मेघा इंजीनियरिंग : इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने की टाइमिंग पर सवाल, पहले भी विवादों से रहा है नाता
मेघा इंजीनियरिंग : इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने की टाइमिंग पर सवाल, पहले भी विवादों से रहा है नातादेश में इलेक्टोरल बॉन्ड (Electoral Bond) के साथ ही मेघा इंजीनियरिंग का नाम भी चर्चा में है. शनिवार को सीबीआई ने मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (Megha Engineering and Infrastructure Ltd) के खिलाफ रिश्वत देने के आरोप में एफआईआर दर्ज की है. मेघा इंजीनियरिंग इलेक्टोरल बॉन्ड की दूसरी सबसे बड़ी खरीदार है और उसने 5 सालों के दौरान 966 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे हैं. हालांकि यह कोई पहला मामला नहीं है, जब कंपनी का नाम किसी विवाद से जुड़ा है. ऐसे मामले पहले भी सामने आते रहे हैं. देश की बड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियों में मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड का नाम आता है, हालांकि शुरुआत में यह कांट्रेक्ट लेने वाली एक छोटी कंपनी थी. कंपनी के पास कई सरकारी प्रोजेक्ट हैं. दिलचस्प बात ये है कि कंपनी ने कई महत्वपूर्ण परियोजना के आसपास ही कई चुनावी बॉन्ड खरीदे हैं. इन बड़ी परियोजनाओं की टाइमिंग पर सवाल – जम्मू कश्मीर में 4500 करोड़ की लागत वाली जोजिला सुरंग परियोजना अक्टूबर-नवंबर में हासिल की (अक्टूबर 2020 में कंपनी ने 20 करोड़ के बॉन्ड खरीदे)- मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में बुलेट ट्रेन स्टेशन के निर्माण के लिए मार्च 2023 में 3,681 करोड़ रुपये की परियोजना हासिल की (अप्रैल 2023 में 140 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे) – आंध्र सरकार से नवंबर 2019 में 4,358 करोड़ रुपये की परियोजना मिली (अक्टूबर 2019 में पांच करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे)कंपनी के पास हैं ये बड़े प्रोजेक्ट कंपनी के पास कई बड़े प्रोजेक्ट हैं. इनमें 14.15 किमी की जोजिला सुरंग और बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स अंडग्राउंड रेलवे स्टेशन का हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शंस कंपनी के साथ मिलकर निर्माण शामिल है. इसके साथ ही कंपनी चारधाम रेलवे सुरंग परियोजना से भी जुड़ी है और इस सड़क के दो हिस्से बना रही है. वहीं आंध्र के प्रकाशम जिले में एक सिंचाई परियोजना से भी जुड़ी है. इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ ही कंपनी कई अन्य क्षेत्रों में भी अपना विस्तार कर रही है. इसमें परिवहन का क्षेत्र भी शामिल है. कंपनी ओलेक्ट्रा इलेक्ट्रिक बस का निर्माण कर रही है. कंपनी को कई राज्यों से बड़े ऑर्डर मिले हैं. वहीं कंपनी इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ ही सिंचाई, सीएनजी-पीएनजी, बिजली और परिवहन जैसे क्षेत्रों में भी दखल रखती है. आयकर विभाग ने भी की थी कार्रवाई यह पहली बार नहीं है जब मेघा इंजीनियरिंग विवादों में है. इलेक्टोरल बॉन्ड और अब सीबीआई द्वारा एफआईआर दर्ज करने से बहुत पहले मेघा ग्रुप के खिलाफ आयकर विभाग ने कार्रवाई की थी. अक्टूबर 2019 में आयकर विभाग ने ग्रुप के ठिकानों पर छापेमारी की थी. वहीं कंपनी की जांच में ईडी ने भी जांच की थी. 12 अप्रैल 2019 को ही कंपनी ने 50 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे थे. वहीं तेलंगाना में कलेश्वरम उपसा सिंचाई परियोजना को लेकर भी कई तरह के सवाल उठे थे. इस प्रोजेक्ट की करीब एक लाख करोड़ की लागत के कारण तेलंगाना में यह मुद्दा काफी गरमाया था. बांध के मुख्य भाग का निर्माण मेघा इंजीनियरिंग ने किया था. खास बात है कि मेघा इंजीनियरिंग के पीवी कृष्णा रेड्डी को तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव का बेहद करीबी माना जाता था. ऐसे में प्रोजेक्ट को लेकर सवाल उठे थे. ये भी पढ़ें :* CBI ने दूसरी सबसे बड़ी चुनावी बॉन्ड खरीदार मेघा इंजीनियरिंग के खिलाफ FIR दर्ज की * Diamond House में रहते हैं MEIL के अरबपति मालिक, जिन पर CBI ने दर्ज की है FIR * “लोकतंत्र में बातें छिपाने की कोई गुंजाइश नहीं”: इलेक्टोरल बॉन्ड पर मुख्य चुनाव आयुक्त