छत्तीसगढ़रायपुर संभाग

कटाक्ष :- देश के सर्वश्रेष्ठ 29 पत्रकारिता संचार विश्वविद्यालय/कालेजों की रैंकिंग जारी हो गई है- डॉ.अनिल द्विवेदी

मैंने जहां से पीएच.डी की है, वह माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय भोपाल ने देशभर में नौवां स्थान हासिल किया है. पहले नम्बर पर आइआइएमसी नई दिल्ली है.

लेकिन जरा ठहरिए ! देश का पहला कुशाभाउ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय तो अपने छत्तीसगढ़ के रायपुर में है लेकिन वह अव्वल रैंकिंग तो छोड़िए, सूची में जगह तक नही बना सका. 14 सालों में यह अकादमिक स्तर है कुशाभाउ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय का।

एक तरफ वे संस्थान हैं जिनके अकादमिशियन खराब इंफ्रास्ट्रक्चर और कम वेतन मिलने के बावजूद अपना श्रेष्ठतम देकर संस्थान का नाम रोशन कर रहे हैं, दूसरी तरफ कुशाभाउ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हैं, जो आपसी नूराकुश्ती और टांग खिंचाई में रमे तथा फर्जी प्रमाण-पत्रों से नौकरी पाने वाले प्रोफेसरों को शर्म आना चाहिए. 62 करोड़ की बिल्डिंग देने के अलावा सरकार 07 करोड रूपये सालाना खर्च करती है इस संस्थान पर, लेकिन नतीजा सिफर।

जानते चलिए कि राज्य सरकार ने पत्रकारिता विश्वविद्यालय में चार शोधपीठ भी बनाई है लेकिन वे सफेद हाथी साबित हो रही हैं. इन शोधपीठों में एक-एक लाख की तीन स्कॉलरशिप शोधार्थियों के लिए चालू की गई थी लेकिन दो साल बाद ही बंद कर दी गईं. क्यों हुआ, किसके आदेश पर हुआ, इसका जवाब लेने-देने के लिए कोई तैयार नही है!

इस संस्थान में 25 पद पिछले दस सालों से रिक्त हैं, लेकिन मजाल है कि विश्वविदयालय इन्हें भरने की जुर्रत दिखाए. जैसे ही विज्ञापन जारी होते हैं, साहब एक याचिका लगवाकर उस भर्ती में अड़ंगा लगवा देते हैं. अगर ये ना होता तो अब 25 बेरोजगारों को सरकारी नौकरी मिल गई होती. अफसोस कि भाजपा सरकार भी कानों में रूई डाले बैठी रही और कांग्रेस भी कुछ ना कर सकी.

दुर्भाग्यपूर्ण और चिंतनीय है यह स्थिति. 😂

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button