स्वतंत्रता दिवस एवं रक्षाबंध के अवसर पर मंत्री केदार कश्यप का शुभकामना संदेश
रायपुर : हिंदू विरोधी अकबर को पाँच साल तक वन विभाग के श्रीनिवास राव का ऐसा साथ मिला कि ये बाबर की तरह पूरे छत्तीसगढ़ पर कूच करने निकल पड़ा। दोनों की ऐसी जुगलबंदी हुई कि अकबर अकेले वन विभाग से ही हज़ार करोड़ कमा लिया। सिर्फ़ इतना ही नहीं ,राव ने अकबर के लव जेहाद और रोहिंग्या अभियान में भी पूरा सहयोग दिया। जब पूरा छत्तीसगढ़ अकबर को कवर्धा में हराने में लगा था, तो इस सनातन विरोधी स्टैलिन के भाई ने विजय शर्मा को हराने 40 करोड़ बँटवाया। सिर्फ़ कवर्धा ही नहीं अकबर ने तो छत्तीसगढ़ के आधे विधानसभा में इस बार फंडिंग का ज़िम्मेदारी उठाया और इसके पीछे राव ही था।इसी मंत्री ने श्रीनिवास राव के 7 सीनियर आईएफएस अफसरो को दरकिनार करके इसको pccf के पद पर बैठाया था, जिसके कारण विभाग में बहुत विवाद भी हुआ । इसने हिंदू विरोधी कामों में अकबर का साथ देके अपना क़र्ज़ चुकाया। राव ने अकबर के लिए हर ज़िले के वनमण्डलाधिकारी को धमका के वनविभाग के पैसों से मस्जिद बनवाया और फारेस्ट के ज़मीन पे रोहिंग्या को पट्टा दिलाया।
श्रीनिवास राव अभी छत्तीसगढ़ के सबसे चर्चित और भ्रष्ट अधिकारियों में से हैं।जब अकबर का मुनीम इसके चैम्बर में दाखिल होता था तो ये पीसीसीएफ़ झुक कर खड़ा हो जाता था। इसको PCCF के जगह अरण्य भवन में चपरासी का पद मिलना चाहिए था। राव अकबर को वन विभाग के लगभग सारे काम अलाट करवाते रहा। इसके लिए इसने अपने सनातन विरोधी दक्षिण भारतीय आईएफएस और प्रमोटी अधिकारियों की पूरी टीम बना रखी हैं। बाकि बचे वनमंडलाधिकारियों को धमका के सारा काम देते रहा। जो राव की बात ना माने उसको ये मंत्री अकबर से कह के एक दिन में ही लूप लाइन में डाल देता था। राव के बस एक ही निर्देश थे कि सभी dfo,sdo और रेंजर को मंत्री के आदमियों के सारे बिल वाउचर साइन करके चेक काटना हैं। अकबर का आदमी बस 20% काम करके 100% पेमेंट के लेता था। इन पैसों का अकबर दुबई,रायपुर,हैदराबाद और मुंबई में अकूट संपत्ति बनाया।बाकि बचे पैसे से ये हिंदुओ को दबाने बाहरी लोगो को बसाने लगा।चूकि श्रीनिवास राव दक्षिण भारतीय हैं इसलिए इसको अकबर के इस सनातन विरोधी काम से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता था।ख़ुद राव ने अकबर के मदद से इतना पैसा कमाया हैं कि इसका हैदराबाद का घर ही 25 करोड़ का हैं।श्रीनिवास राव का यही कहना हैं हमको रिटायरमेंट के बाद तो छत्तीसगढ़ में तो रहना हैं नहीं सो हम यहाँ की क्यों सोचे ?? इसके कृत्य से पूरे छत्तीसगढ़ के आईएफएस अफ़सर आहत हैं।
राव जब से छत्तीसगढ़ आया हैं तब से वन विभाग को लूटे जा रहा हैं। धमतरी में रहते हुए बहूचर्चित आरामिल कांड में छत्तीसगढ़ का नाम राष्ट्रीय स्तर पर ख़राब किया। फिर कैम्पा में पाँच साल लूट खसोट के अकबर को ताक़तवर बनाया।आपको बता दें राव जिस मंत्री का चपरासी बन के काम करता हैं उसका भी राजनीतिक केरियर खा जाता हैं। पिछले सरकार में महेश गागड़ा इसको चिपका के रखा और दो बार से चुनाव हार गया और इस सरकार में अकबर। राव किसी भी मंत्री को पटाने के लिए अपने कमाए हुए बेइंतहा पैसो का लालच देता हैं। जैसे ही मंत्री को पैसों की लत लगती हैं ये फिर विभाग अपने हिसाब से चला के बर्बाद कर देता हैं। इसके रहते अभी वन विभाग सबसे बदनाम विभागों में से है। जिस तेंदूपत्ता के लिए वन विभाग जाना जाता था वो भी इसके रहते नाकाफ़ी साबित हुआ। पिछले पाँच साल में तेंदुपत्ता का सालाना राजस्व 1300 करोड़ से घटकर 700 करोड़ तक पहुँच गया हैं। ये सब राव के चाटुकार अधिकारियों को बैठाने के वजह से हुआ।संभवतः इसी कारण इस बार कांग्रेस का सरगुजा और बस्तर के आदिवासी इलाक़े से सफ़ाया हो गया। अब आगे देखना हैं कि इस बाहरी को नयी सरकार कितना भाव देती हैं।ऐसी भ्रष्ट अधिकारियों के चलते कांग्रेस की सरकार का पतन हुआ।