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सैफ अली खान की परदादी थीं किसी भारतीय विश्वविद्यालय की पहली महिला कुलपति, भोपाल को बनाना चाहती थीं यूरोप

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सैफ अली खान की परदादी थीं किसी भारतीय विश्वविद्यालय की पहली महिला कुलपति, भोपाल को बनाना चाहती थीं यूरोपसैफ अली खान भोपाल के पुराने शासक पटौदी वंश के वारिस हैं. यह झीलों का शहर मध्य प्रदेश की राजधानी है और दशकों बाद भी यहां पटौदी परिवार का नाम है. हालांकि, भोपाल के पूर्व शासकों में से एक नाम ऐसा है, जिसके बारे में कम ही चर्चा होती है.  क्योंकि वह समय के साथ गुमनाम हो गया.  यह नाम भोपाल की महारानी बेगम सुल्तान जहां का है, जिन्होंने शिक्षा से लेकर शहर के विकास के लिए काफी काम किया. सरकार अम्मान को बाद में सुल्तान जहां के नाम से जाना गया.View this post on InstagramA post shared by Saif Ali Khan (@actorsaifalikhan)कौन थीं बेगम सुल्तान जहां ?सरकार अम्मान का जन्म  9 जुलाई, 1858 को भोपाल में हुआ था. वह नवाब बेगम सुल्तान शाहजहां और उनके पति मुहम्मद खान बहादुर की बेटी थीं. भोपाल के नवाब की वह एकमात्र जीवित संतान थीं. उन्हें भोपाल के मसनद की उत्तराधिकारी नामित किया गया था. सुल्तान जहां अपनी दादी सिकंदर बेगम की मृत्यु के बाद 1866 में अपनी मां के सिंहासन पर बैठने के बाद एकमात्र उत्तराधिकारी थीं.अपनी मां के निधन के बाद, सुल्तान जहां 1901 में भोपाल की गद्दी पर बैठीं और दार-उल-इकबाल-ए-भोपाल की नवाब बेगम बन गईं. वह एक दूरदर्शी और सुधारक के रूप में जानी जाती थीं, खासकर शिक्षा के क्षेत्र में. सुल्तान जहां भोपाल की आखिरी महिला नवाब थीं. वह ऐतिहासिक राजधानी को एक यूरोपीय शहर में बदलना चाहती थीं और कुछ हद तक ऐसा करने में सफल रहीं. हालांकि, 1930 में उनका निधन हो गया, जिससे उनके लगभग तीन दशकों के शासनकाल का अंत हो गया.बेगम सुल्तान जहां समाज सुधारक थींबेगम सुल्तान जहां के कई साल बाद भी इतिहासकार उन्हें एक महान सुधारक के रूप में याद करते हैं. उन्होंने भोपाल में प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना की और 1918 में पूर्व रियासत में फ्री और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा शुरू की. नवाब बेगम भारत स्त्री महामंडल की सदस्य भी थीं, जो लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देती थी.सुल्तान जहां भोपाल की आखिरी महिला नवाब थीं और उन्होंने शहर को एक प्रगतिशील और आधुनिक रियासत बनाने के लिए काम किया. अपने तीन दशकों के शासनकाल में उन्होंने शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया, खासकर गर्ल्स एजुकेशन.  शहर भर में कई स्कूल और तकनीकी संस्थान खुलवाए. सुल्तान जहां  अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) की संस्थापक कुलपति भी थीं. उन्होंने 1920 में यह पद संभाला और किसी भारतीय विश्वविद्यालय की पहली महिला कुलपति बनीं.हालाँकि, उन्होंने केवल शिक्षा पर ही ध्यान केंद्रित नहीं किया, बल्कि कराधान, सेना, पुलिस, न्यायपालिका और राज्य की जेल संरचना सहित कई क्षेत्रों में विभिन्न सुधार भी किए. सुल्तान जहां ने व्यापक सिंचाई और सार्वजनिक कार्य प्रणालियों को विकसित करके राज्य में कृषि का भी विस्तार किया. उन्होंने 1922 में एक कार्यकारी और विधायी राज्य परिषद की स्थापना की और नगर पालिकाओं के लिए चुनाव शुरू करवाए. भोपाल का पहला बजट 1903 में उनके शासनकाल के दौरान लाया गया था. उनके विकास कार्यों में लॉर्ड मिंटो हॉल, सेंट्रल लाइब्रेरी और बाग फराहत अफज़ा के साथ-साथ दर्जनों कारखाने शामिल थे. नवाब बेगम ने शहर को यूरोपीय रूप देने के प्रयास के रूप में भोपाल में एक यॉट क्लब बनाया. इतिहासकारों का मानना ​​है कि अगर सुल्तान जहां कुछ और साल जीवित रहतीं तो वे इस बदलाव में सफल हो सकती थीं. नवाब बेगम ने राज्य में शराब पर प्रतिबंध भी लगाया था. बेगम सुल्तान जहां को रोल्स-रॉयस कारों का गहरा शौक था. उनके पास तीन महंगी गाड़ियां थीं. सुल्तान जहां का सैफ अली खान से संबंधबेगम सुल्तान जहां बॉलीवुड अभिनेता सैफ अली खान की परदादी थीं. नवाब बेगम के इकलौते बेटे हमीदुल्ला खान की बेटी साजिदा सुल्तान की शादी पटौदी के नवाब इफ्तिखार अली खान से हुई थी, जो सैफ अली खान के दादा और मंसूर अली खान पटौदी के पिता थे. 

बेगम सुल्तान जहां बॉलीवुड अभिनेता सैफ अली खान की परदादी थीं. नवाब बेगम के इकलौते बेटे हमीदुल्ला खान की बेटी साजिदा सुल्तान की शादी पटौदी के नवाब इफ्तिखार अली खान से हुई थी, जो सैफ अली खान के दादा और मंसूर अली खान पटौदी के पिता थे. 
Bol CG Desk

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