विश्व हिंदू कांग्रेस सम्मेलन बैंकाक में, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा… भौतिक सुख सुविधाएं प्राप्त करने के बाद भी दुनिया संतुष्ट नहीं
तीसरे संस्करण के लिए जयस्य आयतनम धर्मः को ध्येय वाक्य रखा गया है
विश्व हिंदू कांग्रेस सम्मेलन इस बार थाइलैंड की राजधानी बैंकाक में आयोजित हो रहा है। इसमें भाग लेने पहुंचे आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का कहना है कि सब भौतिक सुख सुविधाएं प्राप्त करने के बाद भी दुनिया संतुष्ट नहीं है।
चार साल में एक बार होने वाले इस सम्मेलन के तीसरे संस्करण के लिए जयस्य आयतनम धर्मः को ध्येय वाक्य रखा गया है, जिसका अर्थ होता है धर्म, विजय का निवास होगा।
आज की दुनिया अब लड़खड़ा रही
मोहन भागवत ने आगे कहा, ‘आज की दुनिया अब लड़खड़ा रही है। इसने दो हजार वर्षों से खुशी, आनंद और शांति लाने के लिए कई सारे प्रयोग किए हैं। इतना ही नहीं, भौतिकवाद, साम्यवाद और पूंजीवाद की कोशिश की है। सब भौतिक सुख प्राप्त कर लिया है, लेकिन फिर भी संतुष्टि नहीं है।’
भारत से उम्मीद
उन्होंने कहा, ‘ भौतिक सुख सुविधाओं के बावजूद लोग खुश नहीं हैं। दुनिया ने कोविड काल के बाद पुनर्विचार शुरू कर दिया है। ऐसे में लगता है कि वे इस सोच में एकमत हैं कि भारत रास्ता दिखाएगा क्योंकि भारत पहले भी ऐसा कर चुका है। उन्हें भारत से उम्मीद है और वहीं हमारे समाज और राष्ट्र का भी यही उद्देश्य है।’
दुनिया एक परिवार
उन्होंने कहा कि दुनिया एक परिवार है और हम सभी को आर्य बनाएंगे, जो एक संस्कृति है। लोग भौतिक सुख पाने के लिए एक-दूसरे से लड़ने और हावी होने की कोशिश करते हैं। हमने इसका अनुभव किया है।
अगर हम विश्व में शांति और सद्भाव…
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, ‘कुछ महीने पहले, विश्व मुस्लिम परिषद के महासचिव भारत आए थे और वहां अपने भाषणों में उन्होंने कहा था कि अगर हम विश्व में शांति और सद्भाव चाहते हैं, तो भारत के साथ जुड़ना जरूरी है। इसलिए यह हमारा कर्तव्य है। यही कारण है कि हिंदू समाज अस्तित्व में आया।’
थाईलैंड में आज तीसरे विश्व हिंदू सम्मेलन का का उद्घाटन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने किया । सम्मेलन में विचारक, कार्यकर्ता और नेता दुनियाभर में हिंदुओं के सामने आने वाले मुद्दों, चुनौतियों पर विचार रखेंगे और हल तलाशेंगे। चार साल में एक बार होने वाले इस सम्मेलन के तीसरे संस्करण के लिए जयस्य आयतनम धर्मः को ध्येय वाक्य रखा गया है, जिसका अर्थ होता है धर्म, विजय का निवास होगा। सम्मेलन के तहत मूल्यों, रचनात्मकता व उद्यमशीलता की भावना को जताने के लिए सात समानांतर सम्मेलन भी आयोजित किए जाएंगे।
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