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Attack on Govindanand Maharaj गोविंदानंद महाराज पर हमला, रायपुर एम्स में इलाज के लिए भर्ती

Attack on Govindanand Maharaj के ऊपर हमला होने की खबर सामने आ रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार Attack on Govindanand Maharaj शास्त्रार्थ के लिए कवर्धा पहुँचे हुए थे। वे भगवतानंद निग्रहचार्य के चुनौती पर आए थे। गोविंदानंद महाराज चुनौती को स्वीकार करते हुए कवर्धा पहुँचे साथ ही सभा में वार्ता करने का प्रयास किये।

जैसा कि आप सभी को ज्ञात है की भगवतानंद निग्रहाचार्य ने स्वामी श्री गोविंदानंद सरस्वती जी को शास्त्रार्थ की चुनौती देते हुए कवर्धा आने को कहा था। स्वामी जी ने चुनौती को स्वीकार किया व 17 जून 2023 को कवर्धा उनके सभा में पहुंच गए।

सूत्रों के अनुसार, स्वामी गोविंदानंद सरस्वती ने भागवताचार्य से वार्ता करने का प्रयास किया, जिसके कुछ क्षण पश्चात भगवतानन्द के समर्थक और शिष्यों ने उनसे अभद्र व्यवहार करना प्रारंभ कर दिया और वहां से निकल जाने के लिए बोलने लगे। विवश होकर गोविंदानंद जी वहां से चले गए।

इसी कड़ी में आज दिनांक 18 जून को जब स्वामी जी कवर्धा से रायपुर के लिए निकले तो प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया की 04 गुंडों से भरी गाड़िया उनका पीछा करने लगी। कुछ लोगों का गंभीर आरोप है की इन गुंडों में ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद के समर्थक भी इसमें शामिल थे।

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Attack on Govindanand Maharaj
Attack on Govindanand Maharaj

उन उपद्रवियों की गाड़ियों ने पुलिस के वाहन को भी पीछे छोड़ते हुए स्वामी गोविंदानंद की गाड़ी को धक्का मारा व चलती गाड़ी को चोट पहुंचाने का भयानक प्रयास किया गया, इस पर पुलिस भी अपने दायित्व का निर्वहन करने में असमर्थ दिखाई दी।

Attack on Govindanand Maharaj के ऊपर टाटीबंध थाने में भी हमला

बाद में जैसे-तैसे स्वामी सुरक्षित टाटीबंध पुलिस थाने में पहुंचे, परंतु बात तब और बड़ी हो गई जब थाने में घुसकर उन उपद्रवियों ने स्वामी गोविंदनाद पर धावा बोल दिया।

पुलिस के सम्मुख यह घटना होते रही पर फिर भी किसी पर कोई रोक-टोक नहीं की गई, जिसके कारण स्वामी जी थाने से निकलकर पीछे के एक घर में शरण लेने के लिए विवश हुए।

स्वामी जी पीछे के घर में है यह अराजक तत्वों को जब पता तो वहां भी उनके पीछे चले गए। अपनी सुरक्षा के लिए स्वामी जी ने उस घर के दूसरे माले से सीधा नीचे छलांग लगा दी, जिससे उनके पैर में बहुत गहरी चोट आ गई है।

इस पूरे विषय में पुलिस तमाशगीन बनकर सब देखते रही, क्योंकि उपद्रवियों ने पुलिस को यह कह दिया था की, “यह स्वामी गोविंदानंद फर्जी है और इनके पास जो पुलिस की सुरक्षा का सरकारी आदेश हैं, वह भी फर्जी हैं।” आश्चर्य की बात यह है की पुलिस ने बिना कागजी और तथ्यात्मक जांच किए उपद्रवकर्ताओं की बातों को सही मान लिया।

इस पूरे घटना के चलते अभी स्वामी गोविंदानंद चोटिल अवस्था में निकट के एम्स अस्पताल में भर्ती हैं और फिलहाल सुरक्षित रूप से चिकिस्त्या प्राप्त करवा रहे हैं। इस पर स्वामी गोविंदानंद के शिष्य और समर्थकों ने जनता से यह अनुरोध और आग्रह किया है की उनपर हुए इस अन्याय के विरुद्ध स्वामी जी के पक्ष में आवाज उठाने में सहयोग प्रदान किया जाए।

यह देखा गया है की शास्त्रार्थ करना भारत की प्राचीन परंपरा रही हैं और हमेशा इसमें एक विद्वान दूसरे विद्वान को चुनौती देता है और दूसरा उसे स्वीकार कर धर्मनिष्ठ निष्कर्ष को प्राप्त करने के लक्ष्य से शास्त्रार्थ करते है। शास्त्रार्थ का अंत एकता से होता है, जिसमें दोनों विद्वान एकमत होकर समरस हो जाते हैं। पर आज घमंड, ईर्ष्या और विवेकहीनता के कारण सब स्वयं को सबसे बड़ा ज्ञानी मानने लगे हैं। स्वामी गोविंदानंद और निग्रहाचार्य भागवतानंद के बीच भी ऐसा ही कुछ विवाद हुआ है, पर ज्ञान-संवाद के बीच में हिंसा का कोई स्थान नहीं होना चाहिए।

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Onima Shyam Patel

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