swarn jayanti samaroh : सरस्वती शिशु मंदिर का आधार शिक्षा और संस्कार, जो 50 सालों तक चलता रहा
रायपुर। swarn jayanti samaroh सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालय स्थापना के 50 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं। इस उपलक्ष्य में 6 मई को राजधानी के रोहिणीपुरम में विद्यालय समिति स्वर्ण जयंती का आयोजन कर रही है।
swarn jayanti samaroh विद्यालय 1971 में शुरू हुआ
swarn jayanti samaroh मां सरस्वती बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष बाल कृष्ण दानी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि इन 50 वर्षों में शिशु मंदिर के समस्त पावन पुनित कर जिनके अथक प्रयास से ज्ञान रूपी गंगा अविरल निर्वाध गति से जन मानस एवं समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त कर देश के कोने-कोने में सुसंस्कारित, देश भक्त , कर्तव्य निष्ठ पीढ़ी का सृजन करती आ रही है।
swarn jayanti samaroh सरस्वती शिशु मंदिर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, रायपुर (छग) संस्कृति संस्कार एवं बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए कार्यरत है। विद्यालय 1971 में रायपुर के विरदी कॉलोनी से शुरू किया गया था। जो आज विशाल रूप ले चुका है।
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बाल कृष्ण दानी ने बताया कि 5 विद्यालय कार्यरत है। 600 विद्यार्थी अध्ययनरत है। हमारा फोकस रहता है कि राज्य शासन के शिक्षा नीति के अनुसार पाठ्यक्रम देते हैं। साथ ही हमारे संस्कार, भारतीय संस्कृति सिखाते हैं। पहले शासन द्वारा शिक्षा की व्यवस्था कम थी। अब थोड़ा सा विस्तार हुआ है। बहुत से प्राइवेट स्कूल खुल गए है, जो ग्लैमर पर आधारित है। यहां नैतिक शिक्षा पर जोर नहीं दिया जाता है।
हमारा उद्देश्य पैसा कमाना नहीं है। हमारे स्कूल में बेहद कम खर्च पर शिक्षा और संस्कार दे रहे हैं, जो दूसरे स्कूलों की तुलना में बहुत कम है। इसी कारण से हम अपने शिक्षकों को अच्छा वेतन नहीं दे पाते हैं।
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