को मैं नहीं जानता थाहताशा को जानता थाइसलिए मैं उस व्यक्ति के पास गयामैंने हाथ बढ़ायामेरा हाथ पकड़कर वह खड़ा हुआमुझे वह नहीं जानता थामेरे हाथ बढ़ाने को जानता थाहम दोनों साथ चलेदोनों एक दूसरे को नहीं जानते थेसाथ चलने को जानते थे।आँख बंद कर लेने सेआँख बंद कर लेने सेअंधे की दृष्टि नहीं पाई जा सकतीजिसके टटोलने की दूरी पर है संपूर्णजैसे दृष्टि की दूरी पर।अँधेरे में बड़े सवेरे एक खग्रास सूर्य उदय होता हैऔर अँधेरे में एक गहरा अँधेरे में एक गहरा अँधेरा फैल जाता हैचाँदनी अधिक काले धब्बे होंगेचंद्रमा और तारों के।टटोलकर ही जाना जा सकता है क्षितिज कोदृष्टि के भ्रम कोकि वह किस आले में रखा हैयदि वह रखा हुआ है।कौन से अँधेरे सींके मेंटँगा हुआ रखा हैकौन से नक्षत्र का अँधेरा।आँख मूँदकर देखनाअंधे की तरह देखना नहीं है।पेड़ की छाया में, व्यस्त सड़क के किनारेतरह-तरह की आवाज़ों के बीचकुर्सी बुनता हुआ एक अंधासंसार से सबसे अधिक प्रेम करता हैवह कुछ संसार स्पर्श करता है औरबहुत संसार स्पर्श करना चाहता है।ये भी पढ़ें-प्रसिद्ध साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल को ज्ञानपीठ पुरस्कार देने की घोषणा, जानिए उनके बारे में