Cg Election 2023 भाजपा के श्रेष्ठ व जीतने वाले उम्मीदवार मैदान में, कांग्रेस की भी तैयारी पूरी मगर- चुनावी पीच को भी समझना है- वीरेंद्र दूबे
रायपुर। Cg Election 2023 भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने अपने प्रत्याशियों को लेकर लगभग पूरा-पूरा सूची जारी कर दिया है। कांग्रेस के सात और BJP के 4 उम्मीदवार अभी बाकी हैं। BJP उम्मीदवारों को लेकर माहौल बनाने का प्रयास किया गया कि भाजपा ने खराब प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतारे हैं। इसका कारण यह बताया जा रहा था कि पुराने चेहरों को प्रत्याशी बनाया गया है लेकिन राजनीतिक दृष्टि से देखा जाए और विधानसभा चुनाव 2018 का विश्लेषण किया जाए तो भाजपा ने जीतने वाले अपने श्रेष्ठ प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है।
यह कहना गलत नही होगा कि भारतीय जनता पार्टी इस चुनाव में सत्ता वापस हासिल करने के उद्देश्य से पुराने चेहरों को फिर से एक मौका दिया है। यह समय की मांग भी थी इसलिए जहां-जहां जिन ताकतवर नेता के जीतने की संभावना थी वहां-वहां अच्छे नेताओं को मैदान में उतर गया है।
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15 साल की एंटी इनकमबैनसी के कारण देशभर में बड़े-बड़े नेता चुनाव हार गए एक चुनाव हार जाने का मतलब या नहीं होता की नेता जनता से कट गया है।
अभी जिन पुराने चेहरों को उतारा गया है। वे लगातार चुनाव जीतने वाले चेहरे हैं चाहे रायपुर पश्चिम से राजेश मूड़त हो, नवागढ़ से दयाल दास बघेल हों, बिलासपुर से अमर अग्रवाल हों, दक्षिण से बृजमोहन अग्रवाल हों या राजनांदगांव से डॉक्टर रमन सिंह, नारायणपुर में केदार कश्यप, बीजापुर में महेश गागड़ा इन सभी पुराने चेहरों ने पार्टी को मजबूती प्रदान करने के साथ छत्तीसगढ़ के विकास के लिए भी बेहतर काम किया है।
कांग्रेसी नीति और टिकिट वितरण से BJP को वाक ओवर, BJP उम्मीदवारों के पास अपनी टीम
कांग्रेस के टिकिट वितरण और नीति को देखा जाए तो ऐसा लग रहा है भूपेश बघेल की रणनीति पर काम हो रहा है। जिस तरह से चुनावी रणनीति बना रहे हैं या अपनी चाल चल रहे हैं उससे नए नवेले चेहरे के आधार पर कांग्रेस को हराना मुश्किल होगा। इस आधार पर जरूरत पड़ने पर शेर के सामने शेर को ही मैदान में उतर जाता है।
ऐसे में भाजपा का दांव भी सही और सटीक है। भाजपा नेताओं के पुराने चेहरे लोकप्रिय रहे हैं, उनके पास कार्यकर्ताओं की अपनी टीम है, चुनाव लड़ने का अनुभव है, अपने विधानसभा क्षेत्र को बहुत अच्छी तरह जानते हैं साथ ही चुनावी दांव पेंच को समझते हैं।
कांग्रेस ने जिन नए नेताओं को अलग थलग जगह से टिकिट दिया है। इससे प्रतीत हो रहा है कि BJP कांग्रेस पर भारी पड़ने वाली है। कहना सही होगा कि भारतीय जनता पार्टी ने बहुत सोच समझकर 86 सीटों पर अपने उम्मीदवार तय किए हैं। लेकिन यह बात भी ध्यान देना होगा कि कुछ सीट पर प्रत्याशी कमजोर हैं। ऐसा राजनीतिक समीकरण के कारण भी हो सकता है।
जब तक कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार घोषित नही किये थे तब BJP का पक्ष बेहद कमजोर नज़र आ रहा था। वहीं अब कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार घोषित होने के बाद भाजपा के उम्मीदवार बेहतर लगने लगे हैं। और जिस प्रकार नेताओं का असंतोष सामने आ रहा है उससे कांग्रेस पार्टी भी परेशान है जबकि भाजपा बहुत तक हद तक अपने अंदरूनी असंतोष पर काबू पा लिया है।
दक्षिण विधानसभा में कांग्रेस महंत राम सुंदर दास को प्रत्याशी बनाया है। जबकि उनका साफ तौर पर कहना है कि वे बुरी तरह से दक्षिण में फंस गए हैं। एजाज ढेबर का समर्थन जुटाने का प्रयास महंत ने किया है। ढेबर से प्रमोद दुबे, गिरीश दुबे के साथ मिलकर बात मनवाने के प्रयास किया गया। लेकिन ये बात ये तीनों भलीभांति जानते हैं कि महंत यदि दक्षिण से चुनाव जीतते हैं तो ढेबर सहित दोनों दुबे का राजनीतिक कैरियर डूब जाएगा। दक्षिण में पार्टी का झंडा उठा कर काम करने वाले तीनों नेताओं को साइड कर महंत को टिकिट दिया जाना तीनों के समर्थकों को खटक रहा है। कन्हैया अग्रवाल का क्या योजना है। ये तो पार्टी वाले भी जान रहे हैं।
पश्चिम विधानसभा की बात करें तो जनता ने विधायक विकास उपाध्याय को पोस्टर बॉय करार दे दिया है। बीतें 5 वर्षों भूमि पूजन का काम किया और लोकार्पण पिछले 15 साल में हुए कार्यों का किया। जनता कहती है एक नया काम क्षेत्र में नही हुआ। ऐसे में विकास उपाध्याय को दुबारा टिकिट देने से मूणत के समर्थक काफी खुश हैं। कहा जा रहा है कि मूणत आसानी से चुनाव जीत रहे हैं लेकिन आसानी कुछ भी नही है। मूणत को अपने लोगों से नाराजगी दूर करने में समय लगाना चाहिए।
Bjp ने भी नए चेहरों को मौका दिया है। कांग्रेस से दो गुना नए चेहरे मैदान में उतारे हैं। टिकिट पहले फायनल करके प्रत्याशियों के विरोध को भाजपा ने दबा दिया लेकिन अभी कांग्रेस के प्रत्याशियों को लेकर विरोध थमा नही है। कांग्रेस के बागी विधायकों ने निर्दलीय नामांकन कर दिया है।
कहना यही है कि उम्मीदवारों के हिसाब से BJP कुछ ज्यादा मजबूत नज़र आ रही है लेकिन चुनाव का माहौल किसके पक्ष में है ये धीरे धीरे पता चलेगा।
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