नवनिर्माण Bundele धोबी समाज ने धूमधाम से मनाई, संत गाडगे महाराज की 147 वीं जयंती
23 फरवरी गुरुवार नवनिर्माण Bundele धोबी समाज द्वारा स्वच्छता के जनक संत शिरोमणि श्री गाडगे महाराज की 147 वी जयंती धूमधाम से मनाई,समाज द्वारा राजधानी रायपुर के शास्त्री बाजार मेंन गेट पर श्री गाडगे बाबा की पूजा अर्चना की गई, पूजा अर्चना के बाद प्रसाद वितरण और भंडारे का आयोजन किया गया, जयंती के अवसर पर नव निर्माण बुन्देल धोबी सामज के संरक्षण पूर्व पार्षद राधेश्याम बुन्देला ने संत गाडगे बाबा की योगदान और उनके बताए मार्ग पर चलने की बात कही,
उन्होंने कहा” सन्त गाडगे बाबा सर्वप्रथम स्वच्छता के जनक है, उन्होंने दीन दुखियों की सेवा को ही अपना धर्म माना और समाज में स्थापित अंधविश्वास रूढ़िवादी परंपराएं और समाज के उच- नीच भावना को मिटाने का काम किया.. आज हम संत गाडगे बाबा की 147 वी जयंती मना रहे हैं, खुशी की बात यह है कि आज रायपुर के साथ ही छत्तीसगढ़ के हर जिलों में संत गाडगे बाबा की जयंती धूमधाम से मनाई जा रही है,, संत गाडगे बाबा के विचार आज भी प्रासंगिक है .संत गाडगे बाबा के बताएं पथ मार्ग चलना ही समाज की सच्ची सेवा होगी.”
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कार्यक्रम में पहुंचे विश्व रजक महासंघ के चेयरमैन संतराम कन्नौजे ने संत गाडगे महाराज नमन करते हुए कहा कि “संत गाडगे महाराज ने हमेशा शिक्षा को ही अग्रणी माना, उन्होंने समाज में अशिक्षित लोगों को साक्षर करने का काम किया. शिक्षित होने की शिक्षा दी, इसके लिए उन्होंने कई बालवाड़ी और पाठ शालाओं का निर्माण करवाया, आज भी समाज में शिक्षा की अत्यधिक जरूरत है, शिक्षा के बल पर ही सब कुछ हासिल किया जा सकता है. इसलिए समाज के सभी वर्गों को उच्च शिक्षित करना जरूरी है”
Bundele समाज ही नही बल्कि राष्ट्रीय संत
नवनिर्माण बुन्देल धोबी समाज के सलाहकार सुभाष Bundele ने कहा “शिरोमणि संत श्री गाडगे बाबा ईश्वर में लीन होने वाले संत नहीं थे, वे देशहित समाज सुधार की तीव्र अभिलाषा रखने वाले राष्ट्रीय संत थे.हमें इस बात पर गर्व है कि हमारे धोबी जाति में ऐसे महान संत का जन्म हुआ.देश के विभिन्न भागों में संत गाडगे बाबा ने अपने जीवन काल में 60 से अधिक जनोपयोगी संस्थाएं स्थापित की.
उन्होंने छात्र-छात्राओं के लिए पाठशाला, धर्मशालाएं ,पीने के कुएं ,नदियों पर घाट का निर्माण करवाया, अनाथालय ,वाचनालय चिकित्सालय ,कुष्ठ धाम, गौशाला जैसी संस्थाएं खोली और आज भी यह संस्था कार्यरत है.
महाराष्ट्र के अमरावती में संत गाडगे बाबा के नाम पर विश्वविद्यालय है जहां से लाखों छात्र शिक्षित होकर अपना भविष्य बना रहे हैं. संत गाडगे बाबा का योगदान समाज के लिए अतुलनीय रहा है. हमें उनके बताए मार्गो का अनुसरण करना चाहिए.”
bundele समाज के युवाओं ने किया स्मरण
नवनिर्माण बुन्देल धोबी समाज के सचिव अश्वनी Bundele ने संत गाडगे बाबा को स्मरण करते हुए उनके संदेशों को बताया उन्होंने कहा कि “संत गाडगे बाबा ने जो संदेश समाज को दिए आज हमे उनके नक्शे कदम पर चलना होगा उन्होंने अपने को साफ रखने और आसपास में स्वच्छता बनाए रखो का सन्देश दिया, भूखे को रोटी प्यासे को पानी, गरीब नंगे- तन को कपड़ा , गरीब बेसहारा बच्चों को सहारा और शिक्षा देने का संदेश दिया .वे हमेशा राष्ट्रहित और समाज सेवा में निरंतर लगे रहते थे .
गाडगे बाबा ने कहा है कि रोगियों की सेवा करो . गरीब लड़की और लड़कियों के विवाह का प्रबंध करो, गाडगे बाबा ने मानव सेवा को ही सच्चा धर्म माना है वे सेवा को देव पूजा के समान मानते तबे, हमें भी संत गाडगे बाबा के बताए इन संदेशों का पालन करना चाहिए जिससे सामज की प्रगति हो .”
नवनिर्माण मंदिर धोबी समाज के पूर्व अध्यक्ष ललित बुंदेल ने कहा कि “संत गाडगे बाबा जैसे संतो का जन्म मानव समाज के वरदान है, उन्होंने अपना जीवन समाज सेवा में ही लगा दिया. हमेशा उन्होंने लोगों की सेवा की और दीन दुखियों का सहारा बने,. इस मौके पर हमें उनके बताए मार्ग पर चलने की आवश्यकता है. और उनके बताए गए संदेशों को अपने जीवन में अनुसरण करने की जरूरत है.”
संत गाडगे बाबा की जयंती के अवसर पर भंडारे का आयोजन किया गया इस दौरान 500 से अधिक लोगों को प्रसाद वितरण कर संत गाडगे बाबा के जयकारे लगाए गए.
इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से जितेंद्र बुंदेल ,दुर्गा प्रसाद Bundele, राजेंद्र बुंदेल ,राजू बुंदेल, विकास बुंदेल नरेंद्र चौधरी ,मुन्ना मालवीय, नवीन बुंदेल, सुनील बुंदेल, पप्पू बुंदेल, अमित बुंदेल, अमर Bundele, रजत Bundele, सागर Bundele, सल्लू Bundele ,रोहित बुंदेल, गौतम श्रीवासन, संतोष बुन्देल, बल्लू बुंदेल , निरंजन श्रीवासन , समाज की महिलाएं बुजुर्ग और बच्चे उपस्थित रहे.
कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए नवनिर्माण बुंदेल धोबी समाज केअध्यक्ष सिद्धार्थ ने सभी सदस्यों का आभार व्यक्त किया ,कार्यक्रम की सूचना नवनिर्माण मंदिर धोबी समाज के कोषाध्यक्ष विकास बुन्देल ने दी।
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