संघ शिक्षा वर्ग समापन : लोक के कारण तंत्र है, तंत्र के कारण लोक नहीं – नारायण नामदेव

कोरबा, 01 जून 2025 । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के कार्य विस्तार का एक महत्वपूर्ण आधार प्रतिवर्ष ग्रीष्मकाल में आयोजित होने वाले संघ शिक्षा वर्ग माने जाते हैं। इसी परंपरा में इस वर्ष छत्तीसगढ़ प्रांत का संघ शिक्षा वर्ग (सामान्य) 17 मई से सरस्वती उच्चतर माध्यमिक विद्यालय (बुधवारी), कोरबा में प्रारंभ हुआ, जो 01 जून को समापन के पश्चात 02 जून को दीक्षांत समारोह के साथ संपन्न होगा।

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संघ ने वर्ष 2024 से अपने प्रशिक्षण वर्गों के नाम और पाठ्यक्रमों में परिवर्तन किया है। अब प्रथम वर्ष को “संघ शिक्षा वर्ग”, द्वितीय को “कार्यकर्ता विकास वर्ग एक” तथा तृतीय को “कार्यकर्ता विकास वर्ग दो” कहा जाएगा। इस बार कोरबा में आयोजित वर्ग की अवधि 15 दिन रखी गई है, जो पहले 20 दिन होती थी।

छत्तीसगढ़ के 34 जिलों से आए कुल 472 शिक्षार्थियों ने लिया सहभाग
छत्तीसगढ़ प्रांत के सभी 34 जिलों से आए कुल 472 शिक्षार्थियों ने इस वर्ग में भाग लिया। समापन अवसर पर घंटाघर, अंबेडकर प्रांगण, कोरबा में भीषण गर्मी के बीच 45 मिनट तक गणसमता, पदविन्यास, दंड संचालन, खेल, योगासन एवं सामूहिक शारीरिक प्रदर्शन प्रस्तुत किए गए।
वर्ग के शिक्षार्थियों की आयु वर्ग एवं वर्गीकरण
इस वर्ग में संघ के सभी आयु वर्गों के कार्यकर्ताओं — विशेषकर छात्र, कर्मचारी, व्यवसायी और कृषकों ने भाग लिया। उन्हें संघ की रीति-नीति, विचारधारा, और कार्यप्रणाली से परिचित कराया गया। साथ ही भारत के गौरवशाली इतिहास, महापुरुषों, मुख्य अतिथि, वैज्ञानिकों और स्वतंत्रता सेनानियों का स्मरण कर उनके जीवन से प्रेरणा लेने का संदेश दिया गया।

“संघ में ही राष्ट्रभक्ति और अनुशासन की भावना स्पष्ट” – सुभाष त्रिपाठी
मुख्य अतिथि, संघ शिक्षा वर्ग (सामान्य), कोरबा

संघ के स्वयंसेवक सेवाभाव के परिचायक
समापन समारोह में मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार सुभाष त्रिपाठी ने कहा कि जैसे सेना के लिए राष्ट्र सर्वोपरि होता है, वैसे ही संघ के लिए भी राष्ट्र सर्वोच्च है। उन्होंने कहा कि संघ ने 100 वर्षों में मानवीय संवेदनाओं के क्षेत्र में एक विशिष्ट पहचान बनाई है। प्राकृतिक आपदाओं — जैसे भूकंप, बाढ़ और कोरोना संकट में संघ के स्वयंसेवकों ने सेवाभाव का परिचय दिया है। उन्होंने कहा कि संघ अब केवल भारत में नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना चुका है।
समापन समारोह में मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार सुभाष त्रिपाठी ने कहा कि जैसे सेना के लिए राष्ट्र सर्वोपरि होता है, वैसे ही संघ के लिए भी राष्ट्र सर्वोच्च है। उन्होंने कहा कि संघ ने 100 वर्षों में मानवीय संवेदनाओं के क्षेत्र में एक विशिष्ट पहचान बनाई है। प्राकृतिक आपदाओं — जैसे भूकंप, बाढ़ और कोरोना संकट में संघ के स्वयंसेवकों ने सेवाभाव का परिचय दिया है। उन्होंने कहा कि संघ अब केवल भारत में नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना चुका है।

