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बेटी में होने वाली है प्यूबर्टी और पीरियड्स की शुरुआत, तो माता पिता ऐसे बनें उनकी स्ट्रेंथ, जानें बच्चों के साथ तालमेल बिठाने के तरीके

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बेटी में होने वाली है प्यूबर्टी और पीरियड्स की शुरुआत, तो माता पिता ऐसे बनें उनकी स्ट्रेंथ, जानें बच्चों के साथ तालमेल बिठाने के तरीकेHow To Adjust With Kids During Puberty: प्यूबर्टी का मतलब बिलकुल साफ है, एक ऐसा दौर जब कोई भी बच्चा, वो लड़का हो चाहें लड़की हो, वो शारीरिक बदलाव से गुजरता है. ऐसा बरसों से होता आया है. हमेशा भोले और मासूम से दिखने वाले बच्चे और पेरेंट्स की बात सुनने और मानने वाले बच्चे एक एज में जाकर कुछ अलग तरह से बिहेव करते हैं. अपने लिए स्पेस तलाशते हैं और कुछ बदले अंदाज में जवाब देते हैं. इसकी वजह प्यूबर्टी ही होती है. जो बच्चों में फिजिकल चेंज के साथ-साथ मेंटल चेंज भी लेकर आती है. ऐसे समय में पेरेंट्स अगर सही तरीके से बिहेव करते हैं तो वो अपने बच्चों का सपोर्ट सिस्टम भी बन सकते हैं और उन के इस दौर को आसान बना सकते हैं. एनडीटीवी ने इस बारे में सेक्सुअल हेल्थ एक्सपर्ट डॉक्टर निधि झा से चर्चा की.इस तरह करें बच्चों के साथ बिठाएं तालमेल | How To Adjust With Growing Kidsपेरेंट्स खुद को करें तैयारडॉ. निधि झा का कहना है कि बच्चों के इस फेज को समझना पहले पेरेंट्स के लिए जरूरी है. उन्होंने कहा कि ये फेज पहले से चला आ रहा है. बच्चे हमेशा से प्यूबर्टी के दौर से गुजरते रहे हैं. लेकिन अब उनके पास एक्सपोजर ज्यादा है. वो चीजों को अपनी तरह से समझने और देखने लगते हैं. ऐसे समय में पेरेंट्स को खुद मेंटली तैयार रहना चाहिए कि उनका बच्चा ऐसे किसी फेज से गुजर रहा है, जिसमें हार्मोनल चेंजेस भी आ रहे हैं. जो अक्सर मूड स्विंग का कारण भी बनते हैं.यह भी पढ़ें: पीरियड्स की उम्र आने से पहले बच्चियों को खिलाएं ये चीजें, खूब बढ़ेगी हाइट और रहेंगी एक्टिव, एक्सपर्ट ने बताया…डॉ. निधि झा के मुताबिक कई बार बच्चे पेरेंट्स से बात करना बंद कर देते हैं या कम कर देते हैं. जरूरी है कि उन्हें अकेला छोड़ने की बजाए या उन की बातों का बुरा मानने की बजाए उन से बात करें. उन्हें समझें. अगर फिर भी बात न बने तो डॉक्टर से संपर्क करें या काउंसलर की मदद लें.कॉर्डिनेशन भी जरूरी हैडॉ. निधि की सलाह है कि इस दौर से गुजर रहे पेरेंट्स आपस में कॉर्डिनेशन जरूर बना कर रखें. वो कहती हैं कि कई बार कुछ बच्चे पापा के साथ बातें डिस्कस करने में कंफर्टेबल होते हैं. खासतौर से लड़के और, लड़कियां अपनी समस्याएं मां से शेयर करती हैं. ऐसे में जरूरी है कि माता पिता भी आपस में कॉर्डिनेशन बना कर रखें. ताकि जब जिस पेरेंट की जरूरत हो बच्चे को उस का सहारा मिल सके और पेरेंट्स के बीच भी इसकी पूरी जानकारी रहे.यह भी पढ़ें: दूध पनीर से भी ज्यादा फायदेमंद होती है ये एक चीज, लबालब भरा होता है कैल्शियम, क्या आपको पता है इसका नाम?बेटियों का सपोर्ट सिस्टम बने फादरकई बार बेटियां पिता से प्यूबर्टी और खासतौर से पीरियड्स की बात करने में झिझकती हैं. ऐसे हालात में अगर घर पर मम्मी नहीं है तो बेटियां बहुत परेशान होती हैं. इस परिस्थितियों में पिता ही बेटी का सहारा बन सकते हैं. सही शब्दों में और सही तरीके से वो बेटियों की परेशानी समझ भी सकते हैं और समझा भी सकते हैं. डॉ. निधि झा के मुताबिक पिता पीरियड्स की समस्या को लेकर अनबायस्ड होते हैं. इसलिए वो ज्यादा ब्रॉड व्यू इस पर रख सकते हैं. लेकिन इससे पहले उन्हें भी खुद को इन समस्याओं पर एजुकेट कर लेना चाहिए.प्यूबर्टी क्या है और किस उम्र में शुरू होती है? डॉक्टर से जानिए कुछ अनसुनी बातें…

How To Survive Puberty As A Parent?: प्यूबर्टी बच्चों में फिजिकल चेंज के साथ-साथ मेंटल चेंज भी लेकर आती है. ऐसे समय में पेरेंट्स अगर सही तरीके से बिहेव करते हैं तो वो अपने बच्चों का सपोर्ट सिस्टम भी बन सकते हैं
Bol CG Desk

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