बच्चे पर बेवजह डाल रही हैं आप प्रेशर और खुद भी ले रही हैं टेंशन तो ऐसा करने से बचें, ये गलतियां चाइल्ड के लिए ठीक नहीं

बच्चे पर बेवजह डाल रही हैं आप प्रेशर और खुद भी ले रही हैं टेंशन तो ऐसा करने से बचें, ये गलतियां चाइल्ड के लिए ठीक नहींParenting Tips: हर मां-बाप चाहते हैं कि उनका बच्चा बड़ा होकर एक अच्छा इंसान बने. अपना करियर बनाए साथ ही अपने से बड़ों का सम्मान करे. बच्चे की परवरिश (How to raise a child) अच्छी हो इसलिए पेरेंट्स खुद को उनकी लाइफ में इतना इन्वॉल्व (Involve) कर लेते हैं कि वो अपनी सब चीजें कब भूल जाते हैं उन्हें पता ही नहीं चलता है. जिसकी वजह से वो इतने नेगेटिव (Negativity) हो जाते हैं कि उन्हें पता ही नहीं चलता है कि वो अपने बच्चे के साथ-साथ खुद को भी परेशान कर रहे हैं. ऐसा सबसे ज्यादा मां (Role of mother in parenting) के साथ होता है क्योंकि वह ही बच्चे को अच्छी परवरिश देने के लिए अपनी नौकरी से लेकर कई चीजें छोड़ देती हैं. मां अपनी इंवॉल्वमेंट इतनी कर लेती हैं कि बच्चे के भविष्य पर उसका प्रभाव होने लगता है. आइए आपको बताते हैं कि इससे बच्चे पर क्या प्रभाव पड़ते हैं.रनिंग या सीढ़ियां चढ़ना किस से तेजी से होगा वजन कम, जानिए दोनों का शरीर पर क्या पड़ता है असरअच्छा करने का प्रेशरमां का जब सारा ध्यान बच्चे पर होता है तो जिन चीजों में वो अच्छी थी उसकी एक्सपेक्टेशन बच्चे से भी करने लगती हैं. जैसे कि अगर उनके नंबर पढ़ाई में अच्छे आते थे तो वो चाहती हैं कि बच्चे के नंबर भी उतने ही आएं. जिसकी वजह से बच्चे पर पढ़ाई में अच्छा करने का ज्यादा प्रेशर बनता है.बच्चा अपने फैसले नहीं ले पाता हैजब बचपन से मां उसके सारे काम करती है तो बच्चा उन पर शुरू से ही डिपेंडेंट हो जाता है. जिसकी वजह से उसे भविष्य में परेशानी होती है. वो अपने फैसले खुद नहीं ले पाता है. साथ ही वो समझ नहीं पाता है कि अपनी प्रॉब्लम को कैसे सॉल्व करे.मां को होती है ये दिक्कतजिस बच्चे की हर चीज मां बचपन से करती आई हो वो जब बड़ा होकर अपनी चीजें खुद करने लगता है और आजाद रहना पसंद करता है तो ऐसे में उसकी मां को लगने लगता है कि उनके बच्चे को उनकी जरूरत नहीं है. जिसकी वजह से उन्हें अपने जीवन में कोई उद्देश्य ही नहीं मिलता है और वो ज्यादा परेशान रहने लगती हैं.बच्चे की परवरिश करते समय उसकी लाइफ में इंवॉल्वमेंट और स्पेस के बीच बैलेंस बनाकर रखना बहुत जरुरी होता है. अगर ऐसा नहीं करते हैं तो इससे बच्चे के साथ पेरेंट्स को भी आगे चलकर परेशानी होती है.