What is Diabetes Remission?: क्या डायबिटीज को रिवर्स किया जा सकता है? जानिए किन लोगों में नहीं संभव है डायबिटीज रिमिशन
What is Diabetes Remission?: क्या डायबिटीज को रिवर्स किया जा सकता है? जानिए किन लोगों में नहीं संभव है डायबिटीज रिमिशनWhat is Diabetes Remission?: शुगर की बीमारी होने के बाद ऐसा माना जाता है कि यह बीमारी सदा के लिए है. डायबिटीज होने के बाद हर दिन परहेज से खाने-पीने की सलाह दी जाती है. आजकल डायबिटीज रिमिशन टर्म काफी प्रचलन में हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सच में डायबिटीज को रिवर्स किया जा सकता है? डायबिटीज रिमिशन को समझने के लिए एनडीटीवी ने इस बारे में एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के एंडोक्राइनोलॉजी विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. संदीप खरब से बातचीत की.उन्होंने डायबिटीज रिमिशन का असली मतलब समझाते हुए बताया कि किन लोगों में यह संभव नहीं है, और डायबिटीज रिवर्सल जैसे कॉन्सेप्ट में कितनी सच्चाई है.क्या डायबिटीज को रिवर्स किया जा सकता है? (Can diabetes be reversed?)डॉ. संदीप खड़ब बताते हैं कि डायबिटीज को नियंत्रित किया जा सकता है या कुछ लोगों में डायबिटीज के दवा की जरूरत को कम किया जा सकता है, लेकिन पूरी तरह से इस बीमारी से छुटकारा पाना संभव नहीं है. मोटापे के शिकार टाइप 2 डायबिटीज लोगों में वेट लॉस और हेल्दी लाइफस्टाइल के जरिए दवा की जरूरत को सीमित कर शुगर लेवल कंट्रोल किया जा सकता है लेकिन, परहेज न करने और एक समय बाद शुगर लेवल दोबारा बढ़ सकता है.क्या है डायबिटीज रिमिशन?डॉ. संदीप खरब ने बताया कि कैंसर रिमिशन शब्द से डायबिटीज रिमिशन का कॉन्सेप्ट आया है. जैसे इलाज के बाद कैंसर ठीक होने के बावजूद दोबारा हो सकता है, उसी तरह डायबिटीज कंट्रोल किया जा सकता है. इसे खत्म करना संभव नहीं है, एक समय के बाद शुगर लेवल दोबारा बढ़ सकता है. डॉक्टर ने बताया कि कम समय पहले हुए टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों में वेट लॉस और हेल्दी लाइफस्टाइल लागू कर के शुगर नियंत्रित करना संभव है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि डायबिटीज से पूरी तरह से छुटकारा मिल जाता है. किन लोगों में डायबिटीज रिमिशन नहीं संभव है?डायबिटीज रिमिशन शुगर के सभी मरीजों में संभव नहीं है. यह सिर्फ टाइप 2 डायबिटीज के शिकार मरीजों में संभव है. जिन्हें लंबे समय से डायबिटीज है या जो लोग पतले हैं उनमें भी डायबिटीज रिमिशन संभव नहीं है. पतले लोगों में इंसुलिन रजिस्टेंस कम होता है क्योंकि उनमें इंसुलिन ही कम बनता है. डॉ. संदीप ने बताया कि सी-पेप्टाइड टेस्ट के जरिए इंसुलिन के स्तर की जांच की जाती है. जिन मरीजों में इंसुलिन स्तर कम है उनमें डायबिटीज रिमिशन का चांस भी कम हो जाता है.