Shyama Prasad Mukherjee जयंती, जानिए कश्मीर जेल में कैसे हुई थी मौत, देखें वीडियो
श्याम प्रसाद मुखर्जी (Shyama Prasad Mukherjee) जयंती को हमारे देश भारत में हर साल 6 जुलाई को मनाया जाता है। यह एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय उत्सव है जो उन्हें समर्पित है, जो भारतीय राजनीतिज्ञ, शिक्षाविद्, स्वतंत्रता सेनानी और बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी) के संस्थापक थे।
श्याम प्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई 1901 को हुआ था। उन्होंने नवीन भारत के साथ एक मजबूत संविधान का निर्माण किया और भारतीय राजनीति में अपनी महत्वपूर्ण योगदान दिया।
श्याम प्रसाद मुखर्जी ने अपने जीवन के दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे, लेकिन उन्होंने बाद में भारतीय जनसंघ (Bharatiya Jana Sangh) की स्थापना की, जो बाद में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के रूप में विकसित हुई। वे हिंदू मुस्लिम भाईचारे की रक्षा के लिए अपनी जान दे देने के लिए जाने जाते हैं, जब वे काश्मीर के अनुच्छेद 370 को खत्म करने के लिए आंदोलन कर रहे थे।
श्याम प्रसाद मुखर्जी का जीवनश्याम प्रसाद मुखर्जी ने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया और उनकी सेवाएं देश के लिए यादगार हैं। उन्होंने 1950 में भारतीय जनसंघ की स्थापना की, जो भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के उद्घाटन में बदल गई। वे पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रह चुके थे और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक मंत्री के रूप में भी सेवा कर चुके थे।
उनकी जीवन-यात्रा में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के रूप में भी महत्वपूर्ण योगदान शामिल है। उन्होंने ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ अपनी बहादुरी का प्रदर्शन किया और भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया।
हालांकि, श्याम प्रसाद मुखर्जी की जीवन-यात्रा अधूरी रह गई क्योंकि उनकी मृत्यु 23 जून 1953 को हुई। वे कश्मीर के अनुच्छेद 370 के विरोध में एक आंदोलन के दौरान गिरफ्तार हो गए थे और काश्मीर में जेल में बंद रहते हुए उनकी मृत्यु हुई। उनकी मृत्यु के बाद उन्हें एक राष्ट्रीय नेता के रूप में मान्यता दी गई गई और वे एक महान व्यक्तित्व के रूप में स्मरण की जाती हैं। उनकी जयंती को हर साल 6 जुलाई को उनकी याद में मनाया जाता है और इस दिन उनके योगदान को सम्मानित किया जाता है।
श्याम प्रसाद मुखर्जी जी की जयंती पर उन्हें समर्पित कार्यक्रम, संगठन, विद्यालयों और समारोहों का आयोजन किया जाता है। लोग उनके विचारों, नीतियों और देशभक्ति के आदर्शों के प्रतीक रूप में उन्हें याद करते हैं। इस दिन उनके जीवन और कार्य के बारे में विशेष व्याख्यान, संगठन के गतिविधियों, सेमिनार, प्रतियोगिताएं, और दृश्य-कला कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
इस दिन लोग उनके विचारों, दृष्टिकोण और देशप्रेम के महत्व को समझने का प्रयास करते हैं और उनके योगदान को याद करते हुए देश की उनकी अद्यतित पीढ़ी को प्रेरित करते हैं।