2019 के बाद… कश्मीर में आतंकवाद पर गृह मंत्रालय के सचिव ने संसदीय समिति को क्या रिपोर्ट दी
2019 के बाद… कश्मीर में आतंकवाद पर गृह मंत्रालय के सचिव ने संसदीय समिति को क्या रिपोर्ट दीKashmir Terrorism Report: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के नेतृत्व में जम्मू कश्मीर में आतंकवाद से जुड़े मामलों में उल्लेखनीय कमी देखी गई है, हालांकि नागरिकों की हत्याएं अभी भी वहां कार्यरत सुरक्षा बलों और एजेंसियों के लिए बड़ी चिंता का विषय हैं. केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन (Union Home Secretary Govind Mohan) ने मंगलवार को संसदीय समिति के समक्ष बताया कि 2019 से आतंकवाद से जुड़ी गतिविधियों में सत्तर प्रतिशत से अधिक की कमी देखी गई है.फिर चिंता की क्या बातजहां तक नागरिकों की हत्याओं का सवाल है, तो 2019 की तुलना में इसमें गिरावट दर्ज की गई है, लेकिन चिंता की सबसे बड़ी बात यह है कि पिछले साल की तुलना में इस साल यह ग्राफ बढ़ा है. नागरिकों की सुरक्षा सरकार के लिए गंभीर विषय है, जिस पर मोदी सरकार ने सुरक्षा एजेंसियों से काम करने को कहा है. गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने संसदीय पैनल को बताया कि 2019 में 50 नागरिक मारे गए थे, यह आंकड़ा इस साल घटकर 14 रह गया है, लेकिन चिंता की बात यह है कि 2023 की तुलना में यह तीन गुना अधिक है, क्योंकि पिछले साल 5 नागरिक मारे गए थे.विजन @ 2047जहां तक नागरिकों पर हमलों का सवाल है, 2019 में नागरिकों पर 73 हमले हुए और इस साल यानी 2024 तक यह आंकड़ा 10 हो गया है. गृह मंत्रालय ने ‘विजन @ 2047 (2024-2029)’ सेक्शन में कहा है कि वह सुरक्षित सीमाओं के साथ एक सुरक्षित, सामंजस्यपूर्ण और समृद्ध भारत चाहता है और इसे मजबूत आंतरिक सुरक्षा, मजबूत साइबर स्पेस, पारदर्शी आपराधिक न्याय प्रणाली और समृद्ध सीमाओं के जरिए हासिल किया जा सकता है.जम्मू-कश्मीर में सरकार भारत विरोधी तत्वों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के अलावा आतंकवादी समर्थन और आतंकी वित्तपोषण नेटवर्क को खत्म करने का इरादा रखती है.गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 2019 में जम्मू कश्मीर में 286 आतंकी घटनाएं हुईं और पांच साल बाद नवंबर के पहले सप्ताह तक केवल 40 घटनाएं दर्ज की गईं. जहां तक सुरक्षा बलों पर हमलों का सवाल है, 2019 में 96 हमले दर्ज किए गए. एक साल बाद यह आंकड़ा बढ़कर 111 हो गया, लेकिन उसके बाद से इसमें लगातार गिरावट देखी गई. 2020 में यह आंकड़ा घटकर 95 हो गया और 2021 में भी 65 हमले दर्ज किए गए. 2022 में सुरक्षा बलों द्वारा किए गए निरंतर प्रयासों और विभिन्न एजेंसियों द्वारा अपनाए गए कड़े उपायों के कारण यह संख्या घटकर 65 हो गई और 2023 में हमलों की संख्या घटकर 15 हो गई. इस साल इसे और घटाकर 5 कर दिया गया है.इतने सुरक्षाकर्मी शहीदजहां तक सुरक्षाकर्मियों की हत्या का सवाल है, गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 2019 में विभिन्न घटनाओं में 77 सुरक्षाकर्मी शहीद गए, लेकिन इसमें भी गिरावट देखी गई. गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 2020 में (58), 2021 में (29), 2022 में (26), 2023 में (11) और 2024 में 7 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए हैं.आतंकवादी कम मारे जा रहेग्रेनेड हमलों की घटनाओं को 49 से घटाकर एक घटना कर दिया गया है. घुसपैठ की कोशिशें 141 से घटकर 3 हो गई हैं. हालांकि, खतरे की घंटी यह है कि विभिन्न अभियानों और मुठभेड़ों में मारे जाने वाले आतंकवादियों की संख्या में भी कमी आई है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने खुलासा किया, “2019 में 142 आतंकवादी मारे गए थे, लेकिन इस साल यह संख्या लगभग 44 है. यह चिंता का विषय है क्योंकि इसका मतलब है कि विभिन्न प्रयासों के बावजूद हम उन्हें खत्म नहीं कर पा रहे हैं.”बुलडोजर पर सुप्रीम फैसले ने विपक्ष को दिया ‘मौका’, जानिए अखिलेश से लेकर ओवैसी ने क्या कहाबल्लू कैसे बन गया गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई? पूर्व इंस्पेक्टर ने खोला ‘डॉन’ की जिंदगी का हर पन्ना