Shailendra Dhruv Progeria : एक दिन के कलेक्टर शैलेंद्र ध्रुव का निधन, सीएम भूपेश ने जताया शोक
गरियाबंद। Shailendra Dhruv Progeria गरियाबंद जिले के एक दिन के कलेक्टर रहे शैलेंद्र ध्रुव का निधन हो गया। वे लाइलाज बीमारी प्रोजेरिया से पीड़ित थे। बताया जा रहा है कि शैलेंद्र का देर रात अचानक तबीयत बिगड़ी और इसके बाद उनका निधन हो गया। बेटे के निधन से परिजन शोक में हैं।
Shailendra Dhruv Progeria शैलेंद्र ने जताई थी कलेक्टर बनने की इच्छा
Shailendra Dhruv Progeria गरियाबंद छुरा के ग्राम मेडकी डबरी निवासी शैलेंद्र ध्रुव ने डेढ़ साल पहले कलेक्टर बनने की इच्छा जताई थी। जिसके सीएम भूपेश बघेल के निर्देश पर शैलेंद्र को एक दिन के लिए कलेक्टर बनाया गया था। खास बात यह है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एसपी कान्फ्रेंस में शैलेंद्र ध्रुव को अपने बगल में बैठाया था। इस दौरान मुख्यमंत्री के साथ शैलेन्द्र को भी ”गार्ड ऑफ ऑनर” मिला था। इस दौरान सीएम बघेल ने एक दिन के कलेक्टर शैलेंद्र ध्रुव का अपने मंत्रिमंडल के मंत्रियों और प्रदेश के उच्चाधिकारियों से परिचय भी करवाया था।
शैलेंद्र ध्रुव के निधन पर सीएम भूपेश ने दुख व्यक्त किया
Shailendra Dhruv Progeria मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्वीट कर दुख जताया। उन्होंने लिखा, सुबह दुखद सूचना मिली। शैलेंद्र ध्रुव अब हमारे बीच नहीं रहे। गरियाबंद के छुरा के ग्राम मेडकी डबरी के रहने वाले शैलेंद्र प्रोजेरिया बीमारी से ग्रसित थे। हमने उसकी एक दिन का कलेक्टर बनने की इच्छा तो पूरी कर दी थी लेकिन ईश्वर की कुछ और इच्छा थी। भगवान उसका ख्याल रखें। घर वालों को हिम्मत मिले। ओम् शांति:
फरवरी में भी खराब हुई थी तबीयत
बता दें कि 2023 फरवरी महीने में शैलेन्द्र ध्रुव का पिछले एक सप्ताह से स्वास्थ्य खराब थी। वे गंभीर हालत में थे और उनके पिता ने प्रशासनिक मदद की गुहार भी लगाई थी। परिजनों ने प्रशासन पर मदद नहीं मिलने की बात कही थी। खबर मीडिया में सामने आने पर प्रशासन ने संज्ञान लिया और उन्हें छुरा स्वास्थ्य विभाग की गाड़ी शैलेन्द्र को लेकर रायपुर रवाना हुई। जहां उनका उपचार कर दवाई भी दी गई। इसके बाद शैलेन्द्र को उनके घर लाया गया। दवाई से उनकी हालत में सुधार होने के बात सामने आई थी। इस दौरान वह बारहवीं में हाईस्कूल रसेला में अध्ययनरत था।
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शारीरिक व आर्थिक रूप से थे कमजोर
12वीं पास करने के बाद शैलेंद्र ध्रुव का एक बयान सामने आया था। इसमें उसने आगे पढ़ने की इच्छा जताई थी। लेकिन शारीरिक और आर्थिक कमजोरी उसके सपनों को पूरा करने में बाधा बनी। वह पढ़ाई के लिए लगातार कालेज जाने में सक्षम नहीं थे। उन्होंने प्रशासन से मांग की थी कि उसके लिए कुछ ऐसी व्यवस्था की जाए, जिससे वह अपना पढ़ाई जारी रख सके। ये इच्छा पूरी होने से पहले दुनिया को अलविदा कह दिया।
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