रायपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने इस बार पांचों राज्यों छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, मिजोरम व तेलंगाना के विधानसभा चुनाव को बहुत गंभीरता से लिया।
संघ के चिंतकों ने इस चुनाव में वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर रणनीति बनाई। इसी का परिणाम रहा कि तीन राज्यों में भाजपा को जीत मिली। इसमें संघ का माइक्रो मैनेजमेंट और मतदान प्रतिशत बढ़ाने की नीति कारगर साबित हुई। चुनाव से पहले भाजपा की गुटबाजी कई बार सतह पर भी देखी गई है, ¨कतु संघ ने कुनबे की कलह को कम करने में महती भूमिका निभाई।
संघ ने भी अपने प्रभारी बनाए
जिस प्रकार भाजपा ने अपने बूथ प्रभारी और पन्ना प्रभारी बनाए, उसी तरह संघ ने भी अपने प्रभारी बनाए थे। ये निर्दलीय प्रत्याशियों के एजेंट के रूप में हर मतदान केंद्र पर मौजूद थे। इससे संघ के पास तुरंत गोपनीय फीडबैक जा रहा था। जानकारी मिलने के बाद जिस क्षेत्र में मतदान कम हो रहा था, वहां संघ के स्वयंसेवक घर-घर जाकर लोगों को मतदान करने के लिए आग्रह कर रहे थे।
मतदाताओं को चिह्नित
संघ ने ऐसे मतदाताओं को चिह्नित कर लिया था, जो शहर छोड़कर जा चुके थे या किसी कारण शहर में नहीं थे। उनसे भी संपर्क कर मतदान के लिए आने का आग्रह किया गया था। मतदान वाले दिन दोपहर तीन बजे के बाद तो संघ के स्वयंसेवकों ने लोगों को घर से निकाल-निकालकर मतदान करवाया।
अंतर्कलह को किया कम
बीते कई वर्षों से सत्ता में रहने के कारण भाजपा में कई क्षत्रप हो गए हैं। सबके अपने-अपने गुट हैं। हर नेता स्वयं को मुख्यमंत्री पद का दावेदार मान रहा था। ऐसे में संघ ने प्रदेश के कई बड़े नेताओं से चर्चा की और अंतर्कलह को कम करवाया। केंद्रीय मंत्री स्तर के बड़े नेताओं को चुनाव मैदान में उतारने की रणनीति भी संघ की ही मानी जा रही है। जो कार्यकर्ता विधायकों या स्थानीय नेताओं के चलते नाराज थे, उन्हें समझाया कि हमें नेताओं के बजाय विचारधारा के साथ रहना चाहिए।
राष्ट्रीय मुद्दों को रखा प्राथमिकता पर
संघ का मूल काम ही जनजागरण है। इस चुनाव में जनजागरण के लिए संघ ने मोहल्ला बैठकों का आयोजन किया। इसमें पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन (पीपीटी) के माध्यम से लोगों को बताया गया कि स्थानीय मुद्दों के बजाय हमें राष्ट्रहित में सोचना चाहिए। तथ्यों के साथ समझाया गया कि चुनाव में राष्ट्रवादी ताकतों के जीतने से राज्यसभा में भी राष्ट्रवादी विचारधारा मजबूत होगी। संघ के एजेंडे में श्रीराम मंदिर और कश्मीर के अलावा भी कई राष्ट्रीय मुद्दे हैं। लोगों को बताया गया कि जनसंख्या नियंत्रण कानून, समान नागरिक संहिता, सीएए जैसे कई कानून राज्यसभा में बहुमत से पारित होने के बाद ही लागू किए जा सकते हैं।
भागवत के वीडियो का असर, नोटा बेअसर
संघ ने इस बार इंटरनेट मीडिया का भी भरपूर उपयोग किया। संघ प्रमुख मोहनराव भागवत का नोटा को लेकर एक वीडियो सामने आया था। इसमें उन्होंने नोटा के बजाय मौजूद विकल्पों में से सर्वश्रेष्ठ को चुनने की बात कही थी। इस वीडियो को इंटरनेट मीडिया पर बहुप्रसारित किया गया। असर यह हुआ कि पिछले चुनाव में नोटा को 1.4 प्रतिशत वोट मिले थे, जो इस बार घटकर एक प्रतिशत से भी कम रहे।
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