EXCLUSIVE : पर्सनल इनकम टैक्स में छूट का क्या होगा असर? जानिए क्या बोले अजय सेठ
EXCLUSIVE : पर्सनल इनकम टैक्स में छूट का क्या होगा असर? जानिए क्या बोले अजय सेठ वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के संसद में बजट पेश करने के एक दिन बाद आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने एनडीटीवी के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में उम्मीद जताई कि पर्सनल इनकम टैक्स रेट में कटौती से अर्थव्यवस्था में खपत बढ़ेगी और बचत में भी इजाफा होगा. साथ ही संसद में अगले सप्ताह पेश होने वाले नए इनकम टैक्स बिल के पीछे की मंशा को बताते हुए उन्होंने कहा कि इसके पीछे हमारी सोच सरलीकरण की है. मौजूदा कानून छह दशकों से भी ज्यादा पुराना हो चुका है. अजय सेठ ने एनडीटीवी के साथ बातचीत में बजट 2025-26 में इनकम टैक्स में छूट को लेकर कहा कि हमने मध्यम वर्ग की आकांक्षाओं और अर्थव्यवस्था की जरूरत दोनों को ध्यान में रखकर यह फैसला किया है. उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले से अर्थव्यवस्था को रफ्तार मिलेगी. साथ ही कंजप्शन डिमांड औ सेविंग्स दोनों ही बढ़ेगी. दर कम होने पर टैक्स व्यवस्था से जुड़ते हैं लोग: सेठउन्होंने कहा कि टैक्स की दर जब भी कम की जाती है तो ज्यादा लोग टैक्स व्यवस्था से जुड़ते हैं. इस फैसले से मीडियम टर्म में टैक्स बेस बढ़ाने में भी मदद मिलेगी. सेठ ने कहा कि हमें उम्मीद है कि नई टैक्स व्यवस्था में पर्सनल इनकम टैक्स रेट में कटौती से पुरानी टैक्स रिजीम से बड़ी संख्या में करदाता नई टैक्स व्यवस्था से जुड़ेंगे. अब तक तीन-चौथाई (करीब 78%) से ज्यादा टैक्स पेयर नई टैक्स व्यवस्था में आ चुके हैं. नए बिल लाने के पीछे सरलीकरण की सोच: सेठइसके साथ ही संसद में अगले सप्ताह पेश होने वाले नए इनकम टैक्स बिल को लेकर सेठ ने कहा कि नया बिल लाने के पीछे हमारी सोच सरलीकरण की है. टैक्स व्यवस्था के सरलीकरण से आम करदाता टैक्स व्यवस्था को बेहतर तरीके से समझ सकेंगे और टैक्स लिटिगेशन भी कम करने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि नया बिजनेस सेटअप करने में भी टैक्सेशन बड़ा मुद्दा रहता है. इससे ईज ऑफ डुइंग बिजनेस भी बेहतर होगा. बड़ा तबका इंश्योरेंस व्यवस्था से बाहर: सेठबजट के दौरान इंश्योरेंस सेक्टर में विदेशी निवेश को 74 फीसदी से बढ़ाकर 100 फीसदी करने की घोषणा की गई है. इसे लेकर सेठ ने कहा कि इंश्योरेंस सेक्टर में विदेशी पूंजी आने से नई टेक्नोलॉजी और नए प्रॉडक्ट्स लाने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि आज देश में जनसंख्या का एक बड़ा तबका है, जो इंश्योरेंस व्यवस्था से बाहर है. उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था के हालात मजबूत हुए हैं और इसलिए पहले इंश्योरेंस सेक्टर में एफडीआई को लेकर जो शर्तें लगाई गई थीं, उनकी जरूरत नहीं है.