छत्तीसगढ़ में चुनाव पूर्ण होने के बाद सामने आ रहे अनगिनत चुनावी मुद्दे, चुनाव लड़ने के तरीके पर चर्चा ज्यादा…


रायपुर , 19 नवंबर 2023 : छत्तीसगढ़ में दो चरणों में मतदान की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब राज्य की 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव के अनगिनत मुद्दे सुनाई पड़ रहे हैं। किसी को कर्ज माफी पसंद आया, तो कोई 12 हजार व 15 हजार को लेकर आकर्षित हुआ, कुछ लोगों ने कानून व्यवस्था को मुद्दा माना तो कइयों ने भ्रष्टाचार को बड़ा मुद्दा बताकर वोटिंग की। इतना ही नहीं शराबबंदी और शराब की क्वॉलिटी भी एक मुद्दा बना इन सबके अलावा प्रत्याशियों के चुनाव लड़ने के तरीकों को लोगों ने पसंद किया है , जिसकी पहुंच मतदाताओं तक रही, उसे यकीनन समर्थन मिला है।
मतदान समाप्ति के बाद हर विधानसभा और मतदान करने वाले हर आयु वर्ग के बीच मुद्दों को लेकर चर्चाओं की पड़ताल की गई, जिसमें कई चौंकाने वाले जवाब मिले। पूरी चुनावी चर्चाओं में जाति की सोशल इंजीनियरिंग को लेकर जो राजनीतिक दलों की कसरत थी, उस पर किसी ने कोई खास प्रतिक्रिया नहीं दी। वहीं राजनीतिक दलों के घोषणा पत्र को लेकर गिनते के लोग ही आधा दर्जन घोषणाएं गिना पाए। चर्चाओं में केवल पढ़े-लिखे लोग ही ज्यादा सामने आ रहे हैं, जबकि कम पढ़े-लिखे लोगों ने मतदान को केवल पांच साल में एक बार की ड्यूटी समझकर पूरा किया।ज्यादातर घरों में राजनीतिक चर्चाएंवोट डालने के बाद ज्यादातर घरों में केवल घंटे दो घंटे ही राजनीतिक चर्चाएं होती रही।
इस बात पर सबका जोर रहा कि कौन प्रत्याशी घर तक पहुंचा, जो नहीं पहुंचा, उसके बारे में कोई राय भी नहीं दी जा रही है। चुनावी मुद्दों की चर्चाओं पर बात करें, तो कर्ज माफी का मुद्दा हावी रहा, महिलाओं तक 12 हजार और 15 हजार का वायदा भी पहुंचा, रसोई गैस ने भी लोगों को प्रभावित किया। बुजुर्गों के बीच शराबबंदी और विकास का मुद्दा सुनाई पड़ा, वहीं युवाओं के बीच कानून व्यवस्था और भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर वोटिंग किए जाने की जानकारी मिली।
विधानसभा क्षेत्रों में मोदी की गारंटी भी चली, तो भूपेश पर भरोसा भी जताया गया। कुल मिलाकर मुद्दों को लेकर जो चर्चाएं सामने आई, उसका लब्बोलुआब हर विधानसभा क्षेत्र का अलग-अलग रहा, ज्यादातर लोगों ने विकास कार्यों और सुरक्षित भविष्य को लेकर वोटिंग की।छाया रहा सोशल मीडिया का जादूछत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में सोशल मीडिया का जादू पूरे समय छाया रहा। करीब मिला।
भाजपा ने गारंटी कार्ड के साथ-साथ अऊ नई सहिबो, बदल के रहियो का नारा दो महीने पहले से हर वर्ग सोशल मीडिया के जरिए चुनावी जानकारियों को दुरूस्त करता रहा और उस पर चर्चा भी की। राजनीतिक दलों द्वारा बनाए गए शॉर्ट वीडियो और रील्स को लोगों ने काफी पंसद किया, अधिकांश स्मार्ट फोन धारकों तक सोशल मीडिया के जरिए पहुंचने वाली जानकारी उन्हें मतदान के लिए प्रेरित करती रही।
सोशल मीडिया में सबसे ज्यादा क्या देखा गया, इस पर राजनीतिक प्रेक्षकों का कहना है कि आमतौर पर बुराई और गलतियां सबसे ज्यादा देखी जाती है, क्योंकि वही चर्चा और चुगली का विषय बनती है, हालाकि गंभीरता के मामले में सोशल मीडिया ने केवल टूल्स की तरह ही काम किया, लेकिन उसका प्रभाव हर वर्ग तक पहुंचा। सभी राजनीतिक दलों के प्रत्याशियो ने भी सोशल मीडिया का भरपूर इस्तेमाल किया।राजनीतिक नारों का दिखाई दिया असरछत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में नारों को लेकर मतदाताओं पर खासा प्रभाव देखने को मिला।
भाजपा ने गारंटी कार्ड के साथ–साथ अऊ नई साहिबो बदल के राहिबो का नारा दिया। साथ ही आवत का भाजपा के नारों पर खासा असर पड़ा। जबकि भूपेश है तो भरोसा है और है तैयार हम जैसे नारों को भी मतदाताओं ने खूब पसंद किया। जय श्री राम के नारों ने भी चुनाव के माहोल में तड़का लगाने की पूरी कोशिश की। मतदान केंद्रों के बाहर नंबर (ईवीएम में साइन नंबर) और जय श्री राम कहकर अभिवादन से वोटरों के बॉडी लैंग्वेज को पढ़ने की कोशिश की गई।