स्वतंत्रता दिवस एवं रक्षाबंध के अवसर पर मंत्री केदार कश्यप का शुभकामना संदेश
रायपुर : छत्तीसगढ़ में 5 साल सरकार में रहने के बाद कांग्रेस इस बार विपक्ष में बैठने जा रही है। 34 विधायकों के साथ सदन में पहुँची कांग्रेस के लिए नेता प्रतिपक्ष चुनना टेढ़ी खीर साबित होगी। क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कवासी लखमा और पूर्व विधानसभा स्पीकर ही सदन में सबसे अनुभवी नेता रहे है। लेकिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और चरणदास महंत शायद ही नेता प्रतिपक्ष बनना चाहेंगे।
ऐसे में लखमा एक विकल्प के रूप में बच जाते हैं लेकिन उनके तेज तर्रार होने के बावजूद उनकी शिक्षा उनके आड़े आ सकती है। फिलहाल इसको लेकर सुशील आनंद शुक्ला ने कहा हमारे सभी विधायकों की बैठक होने के बाद जब सदन में वर्तमान सरकार और विपक्ष साथ बैठेगी तब नेता प्रतिपक्ष कौन होंगा वो बताया जायेगा। फिलहाल इसमें अभी इसमें समय है। वही बीजेपी ने इस पर कांग्रेस पर निशाना चाहते हुए कहा कांग्रेस की अंतर्कलह पहले से ही साफ दिखाई दे रही थी। अब नेता प्रतिपक्ष कौन होगा यह तो कांग्रेसी तय करेगी।
बता दे नेता प्रतिपक्ष के रूप में पूर्व मंत्री उमेश पटेल का दावा सबसे मजबूत माना जा रहा है लेकिन पटेल के पास आक्रामक शैली का अभाव है। वही एक और दावेदार अनिला भेड़िया में भी आक्रामकता की कमी देखने को मिलती है ऐसे में 35 विधायकों का नेतृत्व करना सरकार में बैठे अनुभवी नेताओं और मंत्रियों को घेरने के लिए रणनीति तैयार करना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती होगी।
फिलहाल सबसे ऊपर की बात करें तो नेता प्रतिपक्ष के रूप में चरण दास महंत का नाम सबसे ऊपर दिखाई दे रहा है। बता दे कि पिछली बार विपक्ष में बैठी भाजपा के 15 विधायक मात्र रहे हैं जिनमें कई विधायक काफी तर्रार रहे। उन्होंने सरकार को घेरने में कोई कमी नहीं छोड़ी।
वही कांग्रेस के 35 विधायकों में 14 विधायक तो पहली बार विधानसभा पहुंचे हैं. जबकि बाकी 21 विधायकों में दूसरी बार विधानसभा पहुंचने की संख्या अधिक है। यानी विपक्ष के पास गिनती के अनुभवी चेहरे। विपक्ष को एक उत्तम नेतृत्व और एग्रेसिव नेता की जरूरत है। फिलहाल नेता प्रतिपक्ष को लेकर कांग्रेस में संशय बरकरार है।