शिव रियल इस्पात का कारनामा : बरसते पानी में मजदूरो को फैक्ट्री से किये बाहर, भोजन और बैग को भी कीचड़ में फेके उद्योग प्रबन्धन
दिलीप वर्मा, बोल छत्तीसगढ़। शिव रियल इस्पात उद्योग नगर सिलतरा और टाढ़ा क्षेत्र में लगे उद्योगपतियों की मनमानी अब इतनी बढ़ गई है कि अब मानवता भी अब शर्मसार हो रही है। मंगलवार को सुबह दस बजे भारी बारिश के बिच श्रीरियल इस्पात में ठेकेदारी में कार्य कर रहे हैं। मजदूर जो कम्पनी के अंदर बने लेवर क्वाटर में भोजन बना कर बैठे ही थे कि कम्पनी प्रबन्धन ने लगभग 60 मजदूरो को बिना वेतन दिए ही बर्तन और बैग सहित बने हुए भोजन को गेट के बाहर फेक दिए और गेट बन्द कर दिए। इस बात की खबर लगते ही स्थानीय जनप्रतिनिधियो ने कम्पनी पहुच कर गेट के बाहर हंगामा खड़ा कर दिए तब जा कर प्रबन्धन ने मजदूरो को उनके मजदूरी दिए सभी मजदूर मध्य प्रदेश के रहने वाले थे।
सिलतरा उद्योग नगर क्षेत्र के ग्राम चरौदा टाढा मार्ग पर स्थित श्रीरियल इस्पात स्थापित है जंहा भारी संख्या में ठेकेदारी प्रथा के चलते मजदूरो से काम लिया जाता है। मंगल वार की सुबह 10 बजे उद्योग प्रबन्धन की टीम ने कारखाना के अंदर बने लेवर क्वाटर में म.प्र के लगभग 60 मजदूर जिसमे कुछ स्थानीय महिला मजदूर भी थे जिसे अचानक ये फर्मान सुना दिए की बारिश में अब काम नही है तुम सभी बाहर निकलो और घर चले जाओ मग़र मजदूरो ने जब अपनी मजदूरी लगभग 02 लाख रूपये (60 मजदूरो) की मांग किये तो सभी को लात और घुसो से मारते हुए सभी मजदूरो को गेट से बाहर भगा दिए।
मजदूरो पर हो रहे अत्याचार की खबर सुबह 11 बजे क्षेत्र में आग की तरह फ़ैल गई जंहा सुचना मिलते ही क्षेत्रीय जिला पँचायत सदस्य श्री राकेश यादव,युंका अध्यक्ष श्री अंकित वर्मा,चरौदा सरपंच छगेंद्र वर्मा,परसतराई सरपंच हेमन्त वर्मा सहित दर्जन भर जनप्रतिनिधि दल बल के साथ पहुच गए और सभी मजदूरो को फिर से गेट के पास ले गए और मजदूरो की मजदूरी देने धरने पर बैठ गए जिसके चलते भारी हंगामा खड़ा हो गया स्थिति को बिगड़ते देख कम्पनी प्रबन्धन ने मजदूरो की मजदूरी देने राजी हो गए और लगभग दो लाख रूपये सभी को पेमेंट किये जिसके बाद मजदूर अपने गांव के लिए रवाना हो गए।
बता दे कि सिलतरा इंडस्ट्री में उद्योग निति और कानून ब्यवस्था जमीदोष हो चुकी है। क्षेत्र में कई उद्योग मानवता को भी शर्मसार करने में पीछे नही है।क्षेत्र में चारागाह और शमशान घाट की भूमि पर कल कारखाना खोल लिए है तो आज श्रीरियल इस्पात में बरसते पानी में मजदूरो को फैक्ट्री से मारपीट कर भगाना और सभी मजदूरो के पके हुए भोजन को बाहर फेकने में भी कोई कसर नही छोड़ रहे है। इन तथाकथित उद्योगों द्वारा दिखावे के लिए कुछ कार्य तो गांव में किये है मगर उसकी बड़ी कीमत जो ग्रामीणों से मुवावजा के रूप में ले लेते है उससे ग्रामीण अनजान है।इस पुरे घटना क्रम में जिम्मेदार विभाग और जिम्मेदार जनप्रतिनिधि की मौन स्वीकृति क्षेत्र की विनाश के लिए पर्याप्त है।