‘एक देश, एक चुनाव’ बिल पारित कराना सरकार के लिए नहीं होगा आसान, समझें पूरा गणित
‘एक देश, एक चुनाव’ का संविधान संशोधन बिल पारित कराना सरकार के लिए टेढ़ी खीर होने वाला है. संसद में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के पास दो तिहाई बहुमत नहीं है. संविधान संशोधन के लिए विशेष बहुमत की आवश्यकता होती है. दोनों सदनों में सदस्यों का दो-तिहाई बहुमत होना चाहिए और मतदान में 50% से ज़्यादा वोट होने चाहिए. इंडिया गठबंधन के सभी दल एक देश एक चुनाव के खिलाफ हैं.जानें ‘एक देश, एक चुनाव’ बिल के बारे में-यह बिल पूरे देश में एक चुनाव का मार्ग प्रशस्त करता है.केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस महीने की शुरुआत में ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ विधेयक को मंजूरी दी थी.बीजेपी और उसके सहयोगी विधेयक के समर्थन में हैं.केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सितंबर में एक साथ चुनाव कराने संबंधी उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया था.इस समिति की अध्यक्षता पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद कर रहे थे.समझें बिला पास कराने का पूरा गणित’एक देश, एक चुनाव’ के लिए सरकार दो बिल ला रही है. इनमें एक संविधान संशोधन का बिल है. जिसके लिए दो-तिहाई बहुमत जरूरी है. लोकसभा की 543 सीटों में एनडीए के पास अभी 292 सीटें हैं. दो तिहाई बहुमत के लिए 362 का आंकड़ा जरूरी है. वहीं राज्यसभा की 245 सीटों में एनडीए के पास अभी 112 सीटें, छह मनोनीत सांसदों का भी उसे समर्थन. विपक्ष के पास 85 सीटें हैं. दो तिहाई बहुमत के लिए 164 सीटें जरूरी हैं.सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार अब विधेयक (बिल) पर आम सहमति बनाना चाहती है. सरकार इसे विस्तृत चर्चा के लिए संयुक्त संसदीय समिति या जेपीसी के पास भेज सकती है.इस मुद्दे पर बनी रामनाथ कोविंद समिति को 47 राजनीतिक दलों ने अपनी राय दी थी. इनमें 32 दलों ने समर्थन किया था और 15 दलों ने विरोध किया था. विरोध करने वालों दलों की लोकसभा सांसदों की संख्या 205 है. यानी बिना इंडिया गठबंधन के समर्थन के संविधान संशोधन बिल पारित होना मुश्किल है.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस साल सितंबर में चरणबद्ध तरीके से लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के लिए एक साथ चुनाव कराने के लिए ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के कार्यान्वयन को मंजूरी दी थी.दोनों ही गठबंधनों से असंबद्ध बीजेडी ने कहा है कि इस पर व्यापक चर्चा होनी चाहिए. सरकार इसीलिए इस पर व्यापक सहमति बनाने और सलाह-मशवरा की बात कह रही है और इसे संसद की संयुक्त समिति (JPC) को भेज रही है. जेपीसी का अध्यक्ष बीजेपी का ही होगा और उसके सदस्यों की संख्या भी सबसे अधिक होगी.ये भी पढ़ें- लोकसभा में आज पेश होगा ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ बिल, समझिए देशभर में कैसे एक साथ हो सकेंगे चुनावVideo : Top 10 Headlines: आज Lok Sabha में पेश होगा One Nation One Election Bill