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“वोटर टर्नआउट में कमी के कारण नतीजों का आकलन हुआ मुश्किल” : NDTV Battleground में बोले एक्सपर्ट्स

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“वोटर टर्नआउट में कमी के कारण नतीजों का आकलन हुआ मुश्किल” : NDTV Battleground में बोले एक्सपर्ट्स

2024 के लोकसभा चुनाव ने एक-तिहाई सफर तय कर लिया है. चार फेज की वोटिंग हो चुकी है. तीन फेज का मतदान बाकी है. कुल 543 सीटों में से 379 सीटों पर उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला EVM में लॉक है. 19 अप्रैल को पहले चरण में 102 सीटों पर वोटिंग हुई. इनमें औसत मतदान 65.5% रहा, जो 2019 में इन्हीं सीटों के औसत वोटर टर्नआउट से 4.4% कम है. वहीं, 26 अप्रैल को दूसरे चरण में 88 सीटों पर 61% वोटिंग हुई, जो 2019 के मुकाबले 7% कम है. तीसरे और चौथे फेज में भी 2019 की तुलना में कम वोटिंग हुई. चुनाव के नतीजे क्या होंगे, ये तो करीब-करीब साफ है. लेकिन किस पार्टी या गठबंधन को कितनी सीटें मिलेंगी, कम वोटर टर्नआउट से ये साफ नहीं हो पा रहा. ऐसे में सवाल है कि लोकसभा चुनाव में कम वोटर टर्नआउट कितना मायने रखता है? NDTV के खास शो ‘बैटलग्राउंड’ में शुक्रवार को वाराणसी से इन्हीं सवालों के जवाब समझने की कोशिश की गई.NDTV के एडिटर इन चीफ संजय पुगलिया ने ‘बैटलग्राउंड’ में राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी, लोकनीति के नेशनल को-ऑर्डिनेटर संदीप शास्त्री और सी वोटर के फाउंडर डायरेक्टर यशवंत देशमुख से तमाम मुद्दों, फैक्टर पर उनकी राय जानी.लोअर वोटर टर्नआउट से रिजल्ट का आकलन मुश्किलराजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी ने कहा, “चुनाव में कम वोटर टर्नआउट कोई बड़ा फैक्टर नहीं होता. आप कम वोटिंग पर्सेंटेज से ये नहीं बता सकते कि सरकार जा रही है या रिपीट हो रही है. क्योंकि ऐसा कई बार हुआ है जब वोटर टर्नआउट कम रहा, लेकिन सरकार रिपीट हुई. ऐसा भी हुआ है, जब वोटर टर्नआउट ज्यादा रहा, लेकिन सरकार बदल गई. इसबार वोटर टर्नआउट में कमी के कारण नतीजों का आकलन करना मुश्किल जरूर हुआ है.” लोकसभा चुनाव के अभी तक के सफर को देखते हुए क्या टेक अवे निकल रहा है? इसके जवाब में सी वोटर के फाउंडर डायरेक्टर यशवंत देशमुख कहते हैं, “चुनाव के जो प्री-पोल ट्रैकर्स आए थे, उसे देखते हुए लगता है कि पहले फेज के वोटर टर्नआउट में कमी आई. उसके कारण अफरा-तफरी सी मच गई है. ये कुछ आउट ऑफ सेलेबस सा हो गया है. वोटर टर्नआउट को एनालाइज (आकलन) करना अच्छी बात है, लेकिन ओवर एनालाइज (हद से ज्यादा आकलन) करना सही नहीं है. यशवंत देशमुख कहते हैं, “2004 की कवायद 2024 में तो नहीं होगी. 2024 का कैलकुलेशन अलग था. 2024 का कैलकुलेशन अलग है.”मायावती के नुुकसान से किसे फायदा?लोकनीति के नेशनल को-ऑर्डिनेटर संदीप शास्त्री ने लोकसभा चुनाव में मायावती की पार्टी की स्थिति को लेकर बात की. उन्होंने कहा, “बीएसपी के ओबीसी वोट लगता है कि बीजेपी के पास जा रहा है. नॉन-जाटव वोट कुछ बीजेपी और कुछ समाजवादी पार्टी के साथ जा सकता है. जाटव वोट काफी हद तक बीएसपी के साथ ही रहेगा. लेकिन इसका एक हिस्सा बीजेपी या सपा के साथ जा सकता है.” 

कांग्रेस समेत विपक्ष की कई पार्टियां अब तक के चार फेज के मतदान में कम वोट प्रतिशत को लेकर तमाम दावे कर रही है. सवाल ये है कि लोकसभा चुनाव में कम वोटर टर्नआउट कितना मायने रखता है. NDTV बैटलग्राउंड में शुक्रवार को इन्हीं सवालों के जवाब समझने की कोशिश की गई.
Bol CG Desk

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