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महिलाओं के लिए कांग्रेस की तुलना में भाजपा के पिटारे से निकले 9 वादे कर रहे आकर्षित…  

रायपुर। छत्तीसगढ़ में सत्ता का रास्ता नारी शक्ति का मान रखकर ही तय किया जा सकता है। यह केवल इसलिए नहीं कि यहां पुरुष मतदाताओं की तुलना में महिला मतदाताओं की संख्या ज्यादा है, बल्कि इसलिए भी महिलाएं अब ज्यादा जागरूक भी हो गई हैं। यही कारण है कि सभी राजनीतिक दल महिला वोटर्स को साधने के प्रयास में लगे रहते हैं। छत्तीसगढ़ में भी भाजपा और कांग्रेस दोनों की पार्टियों ने इस वर्ग को साधने के लिए अपने-अपने पासे फेंके हैं, अब सवाल यह है कि महिलाएं अपने लिए किस पार्टी के वादों पर भरोसा करती हैं।

इस बार छत्तीसगढ़ का पूरा चुनाव वादों के इर्द गिर्द घूम रहा है और चुनाव नतीजा इस बात पर निर्भर करेगा कि जनता किसके वादों पर भरोसा करती है और किसके वादे उसे ज्यादा लुभाते हैं। कांग्रेस और बीजेपी दोनों की बीच ही यहां वादों की जंग हैं। दोनों पार्टियों ने लगभग एक जैसे वादे किए हैं लेकिन टक्कर कांग्रेस के स्व सहायता समूहों की कर्ज माफी और फ्री बिजली के दांव पर बीजेपी के विवाहित महिलाओं को हर साल 12 हजार रुपये, स्व सहायता समूहों को पुन: रेडी टू ईट की जिम्मेदारी, 50 फीसदी कम शुल्क पर भूमि रजिस्ट्रेशन और मातृत्व सुरक्षा योजना जैसे वादे के बीच है।

कांग्रेस ने ऐलान किया है सरकार बनने पर महिला स्वसहायता समूह का भी कर्जा माफ किया जाएगा। दूसरी ओर बीजेपी ने हर विवाहित महिला को 12 हजार रुपये सालाना सहित 9 बिंदुओं पर महिला हित के वादे किए हैं। प्रदेश में पुरुषों की तुलना में महिला मतदाताओं की संख्या अधिक है, इस लिहाज से और पूर्व के चुनावों के अनुभवों के आधार पर माना जा रहा है कि आधी शक्ति का झुकाव जिस ओर होगा, सत्ता उसी दल के हाथों में जाएगी।

भाजपा ने महतारी वंदन योजना लाने की घोषणा की है। महिला सशक्तीकरण के लिए लाई जा रही इस योजना के तहत भाजपा प्रदेश की 60 लाख से अधिक विवाहित महिलाओं को हर वर्ष 12 हजार रुपये देगी। इस पर भाजपा हर साल 7,200 करोड़ रुपये खर्च करेगी। भाजपा के दावे के अनुसार यह योजना पूरे पांच वर्ष चलेगी। ऐसे में पांच साल में 36,000 करोड़ रुपये सिर्फ महिलाओं को मिलेगा। जबकि कांग्रेस ने महिला स्व सहायता समूहों की कर्ज माफी का वादा किया है। जानकारी के अनुसार 31 जनवरी 2023 की स्थिति में छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत 2,51,673 महिला स्व सहायता समूह गठित हैं। इनमें 27,14,513 महिलाएं हैं। इसमें 1,39,345 समूहों पर 135672.49 लाख यानी 1356 करोड़ का बकाया बैंक ऋण है। जिसे कांगे्रस ने माफ करने की घोषणा की है। इसके जवाब में भाजपा ने महिला स्व सहायता समूह के हाथ से छिनी गई रेडी टू ईट योजना के काम को उन्हें पुन: लौटाने और समूह को 5 लाख रुपए तक का न्यूनतम ब्याज पर ऋण देने का भी वादा किया है। 

दोनों ही पार्टियों की महिलाओं को लेकर किए गए वायदे को देखें तो सत्ताधारी कांग्रेस पर बीजेपी भारी पड़ती नजर आ रही है। क्योंकि कांग्रेस जहां 27 लाख 14 हजार 513 महिलाओं को लाभ पहुंचा रही है और सिर्फ 1356 करोड़ रुपए का कर्ज माफ कर रही है तो वहीं बीजेपी प्रदेश की 60 लाख महिलाओं को हर महीने 1000 हजार रुपए देगी। इस हिसाब से पूरे पांच साल में प्रति महिला को 12 हजार रुपए की मान से 60 लाख से अधिक महिलाओं को 36 हजार करोड़ रुपए देगी। इसके अतिरिक्त 9 बिंदुओं में महिला हित की योजनाओं की घोषणा भी भाजपा ने की है, जिसका लाभ सीधे महिलाओं को मिलने वाला है। इसके अतिरिक्त भाजपा ने स्कूलों में मध्यान्ह भोजन के अतिरिक्त बच्चों को सुबह नाश्ता देने का भी वादा किया है, जो महिलाओं को आकर्षित करने वाला है। 

2018 में कांग्रेस ने शराबबंदी का किया था। महिलाओं ने कांग्रेस पर भरोसा भी किया था, लेकिन पूरे 5 सालों में शराबबंदी कांग्रेस नहीं कर पायी। ऐसे में महिलाओं का कांग्रेस द्वारा भरोसा जीत पाना कठिन है। ऐसे में यह बात भाजपा की पक्ष में जाती हुई दिख रही है। प्रदेश की 60 लाख से भी अधिक महिलाएं सत्ता का रूख बदलने की क्षमता भी रखती हैं। हालांकि घोषणा पत्र के आधार पर किसका पलड़ा भारी पड़ेगा, यह कहना अभी मुश्किल है।

Bol CG Desk

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