स्वतंत्रता दिवस एवं रक्षाबंध के अवसर पर मंत्री केदार कश्यप का शुभकामना संदेश
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संभल, मुजफ्फरनगर और वाराणसी… फिर मिले 3 बंद मंदिर; जानिए इनकी क्या है कहानी

स्वतंत्रता दिवस एवं रक्षाबंध के अवसर पर मंत्री केदार कश्यप का शुभकामना संदेश

संभल, मुजफ्फरनगर और वाराणसी… फिर मिले 3 बंद मंदिर; जानिए इनकी क्या है कहानीउत्तर प्रदेश में अलग-अलग जिले के मुस्लिम बहुल इलाकों में मंदिरों के मिलने का सिलसिला जारी है. संभल में 4 दिन में 2 बंद मंदिर मिले हैं. ये दोनों मंदिर मुस्लिम बहुल इलाके में हैं. मंगलवार को मुजफ्फरनगर और वाराणसी के मुस्लिम बहुल इलाके में भी खंडहर हालत में शिव मंदिर मिला है. इन मंदिरों का राजस्व रिकॉर्ड चेक किया जा रहा है. आइए जानते हैं संभल,  मुजफ्फरनगर और वाराणसी में मिले मंदिरों की क्या है कहानी:-संभल में मिले शिव और राधा-कृष्ण मंदिरसंभल में पहला मंदिर 14 दिसंबर को मिला था. ये शिव मंदिर है, जिसे कार्तिकेश्वर मंदिर कहा जा रहा है. ये मंदिर जामा मस्जिद से डेढ़ किलोमीटर खग्गूसराय में मिला था. कार्तिकेश्वर मंदिर के पास मस्जिद के पास कुआं मिला है. स्थानीय लोगों ने बताया कि नगर पालिका ने कुएं को बंद करा दिया था. मंगलवार को प्रशासन की टीम ने बंद कुएं को खुदवाना शुरू किया.आपकी राजनीति हमेशा से बांटने और काटने की, इसीलिए हमने कहा न बटेंगे न कटेंगे : यूपी विधानसभा में योगीसंभल के हयात नगर के सरायतरीन में मंगलवार को दूसरा मंदिर मिला. ये मंदिर राधा-कृष्ण का है. पुलिस ने मंदिर की चाबी मंगवाकर खुलवाया है. 20 फीट के आसपास ऊंचाई में बने इस मंदिर में हनुमान जी की 4 फीट ऊंची मूर्ति और राधा कृष्ण की मूर्तियां स्थापित हैं.सैनी समाज ने बनवाया था राधा कृष्णा का यह मंदिरइस ऐतिहासिक मंदिर का निर्माण 1982 में सैनी समाज के लोगों ने कराया था. यह मंदिर बुद्ध सेन सैनी द्वारा दान की गई जमीन पर बनाया गया था. कल्लू राम सैनी के पास मंदिर की चाबी थी. उन्होंने बताया कि पहले इस इलाके में 150-200 सैनी समाज के घर थे, लेकिन समय के साथ लोग पलायन कर गए और मंदिर का रखरखाव बंद हो गया.सैनी ने बताया, “जब तक सैनी समाज के लोग यहां बसे थे, मंदिर में रोजाना पूजा होती थी, लेकिन पलायन के बाद मंदिर बंद कर दिया गया. इसके बाद सिर्फ होली-दीवापली जैसे त्योहारों पर पूजा-अर्चना होती थी. हालांकि, उन्होंने किसी भी तरह के भय या दबाव से इनकार किया और कहा कि देखभाल के अभाव में मंदिर को बंद किया गया था.”मंदिर की चाबी खोलने वाले ऋषिपाल ने बताया, “पहले यहां पर चारों तरफ हिंदुओं के ही परिवार थे. करीब 30-40 हिंदू परिवार रहते थे, जो 1978 के दंगे के बाद पलायन कर गए. ये लोग कभी कभार यहां पर आते हैं.” फिलहाल राजस्व विभाग की टीम इन मंदिरों की जांच कर रही है.