“लोक के कारण तंत्र है, तंत्र के कारण लोक नहीं” – नारायण नामदेव
मुख्य वक्ता सह प्रांत प्रचारक नारायण नामदेव ने कहा कि माँ सर्वमंगला के सानिध्य में यह 15 दिवसीय संघ शिक्षा वर्ग श्रेष्ठ अर्हताएँ पूर्ण करते हुए संपन्न हुआ। उन्होंने कहा कि शारीरिक प्रशिक्षण केवल एक अभ्यास नहीं, बल्कि यह सामाजिक स्वास्थ्य और राष्ट्र रक्षण की आवश्यकता भी है। यह कार्य सनातन परंपरा का ही निरंतर पालन है, जिसे संत-महात्माओं और क्रांतिकारियों ने मार्गदर्शन स्वरूप प्रस्तुत किया।उन्होंने कहा कि संघ की 100 वर्षों की यात्रा उपेक्षा से लेकर समाज की अपेक्षा तक पहुंची है, और लोकतंत्र को मजबूत बनाना संघ का उद्देश्य है। जनजातीय समाज के भीतर उत्पन्न विघ्न और षडयंत्रों को निरस्त करते हुए वनवासी समाज आज अपनी मूल सनातन परंपरा के साथ खड़ा हो रहा है।

मातृशक्ति और युवाओं की भूमिका पर बल
सह प्रांत प्रचारक नारायण नामदेव ने कहा कि देश में मातृशक्ति का योगदान सदैव से अतुलनीय रहा है। उन्होंने अहिल्या देवी होलकर से लेकर विंग कमांडर व्योमीका सिंह और कर्नल सोफिया कुरैशी तक के उदाहरण प्रस्तुत करते हुए नारी शक्ति को राष्ट्र की प्रेरणा बताया।उन्होंने स्वयंसेवकों को संघ के शताब्दी वर्ष के अवसर पर घर-घर संपर्क, सद्भाव बैठकें, हिंदू सम्मेलन तथा युवा सम्मेलनों के आयोजन के माध्यम से समाज को जोड़ने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि समाज को जागृत करने और वैभवशाली भारत निर्माण के लिए नीति, समर्पण और त्याग आवश्यक है। अब समय आ गया है कि हिंदू समाज व्यक्तिगत, पारिवारिक और सामाजिक जीवन के सभी स्तरों पर एकजुट होकर धर्म क्रांति का नेतृत्व करे — जिसमें सत्य, सुचिता, कल्याण और तपस मूल आधार हों।
संघ कार्य को बताया गंगाजल समान
उन्होंने संघ कार्य को गंगाजल की उपमा देते हुए कहा कि जैसे गंगाजल से भूमि उपजाऊ होती है, वैसे ही संघ का कार्य भी समाज में ऊर्जा, वैभव और यश की वृद्धि करता है। संघ गंगा में डुबकी लगाने वाले व्यक्ति का जीवन सार्थक और सफल होता है।उन्होंने आह्वान किया कि संपूर्ण समाज को सज्जन शक्ति, मातृशक्ति और सुप्त शक्ति को जागृत कर राष्ट्र निर्माण में जुटना चाहिए।उपस्थित गणमान्य और आयोजन विवरणमंच पर सर्वाधिकारी सुदामा चंद्रा, मुख्य अतिथि सुभाष त्रिपाठी, मुख्य वक्ता नारायण नामदेव, प्रांत संघचालक टोपलाल वर्मा, जिला संघचालक विशाल उपाध्याय उपस्थित थे। वृत्त कथन वर्ग कार्यवाह दिलेश्वर उमरे और आभार प्रदर्शन सर्वव्यवस्था प्रमुख राजेन्द्र अग्रवाल ने किया। इस आयोजन में छत्तीसगढ़ प्रांत एवं मध्य क्षेत्र के अधिकारी एवं अनेक गणमान्य नागरिक भी उपस्थित रहे।