संभल हिंसा और कुंदरकी में जीत… CM योगी ने समझाया विपक्ष की ‘खटाखट साजिशों’ का जनता ने कैसे किया सफाचटमुजफ्फरनगर में खंडहर हालत में मिला शिव मंदिरसंभल के बाद पश्चिम उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में मुस्लिम आबादी के बीच एक शिव मंदिर खंडहर हालत में मिला है. रिपोर्ट के मुताबिक, नगर कोतवाली क्षेत्र के खालापार मोहल्ले में 54 साल पहले 1970 में भगवान शिव शंकर के मंदिर की स्थापना की गई थी. उस समय ये क्षेत्र हिंदू बहुल हुआ करता था, लेकिन धीरे-धीरे मुस्लिम आबादी बढ़ने के बाद हिंदू समाज के लोग यहां से पलायन कर गए. पलायन करते समय ये लोग अपने साथ इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग और अन्य भगवानों की मूर्ति को भी ले गए थे. इस मोहल्ले में लगातार मुस्लिम समाज की आबादी बढ़ती चली गई. समय के साथ-साथ यह मंदिर खंडहर में तब्दील हो गया. मुस्लिम बहुल इलाके में होने के कारण इस मंदिर में कोई हिंदू पूजा अर्चना करने के लिए नहीं आता है. इस मंदिर में मौजूदा समय में किसी भगवान की मूर्ति भी स्थापित नहीं है.मुस्लिम बहुलता की वजह से पूजा करना हो गया था असंभव- स्थानीय नेतास्थानीय BJP नेता सुधीर खटीक भी पलायन करने वाले लोगों में शामिल थे. उन्होंने बताया, “सबसे पहले 1970 में इस मंदिर की स्थापना हुई थी. वहां पूजा अर्चना लगातार होती रही. इसके बाद राम मंदिर का मुद्दा उठने लगा. वहां मुस्लिम बहुत तादाद में बढ़ते रहे. हिंदू वहां से पलायन कर गए. वहां मुस्लिम आबादी ने मीट की दुकान खोली. ऐसे में पूजा-अर्चना करना असंभव सा हो गया. इसलिए हिंदू समाज के कुछ लोग वहां से मूर्तियां विस्थापित करके ले गए.” वाराणसी में बंद मिला सालों पुराना मंदिरउत्तर प्रदेश के वाराणसी के मुस्लिम बहुल मदनपुरा क्षेत्र की गलियों के बीच मंगलवार को एक बंद शिव मंदिर मिला है. इस मंदिर में ताला लगा हुआ है. जैसे ही मंदिर का मामला प्रकाश में आया, क्षेत्रीय हिंदू नागरिकों ने मंदिर को खोलकर पूजा पाठ शुरू करने की मांग कर दी. मदनपुरा इलाका संवेदनशील माना जाता है. ये काशी विश्वनाथ मंदिर से मात्र एक किलोमीटर की दूरी पर है. शिव मंदिर मिलने की सूचना पर प्रशासन की तरफ से संपत्ति की जांच के बाद स्थिति स्पष्ट करने की बात कही जा रही है.भव्य तरीके से सजाया गया शिवलिंग, आज कुछ इस तरह से की गई 46 साल बाद खुले संभल के मंदिर में पूजाइस मामले में ADM सिटी आलोक वर्मा ने कहा, “संभल की तरह अगर यह मंदिर है, तो इसे बिल्कुल खोला जाएगा. फिलहाल मंदिर के राजस्व रिकार्ड की जांच होनी है. इसमें 4 से 5 दिन लग जाएंगे. पहली नजर में देखने से ऐसा लगता है कि दक्षिण भारतीय शैली में ये मंदिर बना हुआ है.क्या कहती है पुलिस?इस बीच वाराणसी पुलिस ने लोगों से शांति व्यवस्था कायम रखने की अपील की है. वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट डीसीपी गौरव बंसवाल ने कहा, “मदनपुरा क्षेत्र में बंद शिव मंदिर की सूचना पर सनातन रक्षक दल और बड़ी संख्या में महिलाएं पहुंचीं. उन्होंने शंखनाद करके हर हर महादेव का नारा लगाया. हम लोगों से कानून-व्यवस्था का पालन करने की अपील करते हैं.” 184 लोगों की मौत, हिंदुओं का पलायन… आखिर हुआ क्‍या था, संभल के शिव मंदिर का पूरा सच

संभल में पहला मंदिर 14 दिसंबर को मिला था. ये शिव मंदिर है, जिसे कार्तिकेश्वर मंदिर कहा जा रहा है. हयात नगर के सरायतरीन में मंगलवार को दूसरा मंदिर मिला. 20 फीट के आसपास ऊंचाई में बने इस मंदिर में हनुमान जी की 4 फीट ऊंची मूर्ति और राधा कृष्ण की मूर्तियां स्थापित हैं.
Bol CG Desk

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